जयपुर। शहर में सर्दी से निजात पाने के लिए लोग आयुर्वेद लड्डू खाना पसंद कर रहे हैं। कोरोना के बाद इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए लोगों का रुझान इस ओर बढ़ा है। राजधानी के बाजार में इस तरह के लड्डुओं की मांग तेजी से बढ़ रही है। यही वजह है कि बाजार में 100 से अधिक तरह से लड्डू बनाए जा रहे हैं। बच्चों को ध्यान में रखते हुए चॉकलेट लड्डू भी बाजार में मिल रहे हैं। इन लड्डुओं मेंभी ऐसी जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाता है, जिनकी तासीर गर्म होती है।
बातचीत में दुकानदारों ने स्वीकार किया कि हर किस्म के लड्डू की अलग खासियत है। इनका स्वाद भाता है और इसमें मौजूद औषधीय गुण बीमारी में भी लाभदायक होते है। कई दुकानों से तो फ्रांस, जर्मनी और इंग्लैंड में भी लड्डू जाते हैं। इन लड्डुओं की खासियत यह है कि ये दो माह से चार माह तक खराब नहीं होते।
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ये लड्डू खा रहे शहरवासी
शहरवासियों को सर्दी में ये आयुर्वेदिक लड्डू खासे पसंद आ रहे हैं। वे ऑर्डर देकर भी अपनी पसंद के लड्डू बनवा रहे हैं। इसके साथ ही इन लड्डुओं में औषधीय गुण होने के कारण कई बीमारियों में लोग इन्हें अपने सगे-संबंधियों को भी भिजवा रहे हैं। शहरवासियों को वैसे तो सभी तरह के लड्डू पसंद आ रहे हैं, लेकिन इनमें खासतौर पर ड्राई फ्रूट गोंद लड्डू, मेथी लड्डू, खजूर मखाने लड्डू, काजू अंजीर लड्डू, सोंठ लड्डू, अजवाइन लड्डू, अमलतास लड्डू, बबूल की फली के लड्डू, बड़ के दूध के लड्डू, चॉकलेट लड्डू, पान लड्डू, कपूर के लड्डू, तिल बाजरे के लड्डू और दूध लड्डू भा रहे हैं।
विशेष विधि से बनाए जाते हैं लड्डू
बड़ के दधू का लड्डू एक विशेष विधि से बनाया जाता है। इस लड्डू को बनाने में 20 से 25 दिन लग जाते हैं। इसके औषधीय गुण शरीर की दुर्बलता को दूर करते हैं। बड़ के दूध को राजस्थान के कई ग्रामीण इलाकों से मंगवाया जाता है। बड़ के पेड़ की जड़ को जमीन से 3 फीट नीचे खोद कर निकला जाता है।
जड़ के बाहर निकलते ही उसमें से दूध निकलता है, जिसे भेड़ बकरियां चराने वाले चरवाहे बोतल में लेकर बेचते हैं। इस दूध की भी काफी डिमांड रहती है। बाजार में ये दूध करीब 13000 रुपए किलो में बेचा जा रहा है। इस दूध के लड्डू को बनाने से पहले करीब 20 से 25 दिन तक नारियल खोपड़े में सुखाया जाता है। दूध के सूखने के बाद विशेष विधि से लड्डू तैयार किए जाते हैं।
लोगों के ऑर्डर पर भी बनाए जा रहे विशेष लड्डू
जयपुर में 300 प्रकार के लड्डू बनाने का दावा करने वाले मोहन हलवाई ने बताया कि सर्दी में लोगों का खान पान में बदलाव आ जाता है। हर कोई अपनी सेहत को सही रखना चाहता है। लोगों की मांग पर आयुर्वेद से विधि से कई प्रकार के लड्डू बनाए जा रहे हैं। इसमें बड़ के दूध का लड्डू, बबूल की फली, कपूर, अमलतास, गोंद के लड्डू की मांग सबसे ज्यादा है।
बड़ के दूधस के लड्डू छह हजार रुपए प्रति किलो में मिल रहा है, वहीं अमलतास के लड्डू दमे की बीमारी में फायदेमंद होता है तो कपूर का लड्डू जोड़ों के दर्द के लिए लाभकारी होता है। शहरवासी ड्राई फ्रूट, ब्रास के लड्डू, मैथी लड्डू, खजूर-मखाना, काजू-अंजीर, सौंठ, अजवाइन, पान, कपूर, तिल, बाजरे से लेकर दूध के लड्डू पसंद कर रहे हैं।
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विदेश में भी बनाए जा रहे हैं ये लड्डू
आयुर्वेद में भी कई तरह की जड़ी-बूटियों से बने लड्डूओं का जिक्र है, जिनके सेवन से लोग अपने स्वास्थ्य को दुरुस्त रख सकते है। अमलतास के लड्डू दमे की बीमारी में फायदा देता है तो कपूर का लड्डू जोड़ों के दर्द के लिए सही रहता है। इन सभी को एक विशेष विधि से बनाया जाता है। सर्दियों में ये फासदेमंद होते है। आयुर्वेद के गुणों से भरपूर इन औषधि युक्त लड्डुओं को विदेश में भी बनाया जा रहा है। इसके लिए विशेष कारीगरों की सहायता ली जाती है। डॉ. पीयूष त्रिवेदी, आयुर्वेदाचार्य