जयपुर। कोरोना कब का चला गया है। अब स्थितियां सामान्य हैं। सारी पाबंदियों हटा दी गई हैं, लेकिन यह बात शायद सिर्फ बाकी दुनिया के लिए लागू है। राजधानी में पुरातत्व विभाग के स्मारकों में तो अभी भी वैसी ही स्थिति है, खासकर ऑडियो गाइड मशीन की सुविधा के मामले में तो यह है ही। उस समय बंद की गई ऑडियो गाइड मशीन की सुविधा कोरोना फैलने का खतरा बताते हुए अब तक शुरू नहीं की गई है। इससे आम पर्यटक के अलावा विदेशी पर्यटकों को भी स्मारकों से जुड़ी सही जानकारी नहीं मिल पा रही है।
ऐसे में पर्यटकों गाइडों द्वारा दी जा रही आधी-अधूरी जानकारी से ही काम चलाना पड़ रहा है। गौरतलब है कि इस मशीन की सहायता से स्मारकों के बारे में पर्यटकों को हिंदी और अंग्रेजी के अलावा कई भाषाओं में छोटी से छोटी जानकारी भी दी जाती थी। इससे पर्यटक घूमते हुए नम्बरों की मदद से प्रत्येक जानकारी प्राप्त करते थे। सच बेधड़क ने अधिकारियों से बात की तो उन्होंने इस मशीन के शुरू होने से कोरोना फैलने की बात कही, जबकि यहां स्थिति लगभग सामान्य है।
मशीन ऑपरेट करना आसान
यह गाइड मशीन पर्यटकों को स्मारकों की टिकिट खिड़कियों पर मिलती थी। यहां से मशीन उपलब्ध करवाने वालों की ओर से प्रति मशीन पचास से डेढ़ सौ रुपये का चार्ज वसूला जाता था। पर्यटक के लिए मशीन को ऑपरेट करना बहुत आसान था। पर्यटक एक हाथ में मशीन और गले में हेडफोन टांग कर जगह- जगह जिस पॉइंट और वास्तु की जानकारी चाहिए होती थी वहां से जुटा लेता था। इस मशीन से ट्यूरिस्ट गाइड के चक्कर से राहत मिल गई थी।
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विदेशी पर्यटकों को हो रही अधिक परेशानी
विदेश से राजधानी के स्मारक घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए ऑडियो गाइड मशीन काफी मददगार साबित हुई थी। सूत्रों की मानें तो कोरोना से पहले रोजाना करीब पचास विदेशी पर्यटक इस मशीन को किराए पर लेते थे। इसका एक प्रमुख कारण अंग्रेजी में सही जानकारी देना भी रहा। हालांकि, सभी स्मारकों पर गाइड् स आसानी से मिल जाते हैं, मगर मशीन से प्रत्येक वास्तु की एकदम सटीक और विस्तृत जानकारी मिलती थी।
लगाई जाए मशीन, नहीं है कोरोना
पुरातत्व विभाग के निदेशक महेंद्र सिंह खड़गावत ने कहा कि जब अभी कोरोना पूरी तरह गया नहीं है। अगर ऑडियो गाइड मशीन लगाएं गे तो कोरोना फैलने का खतरा रहेगा, क्यूंकि मशीन एक हाथ से दूर हाथ में जाएगी। वहीं, पर्यटक विवेक कुमार ने कहा कि जब मैं कोरोना से पहले यहां घूमने आया था, तब मैंने यहां से गाइड मशीन किराए पर ली थी, जिसने यहां की सभी चीजों से जुड़ी पर्याप्त जानकारी मिली थी। इस बार जब मैंने मशीन मांगी तो टिकट काउंटर पर मशीन नहीं होने की बात कही।