उदयपुर। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज उदयपुर दौरे पर हैं। वे यहां जनार्दन नागर यानी जेआरएन राजस्थान विद्यापीठ के 16 दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। उन्होंने यहां छात्र-छात्राओं को उनकी उपाधि प्रदान की। इनमें 32 पीएचडी 14 स्वर्ण पदक धारक शामिल थे राजनाथ सिंह ने कार्यक्रम को भी संबोधित किया।
मेवाड़ राणा की शक्ति, मीरा की भक्ति, पन्नाधाय की युक्ति की धरा
राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे बारे में इतने शाब्दिक अंलकरणों का और इतने विशेष शब्दों का प्रयोग क्यों किया जा रहा है। मुझे ऐसा लगता है कि जो देखने में ठीक-ठाक नहीं होता है, तो उसे घर में डेंटिंग-पेंटिंग, मेंटेनेंस किया जाता है और अलंकारों से अलंकृत किया जाता है। वैसे ही शब्दों के अलंकार जो होते हैं हम सभी लोगों को हम सबको विभूषित कराने की कोशिश की जा रही है, ताकि हम को लोगों के सामने ठीक तरह से पेश किया जा सके।
आज मुझे यहां कर बेहद खुशी है मैं जल्दी राजस्थान में आता हूं। तो राणा की शक्ति, मीरा की भक्ति और पन्नाधाय की युक्ति, भामाशाह की शक्ति, भामाशाह की संपत्ति, स्वाभाविक रूप से हमारे ध्यान में आती है। यह हमारे राजस्थान की हवाओं में उनकी कथाएं तैरती रहती हैं।
रिजल्ट के आधार पर तय न करें बच्चों का भविष्य
राजनाथ सिंह ने कहा कि आप सभी ने अपने जीवन में कुछ लक्ष्य निर्धारित कर रखे हैं। कोई लक्ष्य आपके जीवन में बड़ा कैसे हो सकता है। आप से बड़ा लक्ष्य कैसे हो सकता है। डॉक्टर या इंजीनियर बनना बहुत बड़ी बात होती है। पर जैसा कहते हैं कि यह कोई दुनिया का अंत नहीं है। मैं मानता हूं कि कोई भी युवा निराश होकर अप्रत्याशित कदम उठाता है तो इस समाज के रूप में हमारा फेलियर है। इस मौके पर एक बच्चे के माता-पिता, अध्यापक, दोस्त रिश्तेदार इन सब से मैं यह कहना चाहता हूं कि कभी अपने बच्चों का केवल उनके परीक्षा के परिणामों के आधार पर मूल्यांकन ना करें।
अपने बच्चे को सिर्फ मेहनत करने के नजरिए से देखें। हमें समझना होगा हर एक व्यक्ति अलग होता है और हम सब को एक जैसा बनाने की कोशिश क्यों करते हैं। सबके जीवन का अलग उद्देश्य है सब एक ही हूं। ऊंचाई को सभी हासिल नहीं कर सकते हैं। कोई नीचे रह सकता है कोई ऊपर जा सकता है।
डेडिकेशन हो लाइफ में
हमें अपने युवाओं को ही बात समझानी होगी कि उन्हें अपने आप को साबित करने के लिए सिर्फ किसी डिग्री यह पोस्ट की आवश्यकता नहीं है। ऐसा होता तो विश्व के सभी बड़े वैज्ञानिक, बुद्धिजीवी, इन्वेंटर्स सिर्फ बड़े एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन से निकलते लेकिन ऐसा नहीं है। आपको पता होगा महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन को उनके टीचर बिल्कुल पसंद नहीं करते थे। क्योंकि वह केवल मैथमेटिक्स और साइंस पढ़ते थे लेकिन उस में बहुत कमजोर थे। दूसरे सब्जेक्ट में फेल हो जाते थे। उनके टीचर ने तो उन्हें पढ़ाने से मना कर दिया था। इसके बाद उनके घर पर उनकी मां ने उन्हें पढ़ाया। आज उनका नाम कौन नहीं जानता।
महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया
बता दें कि इससे पहले राजनाथ सिंह ने महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। उन्होंने विद्यापीठ परिसर में बने क्रिकेट स्टेडियम के पवेलियन का भी लोकार्पण किया।