Rameshwar Dadhich : जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर आज प्रत्याशियों के नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि है। अब तक 94 प्रत्याशियों ने नाम वापस ले लिया है। खास बात ये है कि सूरसागर विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार पूर्व महापौर रामेश्वर दाधीच ने भी आज अपना नामांकन वापस ले लिया है। कांग्रेस के लिए यह अच्छी खबर है। दाधीच ने सूरसागर सीट से कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा करते हुए नामांकन दाखिल किया था।
सूरसागर से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल करने वाले पूर्व महापौर रामेश्वर दाधीच आज सुबह कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। जहां पर उन्होंने रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष अपना नाम वापस ले लिया। इस दौरान उन्होंने मीडिया से कहा कि जिन लोगों ने मुझे मेरा नॉमिनेशन करने में मदद की उन्हीं लोगों का दबाव था कि मैं नामांकन वापस लूं। इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने अपना नामांकन वापस लिया है।
कौन है रामेश्वर दाधीच?
रामेश्वर दाधीच की शक्ल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलती-जुलती है और इस कारण ही उन्हें सीएम गहलोत का हमशक्ल कहा जाता है। वो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबियों में से एक है। साल 2018 में अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के बाद रामेश्वर दाधीच को जोधपुर नगर निगम का महापौर बनाया गया था। इस बार वो सूरसागर से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन, कांग्रेस ने इस सीट से शहजाद खान को चुनावी रण में उतार दिया।
इससे वो इतने खफा हुए कि उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए सूरसागर सीट से नामांकन दाखिल कर दिया। ऐसे में कांग्रेस के कई नेता पिछले 3 दिन से उन्हें लगातार मनाने में जुटे रहे। आखिरकार, कांग्रेसी नेताओं की मेहनत रंग लाई और दाधीच ने अपना नामांकन वापस ले लिया। अब वो कांग्रेस प्रत्याशी शहजाद खान का समर्थन करेंगे।
इधर, बीजेपी के बागी हकरू मईडा माने
इधर, बीजेपी के लिए भी अच्छी खबर सामने आई है। बांसवाड़ा विधानसभा सीट पर भाजपा से बागी हकरू मईडा को मनाने में नेता सफल हो गए है। मईडा ने बांसवाड़ा सीट से नामांकन दाखिल किया था। लेकिन, अब वापस ले लिया है। इससे प्रत्याशी धनसिंह रावत सहित बीजेपी नेताओं को राहत मिली है। भाजपा से बागी हकरू मईडा को मनाने में बीजेपी जिला अध्यक्ष लाभचंद पटेल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आज 3 बजे स्थिति हो जाएगी साफ
बता दें कि आज दोपहर 3 बजे बाद राजस्थान की तस्वीर साफ हो जाएगी कि कौन-कौन चुनावी रण में डटे हुए है और कौन-कौन रण से बाहर हो गए है। चुनावी मैदान में डटे हुए बागी उम्मीदवारों ने कांग्रेस-भाजपा की सांसे ऊपर नीचे कर रखी है। लेकिन, कुछ बागियों को मनाने में दोनों ही पार्टियों को सफलता मिली है।
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