जयपुर के महात्मा गांधी अस्पताल से एक डॉक्टर्स की लापरवाही भरी खबर सामने आई है। यहां एक महिला के पेट के ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर्स ने उसके पेट में कैंची ही छोड़ दी। जब महिला को ऑपरेशन के बाद भी भयंकर दर्द हुआ तब परिजन उसे लेकर SMS अस्पताल पहुंचे, यहां पर महिला की जब एक्स-रे जांच की गई तो पचा चला कि उसके पेट में कैंची है।
महात्मा गांधी अस्पताल की करतूत, SMS में हुआ इलाज
जिस महिला के साथ ही घटना हुई वह सवाई माधोपुर की रहने वाली है। 30 वर्षीय महिला के परिजनों ने बताया कि उसके पेट में कुछ समय से दर्द की शिकायत थी। उसे बीते 20 अप्रैल को सीतापुरा स्थित महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां पर डॉक्टर्स ने उसकी सर्जरी की। इसके बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया और वे मरीज को वापस घर ले आए लेकिन महिला के पेट में ऑपरेशन के बाद से ही भयंकर दर्द शुरू हो गया था। हालत बिगड़ती देख परिजन उसे आनन-फानन SMS. अस्पताल में लेकर आए। यहां पर जब उसकी एक्स-रे जांच की गई तो उसके पेट में कैंची देखी गई। इसके बाद डॉक्टरों ने देर रात 12:30 बजे महिला का ऑपरेशन किया।
महात्मा गांधी अस्पताल प्रशासन का मामले से इनकार
सफल सर्जरी कर महिला के पेट से कैंची बाहर निकाली गई। जिसके बाद अब पीड़िता स्वस्थ है और कल मंगलवार को उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। इस मामले में महात्मा गांधी अस्पताल के अधीक्षक डॉ आर सी गुप्ता ने कहा कि उन्हें तो इस मामले की जानकारी ही नहीं है। उनके संज्ञान में अभी तक इस तरह का कोई मामला नहीं आया है। लेकिन इधर परिजनों का कहना है कि महात्मा गांधी अस्पताल के ही डॉक्टरों ने ऑपरेशन के दौरान महिला के पेट में कैंची छोड़ दी थी लेकिन इधर अस्पताल की बात मानने को राजी ही नहीं है।
पहले भी आ चुके हैं इस तरह के मामले
पेट में कैंची समेत इस तरह का सामान छोड़ने का ये मामला नया नहीं है। इससे पहले भी कई राज्यों और शहर से पेट में सर्जरी का सामान छोड़ने के केस आ चुके हैं,कई मामलों में तो मरीज की जान तक चली गई है। 11 दिसंबर 2017 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में एक गर्भवती महिला के प्रसव के दौरान डॉक्टर्स ने उसका ऑपरेशन किया था।इस दौरान उन्होंने उसके पेट में कैंची छोड़ दी थी। बच्चे को जन्म देने के दो महीने बाद उस महिला की इसी वजह से मौत हो गई थी।
14 मई 2022 को बिहार से एक मामला सामने आया था, जिसमें एक महिला के पेट में डॉक्टर्स ने कैंची छोड़ दी थी, हैरानी की बात ये है कि इसका पता 11 साल बाद चला। जिसके बाद महिला अस्पताल के खिलाफ तहरीर देने और इलाज के लिए दर-दर भटकती रही थी। डीएम-एसपी तक महिला के परिजनों ने आवेदन दिए थे, आखिर में महिला की मौत हो गई।