कोटा। चंबल रिवर फ्रंट (Chambal River Front) पर बन रहे विश्व के सबसे बड़े घंटे ने बनने से पहले ही पांच वर्ल्ड रिकार्ड बनाकर इतिहास रच दिया है। इसके साथ ही इस घंटे को बना रहे इंजीनियर देवेंद्र कुमार आर्य एशिया के पहले ऐसे व्यक्ति बन गए हैं, जिन्होंने एक साथ 5 बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए हैं। स्टील मेन ऑफ इंडिया के नाम से विख्यात इंजीनियर देवेंद्र कुमार आर्य ने बताया कि कोटा की धरती पर पहली बार 5 वर्ल्ड रिकार्ड एक साथ बने हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक ये घंटा विश्व की पहली जोइंटलेस चैन (इन एज कास्ट कंडीशन), विश्व का सबसे बड़ा 3डी फाइबर प्रोडक्ट, विश्व का सबसे ऊंचा जर्मन हेंगर (फेब्रिक कोटेड), 35 आयल फायर्ड वर्किंग फर्नेस अंडर वन रूफ आफ 2200 किलो ईच तथा विश्व का सबसे बड़ा ग्रीन सिलिका सेंड मोल्ड ( बाय ड्राई प्रोसेज ऑफ 2200 मेट्रिक टन) नामक 5 बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड अपने नाम कर लिए हैं।
इस अवसर पर देवेंद्र आर्य ने दावा किया कि अभी घंटे की कास्टिंग होने तक कई और वर्ल्ड रिकार्ड बनने वाले हैं। इंजी. देवेंद्र कुमार आर्य ने बताया कि चंबल रिवर फ्रंट पर दुनिया के सबसे बड़े घंटे को ढालने की तैयारी हो चुकी है। 75 हजार किलो वजनी यह घंटा 35 भट्टियों में पीतल को गलाकर ढाला जाएगा। इसके लिए पीतल लाया जा चुका है। इंजीनियर आर्य ने बताया कि यह घंटा 30 फीट ऊंचा और 28 फीट चौड़ा होगा। घंटी के साथ लगी यह चेन भी अब तक की सबसे बड़ी ज्वॉइंटलैस चेन है। अब इसके सहारे विभिन्न धातुओं के मिश्रण (कास्टिंग अलॉय) को घंटे के आकार में ढालकर दुनिया के सबसे बड़े घंटे को आकार दिया जाएगा। घंटा बजाने के लिए सबसे लंबी साढ़े छह मीटर की 400 किलो वजनी ज्वाइंटलैस रिंग चैन तैयार कर ली है। घंटे की गूंज आठ किलोमीटर दायरे में सुनी जा सकेगी।
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वर्ल्ड रिकॉर्ड बनने पर की गई फ्लैग होस्टिंग
इंजीनियर आर्य ने बताया कि अभी दुनिया के सबसे बडे घंटे रूस व चीन में है। रूस में घंटा बनाते समय यह टूट गया था। वहां अब टूटा हुआ घंटा ही प्रदर्त है। शि कोटा में बन रहा घंटा सवा नौ मीटर ऊंचा, साढ़े आठ मीटर चौड़ा और करीब 75 हजार किलो वजनी होगी। 5 वर्ल्ड रिकार्ड बनने के अवसर पर फ्लैग होस्टिंग का कार्यकम आयोजित किया गया। जिसके मुख्य अतिथि समाजसेवी अमित धारीवाल, कोटा आईजी प्रसन्ना खेमसरा, कार्यवाहक संभागीय आयुक्त राजपाल सिंह, कोटा शहर एसपी शरद चौधरी, रजिस्ट्रार शिक्षा पवन थी।
22 किलो धातुओं को 15 मिनट में ढालना होगा
इंजीनियर देवेंद्र कुमार आर्य ने बताया कि घंटे को महज 15 मिनट के भीतर ही ढालना होगा। 2200 किलो धातुओं को एक साथ ढालने के लिए 35 विशेष भट्टियां बनाई गई हैं। इसमें गलाई जाने वाली धातुओंको चार विशेष पात्रों से सांचे तक पहुंचाया जाएगा, जिनकी टेस्टिंग कर ली है। अगले महीने घंटे की ढलाई की जाएगी। इसके बाद तैयार होने वाला घंटा सुनहरे रंग का नजर आएगा। समय के साथ यह चमकीला होता जाएगा। यह इतनी मजबूत होगी कि पांच हजार साल तक सुरक्षित रहेगी। इसकी सिंगल पीस कास्टिंग होगी। यानी टुकड़ों में नहीं लगाया जाएगा।
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