Crime in Rajasthan : जयपुर। पुलिस के पास चोरी 2510 आदतन बदमाशों का पूरा बोयाडाटा है। इसके बावजूद पुलिस चोरी और नकबजनी के बदमाशों पर नकेल नहीं कस पा रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि प्रदेश में राेजाना चोरी और नकबजनी की औसतन 130 वारदातें हो रही है। आमजन के घर से लाखों रुपए का कीमत सामान चोरी हो रही है, लेकिन पुलिस इन बदमाशों पर सख्ती नहीं कर पा रही है। हाल ही में पुलिस मुख्यालय ने ऐसे आदतन बदमाशों की एक सूची बनाई है, जो सभी जिला एसपी व डीसीपी को कार्रवाई के लिए भेजी है।
इसके बावजूद सूची दफ्तर की फाइलों में सिमट गई। पड़ताल में सामने आया कि इन बदमाशों के खिलाफ अलग-अलग पुलिस थानों में 11801 मुकदमें दर्ज हैं। पुलिस ने 590 बदमाशों पर तो सख्ती करने का प्रयास भी किया, लेकिन उनके खिलाफ ठोस सबूत नहीं होने से वे कोर्ट से बरी हो गए। इसके बाद सुधरने के बजाय वे फिर से चोरी व नकबजनी की वारदातें करने लगे हैं। ऐसे में पुलिस की जांच और उसके निगरानी सिस्टम पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
पुलिस की हर जिल में डीएसटी व थाना स्तर पर स्पेशल टीम बना रखी है। जयपुर कमिश्नरेट में तो डीएसटी के साथ में सीएसटी की भी अलग-अलग टीमें बनाई हुई है। सीएसटी टीम में तो 50 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया है। इसके बावजूद पुलिसकर्मियों पर अकसर ऐसे बदमाशों से मंथली लेने की शिकायतें मिलती रहती हैं। ऐसे में बदमाश बेखौफ होकर प्रदेश में वारदातें कर रहे हैं।
जयपुर शहर में रोजाना 20 से ज्यादा वारदातें
प्रदेश में जून माह तक चोरी और नकबजनी की 23 हजार से ज्यादा वारदातें हुई हैं। यानी प्रतिदिन प्रदेश में 130 के करीब चाेरी व नकबजनी की औसतन वारदातें हो रही है। वहीं, जयपुर में रोजाना औसतन प्रतिदिन चोरी व नकबजनी की 20 से ज्यादा वारदातें हो रही हैं।
864 बदमाश फरार… 8,672 जमानत पर
पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के माने तो प्रदेश में चोरी व नकबजनी की वारदातें करने वाले 864 बदमाशों की पहचान होने के बाद वे पुलिस गिरफ्त से दूर हैं, जबकि 8672 बदमाश कोर्ट से जमानत लेकर बाहर आ गए हैं। ऐसे बदमाशों पर पुलिस की कोई निगरानी नहीं है। ऐसे में वे आसानी से वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। आदतन अपराधियों में से के वल 1460 बदमाश ही जेल में हैं।
निगरानी सिस्टम को मजबूत करने की जरूरत
रिटायर्ड एडिशनल एसपी अनिल गोठवाल ने कहा कि पुलिस को निगरानी सिस्टम को मजबूत करने की आवश्यकता है। ऐसे बदमाशों की निगरानी के लिए थाना स्तर पर बीट कांस्टेबल, डीएसटी व सीएसटी के पुलिसकर्मियों को पाबंद करना चाहिए। अगर निगरानी नहीं कर रहे और उनसे मिले हुए हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
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