Jaipur Central Jail : जयपुर। राजधानी जयपुर के सेंट्रल जेल में बंद एक कैदी के मोबाइल निगलने का मामला सामने आया है। कैदी जेल में आर्म्स एक्ट में बंद था, पांच जनवरी को निगरानी के समय ड्यूटी दे रहे प्रहरी को कैदी की स्थिति संदिग्ध दिखने जब टोका गया तो कैदी ने मोबाइल मुंह में निगल लिया। मामला सामने आने पर जेल अधिकारी उसे लेकर एसएमएस अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने एंडास्कोपी से कैदी के पेट से मोबाइल बाहर निकाला। कैदी के पास मोबाइल मिलने पर केंद्रीय कारागार की सुरक्षा पर एक बार फिर से सवाल खड़ा हो गया है।
एसएमएस अस्पताल की डॉक्टर शालू गुप्ता के अनुसार एक पेशेंट को लाया गया था। उसकी जांच की गई तो मोबाइल पेट में होना पाया गया। ऐसे में एंडोस्कॉपी से मुंह के रास्ते से ही मोबाइल को बाहर निकाला गया। इस प्रक्रिया में सर्जरी की आवश्यकता नहीं करनी पड़ती। इसमें मुंह के रास्ते एक पाइप डाला जाता है। यह अंदर जाकर मोबाइल को पकड़ लेता है। इसके बाद मोबाइल को बाहर निकाल लिया जाता है। अगर ज्यादा देर हो जाती तो मोबाइल और नीचे चला जाता तो सर्जरी करनी पड़ सकती थी। वहीं यह मोबाइल एक्सरे में साफ दिखाई दे रहा था।
तबीयत बिगड़ने पर जेल प्रहरी कैदी को लेकर पहुंचे अस्पताल
जेल में कैदियों के पास मोबाइल होने की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती है। लिहाजा जेल प्रशासन की ओर से समय समय पर औचक निरीक्षण किया जाता है। 5 जनवरी की शाम को जयपुर सेंट्रल जेल में औचक निरीक्षण किया जा रहा था। इसी दौरान एक विचाराधीन कैदी फज्जू ने पकड़े जाने के डर से मोबाइल निगल लिया। जल्दबाजी में उसने यह हरकत की तो मोबाइल उसके गले में फं सकर अटक गया। उसके बाद उसकी हालत बिगड़ने लगी। पता चलने पर जेल प्रहरी उसे अस्पताल लेकर पहुंचे जहां बड़ी मशक्कत के बाद मोबाइल को निकाला जा सका।
आर्म्स एक्ट में बंद था कैदी
जयपुर सेंट्रल जेल के प्रहरी सतपाल जाट ने लालकोठी थाने में मामला दर्ज कराया है। इसमें बताया कि जेल में विचाराधीन बंदी फज्जू पुत्र शहीद खान निवासी अशरफ काली का भट्टा नाग तलाई घाटगेट (जयपुर) बंद है। आरोपी कैदी फज्जू को रामगंज थाना पुलिस ने आर्म्स एक्ट में गिरफ्तार किया था। इसके बाद पुलिस की ओर से उसे 8 अगस्त, 23 को जेल में भिजवाया गया था। इसके बाद से ही केंद्रीय कारागागार की जेल में बंद था।
पुलिस ने प्रिजनर्स एक्ट की धारा 42 के तहत मामला दर्ज किया है। मामले की जांच हैड कांस्बल जुगल टे किशोर कर रहे हैं। कारागार अधिनियम की धारा 42 तहत प्रतिबंधित वस्तु लाना और छुपाना असंज्ञेय अपराध है। यह दंडनीय अपराध है। इस एक्ट में छह महीने की सजा के साथ आर्थिक दंड का प्रावधान है। इस घटना के बाद जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर फिर सवाल खड़े हो गए। आखिर जेल में कैदी के पास मोबाइल कैसे पहुंच गया।