Right to Health : जयपुर। राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल पर लगातार 18 दिन से जारी गतिरोध अब खत्म हो गया है। डॉक्टर्स और सरकार के बीच आज 8 मांगों पर समझौता होने के बाद अब हड़ताल खत्म करने की घोषणा करना शेष है। माना जा रहा है कि डॉक्टर्स का प्रतिनिधि मंडल जयपुर में निकाली जा रही डॉक्टरों की रैली के बाद मुख्यमंत्री या मुख्य सचिव से मिलकर आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर सकता है। डॉक्टर्स के साथ समझौते के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ ने खुशी व्यक्त की है।
सीएम गहलोत ने ट्वीट किया कि मुझे प्रसन्नता है कि राइट टू हेल्थ पर सरकार व डॉक्टर्स के बीच अंततः सहमति बनी एवं राजस्थान राइट टू हेल्थ लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना है। मुझे आशा है कि आगे भी डॉक्टर-पेशेंट रिलेशनशिप पूर्ववत यथावत रहेगी।
बड़े अस्पतालों पर लागू होगा आरटीएच बिल
चिकित्सा मंत्री परसादीलाल मीणा ने भी निजी चिकित्सकों की हड़ताल समाप्त होने खुशी व्यक्त की है। कोटा प्रवास के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए मंत्री मीणा ने कहा कि छोटे अस्पताल जिनकी क्षमता 50 बेड या कम है, वो राइट टू हेल्थ से बाहर है। सिर्फ बड़े अस्पतालों पर राइट टू हेल्थ बिल लागू होगा। राइट टू हेल्थ बिल लाने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बना हैं।
स्वास्थ्य का अधिकार…सपना नहीं हकीकत : राठौड़
वहीं, पर्यटन निगम अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ ने भी राइट टू हेल्थ मामले में सरकार में डॉक्टर के बीच सहमति पर खुशी जताई। राठौड़ ने कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार…सपना नहीं हकीकत, राइट टू हेल्थ पर सरकार व डॉक्टर्स के बीच सहमति बनी। राजस्थान राइट टू हेल्थ लागू करने वाला देश का पहला राज्य है।
सीएम ने बुलावे पर आए थे डॉक्टर्स
बता दे कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बुलावे पर डॉक्टरों के प्रतिनिधि मंडल आज करीब 10.30 बजे वार्ता के लिए मुख्य सचिव के निवास पर पहुंचा था। इस दौरान सरकार और निजी डॉक्टर्स के बीच 8 मांगों पर सहमति बनी। समझौता पत्र प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स सोसाइटी के सेक्रेटरी विजय कपूर ने हस्ताक्षर किए। सरकार से डॉक्टर्स के समझौते को लेकर प्रमुख सचिव टी.रविकांत ने कहा कि कल डॉक्टर बातचीत की टेबल पर आएं। आज सुबह समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। समझौते के तहत 50 बेड से कम अस्पतालों में आरटीएच लागू नहीं होगा। जिन्होंने सरकार से जमीन नहीं ली है, उन अस्पतालों पर RTH लागू नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सरकार से जमीन लेने वाले अस्पताल और बड़े अस्पतालों पर ही आरटीएच बिल लागू होगा।
इन मांगों पर बनी सहमति
- प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले ही 50 बिस्तरों से कम वाले निजी मल्टी स्पेशियलिटी अस्पतालों को राइट टू हेल्थ बिल के प्रावधानों से बाहर कर दिया है।
- सरकार से बिना किसी सुविधा के स्थापित सभी निजी चिकित्सालय और रियायती दर पर भवन को भी इस बिल के प्रावधानों से बाहर रखा जाएगा।
- इसके बाद, अस्पतालों की इन श्रेणी में आरटीएच बिल के अधिनियम के जरिए कवर की जाएगी-
a. निजी मेडिकल कॉलेज अस्पताल, b.पीपीपी मोड पर बने अस्पताल, c.सरकार से निशुल्क या रियायती दरों पर उनके अनुबंध की शर्तों के मुताबिक जमीन लेने के बाद स्थापित अस्पताल (भूमि आवंटन नियम एवं शर्त के अनुसार), d. वो अस्पताल जो ट्रस्ट से संचालित होते हैं (भूमि और भवन के रूप में सरकार द्वारा वित्त पोषित) - राजस्थान में कई जगह बने अस्पतालों को कोटा मॉडल पर नियमित करने पर विचार किया जाएगा।
- आंदोलन के दौरान दर्ज पुलिस मामले और अन्य मामले वापस लिए जाएंगे।
- अस्पतालों के लिए लाइसेंस और अन्य स्वीकृतियों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम।
- फायर एनओसी नवीनीकरण हर 5 साल में माना जाएगा।
- नियमों में कोई और परिवर्तन, अगर होता है तो IMA के दो प्रतिनिधियों के परामर्श के बाद किया जाएगा