राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने के बाद प्रदेश कांग्रेस पूरी तरह से एक्टिव होकर संगठन और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में जुट गई है। अब प्रदेश कांग्रेस पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोलने के लिए मंगलवार से पांच दिन तक लगातार सभी संभागों में बैठकें करेगी। जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा मौजूद रहेंगे। बैठकों में भाग लेने के लिए देर रात प्रभारी रंधावा जयपुर पहुंचे।
इन बैठकों में वर्तमान और निवर्तमान जिला अध्यक्ष, संगठन के प्रभारी, संभागों के प्रभारी, ब्लॉक अध्यक्ष, पीसीसी सदस्य, मंडल और नगर अध्यक्ष, सभी अग्रिम संगठन के जिला अध्यक्ष, संभाग में रहने वाले बोर्ड- निगम के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, विधायक- विधायक प्रत्याशी, सांसद- सांसद प्रत्याशी, पंचायती राज संस्थाओं के जनप्रतिनिधि, नगर निकाय के जनप्रतिनिधि, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद और पूर्व विधायक प्रत्याशी को शामिल होने के निर्देश दिए गए हैं।
कांग्रेस पदाधिकारियों के अनुसार बैठक में प्रदेश में संगठनात्मक नियुक्तियों, सरकार के कामकाज को कांग्रेस कार्यकर्ता के जरिए आम आदमी तक पहुंचाना और सरकार रिपीट कैसे हो, जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। साथ ही दिल्ली कांग्रेस की प्रस्तावित रैली में शामिल होने को लेकर भी पदाधिकारियों, विधायकों और प्रत्याशियों को टास्क दिया जाएगा।
बीकानेर में होगी पहली बैठक
मंगलवार 28 मार्च से संभाग स्तरीय दौरों की शुरुआत होगी। सबसे पहले 28 मार्च को सुबह 11 बजे बीकानेर संभाग से कार्यकर्ताओं के साथ बैठकों की शुरुआत होगी। जिसके बाद मंगलवार को ही दोपहर 3 बजे जोधपुर संभाग के कार्यकर्ताओं और नेताओं की बैठक होगी। इसके बाद 29 मार्च को 3 बजे उदयपुर संभाग और 31 मार्च को 11 बजे कोटा और दोपहर 3 बजे अजमेर संभाग के कार्यकर्ताओं से तीनों नेता बात करेंगे। आखिरी दिन 1 अप्रैल को सुबह 11 बजे भरतपुर और दोपहर 3 बजे बजे जयपुर संभाग स्तरीय बैठक होगी।
विपक्षी दलों के साथ आंदोलन की तैयारी
कांग्रेस संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर बड़ा आंदोलन करने की संभावनाओं पर विचार कर रही है। पार्टी अप्रैल के पहले सप्ताह में राजधानी दिल्ली में बड़ी रैली कर सकती है। इस रैली में विपक्षी दलों के नेताओं को आमंत्रित करने पर भी विचार किया जा रहा है। राजनीतिक सलाहकारों का कहना हैं कि विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा दे दिया है। इससे अन्य दल एकजुट हो सकते हैं।