कोटा। नगर विकास न्यास ने किशोरपुरा चंबल नदी के किनारे स्थित भूखंड का बिना सत्यापन किए ही कब्रिस्तान की डीपीआर बना दी। इस पर चारदीवारी और मिट्टी भरने के नाम पर 80 लाख का टेंडर भी जारी कर दिया। अब स्थानीय लोगों ने इसका विरोध करते हुए निर्माण कार्य का विरोध जताते हुए काम रुकवा दिया है। स्थानीय निवासी युधिष्ठिर खटाना, पार्षद धीरेंद्र चौधरी बिंबाधर शर्मा, संजय साहनी, शुभम चौधरी, रविंद्र चौपड़ा, महावीर कुशवाह, राजू गुर्जर, रवि राठौर समेत किशोरपुरा के निवासियों ने बताया कि यूआईटी की ओर से जिसे खसरा नंबर 3 बताया जा रहा है, वह असल में खसरा नंबर 13 है। स्थानीय लोगों का दावा है कि यहां पर रियासतकालीन सूरदास समाधि स्थल है, जहां संतों की समाधियां बनी हुई हैं।
कोटा बैराज के निर्माण कार्य की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार खसरा नंबर-3 नदी के डूब क्त्र में है। अब यूआईटी इन समाधियों को मजार बताकर कब्रिस्तान बनाने पर आमादा है। सरकारी रिकॉर्ड में कोटा बैराज का निर्माण कार्य करते समय जो मुआवजा राशि जारी की गई थी। उसमें भी कब्रिस्तान का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। यहां पास ही में छोटा रामद्वारा, बड़ा रामद्वारा, छोटी समाधि समेत विभिन्न हिंदू धर्म स्थल मौजूद हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार रियासतकाल में नृत्यांगना अली बीबी की मजार बनाई गई थी, जो खसरा नंबर 3 में थी। यह स्थान वर्तमान में चंबल नदी में डूब गया है। अब सूरदास समाधि स्थल को हथियाने के लिए यूआईटी का इस्तेमाल करके षड्यंत्र रचा जा रहा है।
बिखरे पड़े हैं सूरदास की समाधि के अवशेष, कई जगह की गई तोड़फोड़
स्थानीय लोगों ने बताया कि सूरदास समाधि स्थल में समाधियों के ऊपर नाग-नागिन के चिह्न, कमल के फू ल और अन्य पुष्पों के कं गूरे बने हुए हैं। प्राचीन शिवलिंग और तिबारियां भी यहां मौजूद हैं। सभी समाधियों के ऊपर दीपक रखने के स्थान भी बने हुए हैं। इनसे यह स्पष्ट है कि वह वर्षों पुराना हिंदूधर्म स्थल है। ऐसे में इसका स्वरूप बिगड़ने नहीं दिया जाएगा। यहां पर समाधियों को असामाजिक तत्वों ने 1- 1 फीट खोद दिया। यहां स्थापित शिवलिंग और नंदी की प्रतिमाओं को असामाजिक तत्वों ने नष्ट करने की कोशिश की है। स्थानीय लोगों ने कहा कि पुरातत्व विभाग इस स्थल का विस्तृत सर्वेक्षण कर सच को सामने लाएं । स्थानीय निवासी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और यूआईटी अधिकारियों को मिलकर वस्तु स्थिति से अवगत करा चुके हैं। शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए वर्तमान में यहां पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है।
सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल रहा है किशोरपुरा
स्थानीय लोगों ने कहा कि इस स्थान को लेकर 1990 में भी विवाद हुआ था। तब आर्मी की बटालियन कईं दिनों तक डेरा डाले रही थी। अब फिर से चुनाव के समय इस मुद्दे को उठाकर सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि किशोरपुरा 1981 के दंगों के समय भी सामाजिक सौहार्द की मिसाल बना था। पूरे शहर में सांप्रदायिक उन्माद के बावजूद किशोरपुरा में भाईचारा कायम रहा था। यहां हिन्दू-मुस्लिम शांति समितियां काम कर रही थीं।