ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा आज विधानसभा में जमकर गरजीं। उन्होंने उनके विधानसभा क्षेत्र ओसियां में 44 सड़कों का काम रोकने के विरोध में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल पर जमकर निशाना साधा। भरी हुई विधानसभा में उन्होंने शांति धारीवाल को खुले तौर पर चुनौती दे दी कि अगर उनके क्षेत्र की सड़कों का निर्माण शुरू नहीं किया गया, अगर उन्हें रोकने की जिद पर मंत्री जी अड़ ही गए हैं तो वे भी वीरांगनाओं की तरह ओसियां विधानसभा क्षेत्र में उनकी जनता के लिए मुंह में घास लेकर धरने पर बैठ जाएंगी और अगर मंत्री जी में दम हो तो रात के 3:00 बजे उन्हें उठा कर दिखा दीजिएगा।
ओसियां की 44 सड़कों का काम रोकने पर फूटा गुस्सा
दरअसल दिव्या मदेरणा यहां पर अपने विधानसभा क्षेत्र ओसियां में 44 सड़कों का काम रुकने को लेकर सवाल पूछ रहीं थीं। उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र में 44 सड़कों का काम रुका हुआ है इसे लेकर जेडीसी आए दिन उन्हें बरगला रही है। उन्होंने कहा कि इसे लेकर उन्होंने जब मंत्री जी से बात की तो उन्होंने कहा कि हमसे टकराना मना है। दिव्या मदेरणा ने कहा कि मेरे क्षेत्र के 44 सड़कों का काम कराने से मंत्री जी ने साफ मना कर दिया। आखिर ऐसा मेरे क्षेत्र में ही क्यों हुआ जो उन्होंने इस तरह से मना ही कर दिया।
राजनीतिक द्वेष के लिए मेरे क्षेत्र को अलग-थलग किया
दिव्या मदेरणा ने विधानसभा के अंदर शांति धारीवाल पर राजनीतिक द्वेष का आरोप लगाते हुए कहा कि राजनीतिक भेदभाव में इन्होंने मेरे क्षेत्र में सड़कों का काम करवाने से रुकवा दिया। ऐसा पहले भी हुआ है लेकिन इस बार सिर्फ 2 दिनों में ऐसा क्या हुआ जो मंत्री जी इतनी जिद पर आ गए। दिव्या ने कहा कि मैंने किरोड़ी लाल मीणा को आतंकित कहने का विरोध और वीरांगनाओं का समर्थन किया था क्या इसका बदला मंत्री जी मुझसे ले रहे हैं ? तो मैं कह दूं कि मैं वह शख्स हूं जो अपने बलबूते पर हूं, मैं किसी की हां में हां नहीं मिला सकती, मैं सच के लिए खड़ी हूं, गलत के लिए मैं कभी हां में हां नहीं मिला सकती।
मुंह में घास लेकर धरने पर बैठूंगी…दम हो तो रात के 3 बजे उठाकर दिखा देना
दिव्या मदेरणा ने शांति धारीवाल को लेकर कहा कि मंत्री जी बेहद जिद्दी हैं और उनकी तो सरकार में काफी चल भी रही है। उनके आगे तो सारे नतमस्तक हो जाते हैं, अगर वह भी अपनी जिद पकड़े हुए हैं कि वह मेरे क्षेत्र में 44 सड़कों का काम शुरू नहीं करेंगे तो मैं भी कह दूं कि मैं भी अपनी ओसियां की जनता के लिए वीरांगनाओं की तरह मुंह में घास लेकर धरने पर बैठ जाऊंगी और अगर आप में दम हो तो मुझे रात के 3:00 बजे वहां से उठा कर दिखा दीजिएगा।
उधार का है मंत्रालय..जिस पर इतना गुरूर
दिव्या ने शांति धारीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस मंत्रालय का इन्हें इतना गुरूर है, जिस मंत्रालय के की तरफ से वह कागजों पर जिस कलम से साइन करते हैं, उस पर इन्हें इतना गुरूर है तो मैं कह दूं यह भी उधार का है। हम 6 महीने में चुनाव में जाने वाले हैं हम क्या उदाहरण सेट कर रहे हैं।
जाट, मीणा, गुर्जर कांग्रेस के मूल वोटबैंक..गजब की सोशल इंजीनियरिंग
दिव्या मदेरणा ने हाल के घटनाक्रमों पर विधानसभा में कई तीखे बयान भी दिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को वोट बैंक को इनके मंत्री ही दूर करने में लगे हुए हैं। बीते दिनों हुए किरोड़ी लाल मीणा को इन्होंने आतंकी कहा। जिससे मीणा वोट बैंक काफी आक्रोशित है। जाट समाज की वीरांगना मंजू जाट को इन्होंने नाते कहकर पुकारा था। जिससे जाट वोट हमसे नाराज हो सकता है, हमारे समुदाय का इस तरह से अपमान हम बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर सकते। तो वही गुर्जर समुदाय को लेकर उन्होंने कहा कि गुर्जर कांग्रेस को कितना चाहते हैं यह तो सर्वविदित है।
गुर्जर, मीणा और जाट यह तीनों जात खेतिहर है और कांग्रेस का मूल वोट बैंक है। क्या गजब की सोशल इंजीनियरिंग इन के मंत्री कर रहे हैं? 6 महीने बाद हम चुनाव में जाने वाले हैं। दिव्या ने कहा कि इन्होंने किरोड़ी लाल मीणा को आतंकी कहा, इसके बदले में भाजपा ने हमारे प्रभारी को आतंकी कहा, क्या एग्जांपल सेट कर रहे हैं हम ? 6 महीने बाद चुनाव है आखिर हम किस मुंह से जनता के सामने जाएंगे।
ना 20 में आपके साथ थी ना 22 में आपके सात थी…सही के साथ हूं…
दिव्या मदेरणा ने कहा कि अगर राजनीतिक पक्षपात को लेकर मेरे क्षेत्र को अलग-थलग किया जा रहा है, तो मैं बता दूं कि मैं एक जनप्रतिनिधि हूं, लड़की हूं लड़ सकती हूं, प्रियंका गांधी के नारे को मैं उद्धत करती हूं। अपना हक में लेकर रहूंगी और अगर आप साथ की बात करते हैं तो मैं कह दूं कि मैं ना 20 में साथ थी और ना 22 में साथ थी। मैं जो सही था उसके साथ हूं।
मुख्यमंत्री की दिया धन्यवाद
दिव्या मदेरणा ने यहां वीरांगनाओं के मामले में मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने यह बात सही कही है कि वीरांगनाओं और शहीदों के परिवार से बाहर किसी को नौकरी नहीं दी जा सकती, क्योंकि कल को उनके ही समाज में किसी दूसरे को नौकरी को लेकर महिला पर ही सवाल खड़े हो सकते हैं, इसलिए यह नौकरी सिर्फ और सिर्फ उनके बच्चों को ही देनी चाहिए। उनके बच्चे डॉक्टर बने, आईएएस बने, इंजीनियर बने और अगर किसी कारणवश उनकी नौकरी नहीं लग पाती है तो फिर सरकार उनकी नौकरी को रिजर्व रखे। मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने यह फैसला बिल्कुल सही लिया है।