जयपुर। चुनाव की आड़ में शहर में धड़ल्ले से अतिक्रमण हुए। अधिक पैसा कमाने की लालसा में भूमाफियाओं ने नियमों को ताक में रख कर बिल्डिंगें खड़ी कर ली। यह ‘अवैध धंधा’ लगातार चलते रहे इसके लिए अब ये भूमाफिया जीतने वाले जनप्रतिनिधियों को साधने में जुट गए हैं। उनको बधाइयां देने वाले बड़े-बड़े बैनर और होर्डिंग्स लगाकर खुद को उनका खास समर्थक साबित कर रहे हैं। कुछ भूमाफिया जो पिछली सरकार के साथ थे, अब गवर्नमेंट बदलने के साथ ही पाला बदल रहे हैं। चुनाव से पहले जहां लोग तत्कालीन जनप्रतिनिधि को बधाई संदेश दे रहे थे, वहीं अब नए नेताजी को साध रहे हैं। उनके पोस्टर्स लगा रहे हैं।
ग्राहकों को लुभाने का भी प्रयास
दरअसल बैनर और पोस्टर्स लगाने के पीछे मार्केटिंग का भी बड़ा लॉजिक बना रखा है। चुनाव जीतते ही भूमाफिओं ने पोस्टर्स लगा जनप्रतिनिधियों को बधाई देना शुरू कर दिया। इसके चलते जिम्मेदार विभाग भी इन भूमाफियाओं पर इस डर से कार्रवाई करने से बच रहे हैं कि पता नहीं कौन से नेताजी के खास हों।
अतिक्रमण की आई बाढ़, विभाग भी बेबस
जेडीए और नगर निगम की सतर्कता शाखा शहर में अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन ये नाकाफी साबित हो रहे हैं। संसाधनों के अभाव और राजनीतिक दबाव के चलते सतर्कता शाखा सभी जगहों पर कार्रवाई नहीं कर पाता है। वहीं, प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों के कारण पिछले दो से तीन माह में शहर भर में कई स्थानों पर अवैध बिल्डगें खिं ड़ी हो गई हैं। भूमाफिया बिना भूरूपान्तरण किए नियामों को ताक में रख कर निर्माण किए जा रहे हैं। हैरत की बात ये है कि इनमें कई भूमाफियों के खिलाफ रोज जेडीए और नगर निगम में शिकायतें दर्ज हैं, लेकिन जनप्रतिनिधि के सपोर्ट के चलते अधिकारी भी कार्रवाई से बच रहे हैं।
सबसे ज्यादा यहां हो रहे अवैध निर्माण
इकोलॉजिकल जोन के जयसिंहपुरा खोर, आगरा रोड पर पालड़ी मीणा, जामड़ोली, टोंक रोड पर प्रताप नगर, कु म्भा मार्ग, वाटिका, रिंग रोड के आस-पास, कालवाड़ रोड पर सिरसी- बिंदायका, करधनी, सीकर रोड पर रामपुरा, राजावास आदि इलाकों में धड़ल्ले से अवैध निर्माण किए जा रहे हैं। इन जगहों पर कई निर्माणों पर जनप्रतिनिधि को बधाई देते हुए पोस्टर्स और बैनर लगाए गए हैं।
हेरिटेज इमारतों में भी किए अवैध निर्माण
चुनाव की आड़ में परकोटे में भी खूब निर्माण हुए। हेरिटेज सिटी को विश्व विरासत का तमगा मिलते ही किसी भी प्रकार के नए निर्माण पर रोक लगी हुई है, फिर भी राजनीतिक संरक्षण मिलने के कारण इन अवैध निर्माण पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इस संबंध में स्थानीय लोगों ने शिकायतें भी दी, लेकिन अधिकारियों ने शिकायतों को अनसुना कर दिया। एक अधिकारी ने नाम नहीे छापने की शर्त पर कहा कि कार्रवाई कै से करें, जैसे ही टीम पहुंचती है बड़े नेताओं के फोन आने शुरू हो जाते हैं। ऐसे में अवैध निर्माण पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाती है।
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