जयपुर: राजस्थान के मौसम में इन दिनों काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है जहां कभी तेज धूप तो अगले ही दिन बादलों का साया है, ठीक इसी तरह राजनीतिक दलों ने चुनावी मौसम को भांपते हुए कमर कस ली है और चुनावी तैयारियों में वोटर्स की नब्ज टटोलने की कवायद शुरू कर दी है. बीजेपी खेमे में जहां पीएम मोदी के चेहरे पर बीजेपी चुनावी मोड में आ चुकी है वहीं कांग्रेस आलाकमान भी अब कर्नाटक के बाद राजस्थान को लेकर सक्रिय हो गया है जहां 2023 में सत्ता वापसी को लेकर प्रयास तेज हो गए हैं.
इस बीच सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि राजस्थान को लेकर कांग्रेस आलाकमान सीएम अशोक गहलोत के चेहरे पर चुनावी मैदान में उतरने जा रहा है जहां गहलोत सरकार की योजनाओं को आधार बनाकर सरकार रिपीट करवाने का रास्ता निकाला जाएगा.
मालूम हो कि कर्नाटक चुनावों में ‘गहलोत मॉडल’ को लेकर काफी चर्चा हुई थी जिसका परिणाम चुनावी नतीजों में देखने को मिला था. इसी तर्ज पर गहलोत सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर अब राजस्थान का रण लड़ा जाएगा. वहीं राजस्थान को लेकर दिल्ली में 30 मई के बाद उच्च स्तरीय बैठक हो सकती है.
कर्नाटक में चमका था ‘गहलोत मॉडल’
दरअसल कर्नाटक के विधानसभा चुनावों के दौरान गहलोत सरकार के राजस्थान में किए गए नवाचारों को कांग्रेस के घोषणा पत्र में शामिल किया था जिनमें गहलोत ने चुनावी अभियान के दौरान राजस्थान सरकार की 25 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज वाली चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, 1 करोड़ 35 लाख महिलाओं को मुफ्त मोबाइल फोन योजनाओं की जानकारी दी.
मालूम हो कि इससे पूर्व गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों में भी राजस्थान मॉडल की झलक देखी गई थी जहां हिमाचल के चुनावों में ओपीएस को लेकर कांग्रेस के पक्ष में हवा बनी थी. दरअसल बेंगलुरु में चुनाव प्रचार अभियान के दौरान खुद सीएम गहलोत ने राजस्थान की तर्ज पर सामाजिक सुरक्षा पर जोर दिया और उसी के सहारे बीजेपी की घेराबंदी तेज की.
इसके अलावा गहलोत ने शहरी मनरेगा और राइट टू हेल्थ कानून का भी कर्नाटक में जिक्र किया था. बताया जा रहा है कि गहलोत की योजनाओं को कांग्रेस आलाकमान ने हिमाचल के बाद कर्नाटक में परखा जिसका नतीजा सभी के सामने हैं. ऐसे में अब राजस्थान को लेकर भी गहलोत को उनकी य़ोजनाओं पर फ्री हैंड देने की चर्चाएं जोरों पर है.