जयपुर। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने शनिवार को दिल्ली की एक अदालत में आपराधिक शिकायत दायर करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर संजीवनी घोटाले पर टिप्पणी करके उन्हें बदनाम करने का आरोप लगाया। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) हरप्रीत सिंह ने मामले का संज्ञान लिया और शेखावत की शिकायत के समर्थन में गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए इसे सोमवार के लिए सूचीबद्ध किया।
इधर, इस मामले में मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि वे संजीवनी सहकारी समिति घोटाले के संबंध में केंद्रीय मंत्री शेखावत द्वारा मानहानि मामला दायर करने के कदम का स्वागत करेंगे। उन्होंने कहा कि इससे यह मुद्दा कम से कम राष्ट्रीय स्तर पर तो लाया जा सकेगा। उन्होंने शेखावत के खिलाफ अपने आरोपों को बरकरार रखते हुए कहा कि वह घोटाले और मामले के आरोपी हैं और एक मंत्री होने के नाते उन्हें इस पर शर्म आनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मैं इसका स्वागत करूंगा। इससे मामले में तेजी आएगी और इससे उन पीड़ितों को मदद मिलेगी, जिन्होंने घोटाले में पैसा गंवाया है। मुख्यमंत्री ने एक बार फिर से अपने आरोपों को दोहराते हुए कहा कि गरीबों से ठगा यह पैसा ‘इथोपिया’ में जाकर लगाया गया है। इसमें गजेंद्र सिंह का पूरा परिवार शामिल है।
बदनाम कर रहे हैं मुख्यमंत्री: शेखावत
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले में भाजपा नेता की भूमिका होने का आरोप लगाकर उन्हें बदनाम किया। शिकायत में दावा किया गया है कि उनकी (शेखावत) प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति हुई है। गहलोत मानहानिकारक टिप्पणी कर रहे हैं, शेखावत की छवि धूमिल करने और उनके राजनीतिक कॅ रियर को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। शेखावत ने कोर्ट के बाहर मीडिया से कहा कि पिछले 3 साल से अशोक गहलोत मेरा नाम सोसाइटी के साथ जोड़ रहे हैं, जिसका न तो मेरा और ना मेरे परिवार का लेना देना है। लगातार 3 सालों से हर मौके पर वे मेरा चरित्र हनन कर रहे हैं। गहलोत ने 21 फरवरी को सचिवालय में बजट की समीक्षा बैठक के बाद कहा था कि संजीवनी घोटाले में गजेंद्र सिंह के मां-बाप, पत्नी सहित पूरा परिवार शामिल है। यहां तक तो ठीक, लेकिन पराकाष्ठा तो तब हो गई, जब उन्होंने मेरी दिवंगत मां को भी अभियुक्त कहा। मेरी मां के देवलोकगमन के बाद भी उनका सरेआम अपमान किया गया। इससे आहत होकर मैंने मानहानि का दावा पेश किया है।
चार साल से राजनीतिक अदावत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच राजनीति अदावत पिछले चार साल से चल रही है। गहलोत सरकार पर आए 2020 के सियासी संकट के मामले में भी शेखावत के खिलाफ एसीबी में विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला दर्ज कराया गया था। इस मामले में शेखावत ने गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा सहित अन्य अफसरों के खिलाफ नई दिल्ली में फोन टैपिंग का आरोप लगाते हुए मार्च, 2021 में केस दर्ज करवाया था। दिल्ली क्राइम ब्रांच में दो साल से जांच पैंडिंग है।
ईडी को भी लिखा पत्र
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि वे चाहते हैं कि यह मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संज्ञान में आए। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को पत्र लिखा है, लेकिन ईडी इस मामले को अपने हाथ में नहीं ले रही है। गहलोत ने कहा कि संपत्ति को कुर्क करने का अधिकार ईडी के पास है और राज्य पुलिस का विशेष अभियान समूह (एसओजी) आरोपी की संपत्ति जब्त नहीं कर सकता।