जयपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राजस्थान की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। इस मौके पर पीएम मोदी ने भारतीय रेलवे के इतिहास का जिक्र करते हुए बिहार के पूर्व सीएम और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव सहित पूर्व रेल मंत्रियों पर निशाना साधा। जिसके जवाब में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पूर्व रेल मंत्रियों के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के आरोप दुर्भाग्यपूर्ण हैं। सच्चाई तो ये है कि आपके कार्यकाल में रेलवे का महत्व कम करने का काम हुआ है। रेलवे बजट को समाप्त कर रेलवे का महत्व कम किया गया है। उन्होंने कहा कि आज चल रही आधुनिक ट्रेनों का श्रेय पूर्व वित्तमंत्री मनमोहन सिंह को जाता है। यह कहना उचित नहीं कि रेलवे में विकास कार्य 2014 के बाद ही हुए हैं।
सीएम गहलोत ने पीएम मोदी के भाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया कि मुझे दुख है कि आज आपने मेरी मौजूदगी में 2014 से पूर्व के रेलमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, जगजीवनराम, सरदार स्वर्ण सिंह, गुलजारी लाल नंदा, के हनुमानथईया, ललित नारायण मिश्र, कमलापति त्रिपाठी, मधु दंडवते, पीसी सेठी, एबीए गनीखान चौधरी, मोहसिना किदवई, माधवराव सिंधिया, जॉर्ज फर्नांडीस, जनेश्वर मिश्र, सीके जाफरशरीफ, रामविलास पासवान, नीतीश कुमार, राम नायक, ममता बनर्जी, मल्लिकार्जुन खड़गे सहित सभी के कार्यकाल के फैसलों को भ्रष्टाचार एवं राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित बोलना दुर्भाग्यूर्ण है। रेलवे का महत्व कम करने का प्रयास तो आपने अपने कार्यकाल में अलग रेलवे बजट को समाप्त कर किया है।
उन्होंने कहा कि आज अगर आधुनिक ट्रेन चल पा रही है, क्योंकि डॉक्टर मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के रूप में 1991 में आर्थिक उदारीकरण किया और नई तकनीक को भारत में विकसित होने का अवसर दिया। पूरी दुनिया में समय के साथ टेक्नॉलिजकल एडवांस्मेंट हुए हैं, जिनसे भारत में भी नई तकनीक आई है और रेलवे में सुधार हुए हैं। यह कहना उचित नहीं है कि रेलवे में विकास कार्य 2014 के बाद ही हुए हैं। आज आपका भाषण पूरी तरह 2023-24 के विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों को देखते हुए दिया है एवं यह भारतीय जनता पार्टी के चुनावी एजेंडे के रूप में था। मेरा मानना है कि आपकी ऐसी टिप्पणियां प्रदेशवासियों एवं देशवासियों के गले नहीं उतरेंगी।
पीएम मोदी ने दिया था ये बयान
पीएम मोदी ने राजस्थान की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा था कि हमारे देश का दुर्भाग्य रहा कि रेलवे जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्था को भी राजनीति का अखाड़ा बना दिया गया था। आजादी के बाद भी भारत को एक बड़ा रेलवे नेटवर्क मिला था। लेकिन रेलवे के आधुनिकीकरण पर हमेशा राजनीतिक स्वार्थ हावी रहा। राजनीतिक स्वार्थ को देखकर तब ये तय किया जाता था कि कौन रेल मंत्री बनेगा, कौन नहीं बनेगा। राजनीतिक स्वार्थ ही तय करता था कि कौन सी ट्रेन किस स्टेशन पर चलेगी। राजनीतिक स्वार्थ ने ही बजट में ऐसी-ऐसी ट्रेनों की घोषणाएं करवाईं, जो कभी चली ही नहीं। हालत ये थी कि रेलवे की भर्तियों में राजनीति होती थी, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होता था। हालत ये थी कि गरीब लोगों की जमीन छीनकर उन्हें रेलवे में नौकरी का झांसा दिया गया। देश में मौजूद हजारों मानव रहित क्रॉसिंग को भी अपने ही हाल पर छोड़ दिया गया था। रेलवे की सुरक्षा, रेलवे की स्वच्छता, रेलवे प्लेटफॉर्म्स की स्वच्छता, सब कुछ नजरअंदाज कर दिया गया था। इन सारी परिस्थितियों में बदलाव 2014 के बाद से आना शुरू हुआ है। जब देश के लोगों ने स्थिर सरकार बनवाई, जब देश के लोगों ने पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनवाई, जब सरकार पर राजनीतिक सौदेबाजी का दबाव हटा, तो रेलवे ने भी चैन की सांस ली और नई ऊंचाई पाने के लिए दौड़ पड़ी। आज हर भारतवासी, भारतीय रेल का कायाकल्प होते देखकर गर्व से भरा हुआ है।