जयपुर। प्रदेश के देवस्थान विभाग (Devasthan Department) के सीधे प्रभार वाले मंदिरों पर सरकार मेहरबान हो गई है। सरकार ने न केवल मंदिरों की सूरत बदलने का फैसला लिया है बल्कि इन मंदिरों की सेवा में जुटे पुजारियों के मानदेय में वृद्धि की है। सामान्यता सियासी माहौल में कांग्रेस सरकार पर मंदिरों की उपेक्षा का आरोप लगता रहता है। चुनावी साल में सरकार की तरफ किया गया यह बड़ा फैसला माना जा रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार मंदिरों के अंशकालीन पुजारियों के मानदेय में वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
साथ ही, देवस्थान विभाग के अधीन 593 मंदिरों में पोषाक, रंग-रोगन, मरम्मत तथा उन्नयन संबंधी कार्यों के लिए 5.93 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रावधान को भी स्वीकृति दी है। मुख्यमंत्री ने देवस्थान विभाग के अधीन आने वाले राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार मंदिरों के अंशकालीन पुजारियों के मानदेय में वृद्धि के प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी है। इससे पुजारियों का मानदेय 3 हजार से बढ़कर 5 हजार रुपए प्रतिमाह हो जाएगा। गहलोत के इस निर्णय से पुजारियों को आर्थिक संबल मिलेगा। उल्लेखनीय है कि आत्मनिर्भर मंदिरों के अंशकालीन पुजारियों का मानदेय 3 हजार रुपए से बढ़ाकर 5 हजार रुपए पूर्व में ही किया जा चुका है।
प्रदेश के बाहर भी चमकेंगे मंदिर
मुख्यमंत्री की इस स्वीकृति से प्रदेश के साथ ही राजस्थान के बाहर स्थित देवस्थान विभाग के 79 मंदिर भी चमकें गे। राजस्थान के बाहर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तराखंड में देवस्थान विभाग के मंदिर है। इसमें से 25 मंदिर तो सीधे प्रभार वाले हैं। यहां सेवा में लगे पुजारियों को भी बढ़ा हुआ मानदेय मिलेगा। प्रदेश के बाहर राजकीय निर्भर के 16 मंदिर भी है, जहां पर स्वीकृति राशि खर्च की जाएगी।
प्रत्येक मंदिर में एक लाख रुपए तक के कार्य
प्रस्ताव के अनुसार, 390 राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार मंदिर तथा 203 राजकीय आत्मनिर्भर मंदिरों के लिए 5.93 करोड़ रुपए (प्रति मंदिर 1 लाख रुपए तक) की स्वीकृति दी गई है। इस स्वीकृति से मंदिरों में विभिन्न उन्नयन कार्य किए जाएंगे। राज्य सरकार द्वारा प्रदेशवासियों की आस्था को देखते हुए मुख्यमंत्री ने वर्ष 2023-24 के बजट में पुजारियों के मानदेय में वृद्धि तथा मंदिरों के मरम्मत, उन्नयन कार्याें के संबंध में घोषणा की गई थी।
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