Omprakash Saini Vs Manbhari Devi Case : जयपुर। बुजुर्ग माता-पिता ही नहीं सास-ससुर भी अगर अपने बच्चों के व्यवहार से संतुष्ट नहीं हैं और उनका ठीक से ख्याल नहीं रखा जा रहा है तो वे अपनी संपत्ति से उन्हें दूर कर सकते हैं। एक चार साल पुराने मामले में सुनवाई के दौरान राजस्थान हाईकोर्ट ने यह अहम फैसला सुनाया है। साथ ही हाईकोर्ट ने रेफरेंस तय करते हुए मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल यानी एसडीओ कोर्ट को निष्कासन का अधिकार दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले बुजुर्गों को काफी राहत मिलेगी।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एजी मसीह और जस्टिस समीर जैन की खंड पीठ ने ओमप्रकाश सैनी बनाम मनभरी देवी मामले में रेफरेंस तय करते हुए कहा कि मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल को भी बेदखल करने का आदेश देने का अधिकार है। हालांकि, हाईकोर्ट ने साफ कहा कि बेदखली का आदेश देते समय ट्रिब्यूनल को सभी तथ्यों को ध्यान में रखना होगा।
घरेलू हिंसा सहित अन्य मामले अगर समानांतर चल रहे हैं तो उन्हें ध्यान में रखते हुए आदेश पारित करना होगा। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट सहित अन्य राज्यों की हाईकोर्ट की ओर से मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल के पास संपत्ति से जुड़ी बेदखली की शक्ति को मान्यता दी है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी।
अब जल्द होगा ऐसे केसों का निपटारा
हाईकोर्ट द्वारा रेफरेंस तय नहीं होने की वजह से इस तरह से जुड़े कई मामले अटके पड़े हैं। रेफरेंस तय नहीं होने से कोर्ट फैसला नहीं सुना पा रहा था। इतना ही नहीं, कोर्ट की सिंगल बेंच के पास भी इस तरह की ढेरों याचिकाएं लंबित पड़ी हुई थी। हालांकि, अब माना जा रहा है कि रेफरेंस तय किए जाने की वजह से इस तरह के केसों का जल्द-जल्द निपटारा किया जा सकेगा।
ये है मामला
ओमप्रकाश सैनी बनाम मनभरी देवी मामले में एकल पीठ ने यह रेफरेंस 12 सितम्बर 2019 को खंड पीठ को भेजा था। इस मामले में मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल ने मनभरी देवी के पक्ष में फैसला देते हुए उनके नाती ओमप्रकाश को उनकी संपत्ति से बेदखल कर दिया था। जिस पर ओमप्रकाश ने हाईकोर्ट में रिट दायर की थी।
ये खबर भी पढ़ें:-तकनीक के क्षेत्र में भारत ने हासिल किया नया मुकाम, बेंगलुरु में खुला देश का पहला 3D प्रिंटेड डाकघर