सचिवालय के DOIT ऑफिस में मिले 2 करोड़ 31 लाख के खजाने को लेकर सियासत गर्माई हुई है। आज पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने राजेंद्र राठौड़ का इस्तीफा ही मांग लिया। उन्होंने भ्रष्टाचार के मामले में वसुंधरा राजे सरकार पर संगीन आरोप लगाए और कहा कि राजेंद्र राठौड़ में जरा भी नैतिकता हो तो अपने पद से इस्तीफा दे दें।
2013 से चल रहा भ्रष्टाचार का खेल तो भाजपा क्या कर रही थी
आज पीसीसी कार्यालय में गोविंद सिंह डोटासरा और प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने प्रेस कांफ्रेंस की। इसमें उन्होंने DOIT ऑफिस में मिली करोड़ों की नकदी पर भाजपा के कल उठाए गए भ्रष्टाचार का जवाब दिया। डोटासरा ने कहा कि कल जब किरोड़ी मीणा कांग्रेस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे थे और तमाम तरह के कागज दिखाकर कह रहे थे कि ये भ्रष्टाचार की कड़ी साल 2013 से चल रही है तो सीधा-सीधा आऱोप तो भाजपा पर लग रहा है। क्योंकि भाजपा की ही सरकार साल 2013 में थी। तब उन्होंने इस पर कार्रवाई क्यों नहीं की।
डोटासरा ने कहा कि किरोड़ जब ये बातें बोल रहे थे तो उनके बगल में बैठे राजेंद्र राठौड़ को तो खुद बोलना चाहिए था। वो वसुंधरा सरकार के मंत्रिमंडल में सहयोगी थे, उनमें अगर जरा भी नैतिकता तो अभी अपने पद से इसे स्वीकार कर इस्तीफा दे दें।
पूनिया ने कहा ईमान है तो जांच करा लें
इधर विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया ने जोधपुर में इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि DOIT में जो खजाना मिला है, उसकी जिम्मेदारी अशोक गहलोत की सरकार ले और इतनी ही ईमानदार ये सरकार ये को इसकी जांच करा ले। पूनिया ने कहा कि आने वाले समय में जो ये सरकार महिलाओं को मुफ्त में फोन बांटने जा रही है , उसे भी इस भ्रष्टाचार से जोड़कर देखा जाना चाहिए। यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है कि पहले तो गहलोत सरकार की ये योजना ठप पड़ गई थी और फिर अचानक उसे उन्होंने फिर से उठाकर कह दिया कि 40 लाख स्मार्टफोन बांटेंगे, तो फिर अचानक उनके पास इतना पैसा कहां से आ गया और सचिवालय में इतना पैसा कहां से आया, अभी तक इसका खुलासा नहीं हुआ है।
वेदप्रकाश को 2 दिन की रिमांड पर भेजा
इधर इस मामले में पकड़ा गया DOIT का सस्पेंड जॉइंट डायरेक्टर वेद प्रकाश यादव को आज 2 दिन की रिमांड पर भेज दिया गया है। आज उसे एसीबी कोर्ट में पेश किया गया था। एसीबी ने कोर्ट में बताया था कि पूछताछ में वेद प्रकाश सहयोग नहीं कर रहा है, वह सवालों के गोलमोल जवाब देकर गुमराह कर रहा है। बता दें कि ACB को वेदप्रकाश के ऑफिस से कई दस्तावेज मिले हैं। जिनकी जांच की जा रही है। ACB वेदप्रकाश से बीते 5 सालों में DOIT की खरीददारी से जुड़े सवाल पूछ रही है। जिन कंपनियों से ये खरीद हुई है उनके जवाब भी वेदप्रकाश नहीं दे रहा है। इतना ही नहीं वेद प्रकाश ने अपने फोन, लैपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के भी पासवर्ड ACB को नहीं बताया है।
किरोड़ी मीणा ने लगाया था संगीन आरोप
बता दें कि कल भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि सरकारी कामों के लिए ब्लैक लिस्टेड कंपनियों का काम दिया गया है। 135 करोड़ का काम दिया है, जिसमें 100 करोड़ का घोटाला है। वेदप्रकाश यादव को इस सरकार ने वीडियो वाल लगाने का काम दिया था। इसके अलावा कई प्रोजेक्ट इसकी जिम्मेदारी पर थे। इसे दिए कामों की लागत 185 करोड़ तक की है। इसके अलावा इसे और भी काम राजस्थान सरकार ने दिए थे लेकिन ये आदेश मनमानी से भरे थे। ये अनुचित थे, इन कामों के लिए 12 करोड़ 3 लाख से ज्यादा की राशि का भुगतान भी किया गया है। 3 साल तक ये भुगतान होता रहा है, जबकि ऑडिट में ये डाला गया है कि इसका भुगतान ना किया जाए फिर भी 3 साल तक इतनी बड़ी राशि दी जाती रही। इस पर कांग्रेस सरकार क्या जवाब देगी।
सचिवालय की अलमारी में मिली था खजाना
गौरतलब है कि बीते 19 मई को सचिवालय में स्थित योजना भवन में फाइलों के डिजिटलीकरण करने के काम को लेकर कई दिनों से बंद पड़ी एक अलमारी से 2 करोड़ 31 लाख 49 हजार 500 रुपए और 1 किलो सोने के बिस्कुट बरामद हुए थे। यह राशि आधार कार्ड के कामकाज देखने वाले यूआईडी विभाग की अलमारी में रखे हुए थे। लैपटॉप बैग और ट्रॉली वाले सूटकेस से यह पैसा और सोना निकला। इसमें 500 और 2000 रुपए के नोट और सोना बिस्कुट के रूप में मिला। इस मामले में सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DOIT) से सस्पेंड जॉइंट डायरेक्टर वेद प्रकाश यादव को गिरफ्तार किया गया है।