Rajasthan Assembly Election 2023 : राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी-कांग्रेस सहित कई राजनीतिक पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। लेकिन, राजस्थान की अहम विधानसभा सीट में से एक फतेहपुर विधानसभा सीट पर क्या हाकम अली दोबारा जीत का परचम लहरा पाएंगे या फिर कांग्रेस के गढ़ में असदुद्दीन ओवैसी सेंध लगाने में कामयाब होंगे। वैसे इस बार फतेहपुर विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह तो जनता ही तय करेगी।
फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र सीकर जिले में स्थित है। यह क्षेत्र झुंझुनूं लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यहां अभी कांग्रेस के हाकम अली खां विधायक है। फतेहपुर में सबसे पहले 1957 में चुनाव हुए थे। तब पहली बार कांग्रेस का विधायक चुनाव गया था और अब भी कांग्रेस पार्टी का ही विधायक है।
खास बात ये रही कि साल 1957 के विधानसभा चुनाव में 12 प्रत्याशी मैदान में थे। जिनमें से 11 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी और अब्दुल गफ्फार खां पहली बार विधायक चुने गए थे। लेकिन, इस बाद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी अब पूरी तरह से मैदान में उतर गई है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या हाकम अली खां दोबारा जीतने में कामयाब होंगे या नहीं। ओवैसी ने तो फतेहपुर विधानसभा से एडवोकेट जावेद अली को एआईएमआईएम पार्टी से अपना अधिकृत उम्मीदवार घोषित कर दिया है।
फतेहपुर का माना जाता है कांग्रेस का गढ़
फतेहपुर विधानसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। यहां पर सीकर के महरिया परिवार सहित कांग्रेस के भवंरू खां और बीजेपी के पूर्व विधायक बनवारी भिंडा के परिवार का प्रभाव रहा है। लेकिन, यहां पर सबसे ज्यादा बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। इतना ही नहीं, भवरू खां तो 15 साल तक फतेहपुर से विधायक रहे है।
हाकम अली खान भी तीन बार के पूर्व विधायक भंवरू खां के छोटे भाई हैं, जो अभी विधायक है। लेकिन, माना जा रहा है कि कांग्रेस के गढ़ में ओवैसी इस बार सेंध लगाने में कामयाब हो सकते है। क्योंकि यह क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। वहीं, मौजूदा विधायक पर भी मुस्लिम इलाकों को छोड़कर अन्य इलाकों में विकास कार्य नहीं करवाने का आरोप लगता रहा है।
कैसा है जातीय समीकरण?
इस क्षेत्र में वोटर्स की कुल संख्या 2 लाख 50 हजार है। जिनमें से 1 लाख 30 हजार पुरुष और 1 लाख 20 हजार महिला वोटर्स हैं। लेकिन, खास बात ये है कि यहां 65 हजार वोटर्स जाट समाज के हैं और 60 हजार वोटर्स मुस्लिम समुदाय के है। वहीं, 30 हजार एससी-एसटी है और अन्य में ब्राह्मण, माली, गुर्जर, सुनार सहित अन्य जातियां हैं।
अब तक के चुनावी आंकड़ों की बात करें तो यहां मुस्लिम चेहरा ही सबसे ज्यादा बार विधायक बना है। क्योंकि मुस्लिम वोट एक ही जगह पड़ते है। लेकिन, हिंदू वोटर्स कई धड़ों में बंटे जाते है। इस कारण ही मुस्लिम कैंडिडेट जीत जाता है।
1957 से अब तक इतिहास कैसा रहा?
फतेहपुर में साल 1957 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अब्दुल गफ्फार खां, 1962 में निर्दलीय बालूराम, 1977 में जेएनपी के आलम अली खान, 1980 में सीपीएम के त्रिलोक सिंह, 1985 में कांग्रेस के अली से पूछो, 1990 में जेडी के दिलसुख राय, 1993 में बीजेपी के बनवारी लाल, 1998 में कांग्रेस के भवरू खान, 2003 में कांग्रेस के भवरू खान, 2008 में कांग्रेस के भवरू खान, 2013 में आईएनडी के नंदकिशोर महराया और 2018 में कांग्रेस के हाकम अली विधायक चुने गए।