जयपुर: राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने श्रमिकों के कल्याण की दिशा में एक अहम फैसला किया है जहां प्रदेश के असंगठित क्षेत्र के निर्माण श्रमिक कल्याण कोष के तहत पंजीकृत सक्रिय श्रमिकों एवं चिन्हित स्ट्रीट वैंडर्स को अस्पताल में भर्ती होने के दौरान राहत पहुंचाने के प्रस्ताव को मंजूरी देने का निर्णय लिया है. सीएम गहलोत के निर्णय के मुताबिक अब पंजीकृत श्रमिक व चिन्हित स्ट्रीट वैंडर्स और उनके परिवार के 25 से 60 साल के सदस्य (पंजीकृत सक्रिय श्रमिक) को अस्पताल में भर्ती के दौरान अधिकतम 7 दिनों तक सरकार की ओर से आर्थिक सहायता दी जाएगी.
मिली जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री चिरंजीवी श्रमिक सम्बल योजना-2023 के प्रारूप को सहमति प्रदान की है जिसके बाद अब श्रमिकों को राहत मिलने का सिलसिला शुरू हो जाएगा.
सीधे खाते में आएंगे पैसे
इस योजना के मुताबिक किसी श्रमिक के अस्पताल में भर्ती होने के दौरान उसकी दैनिक मजदूरी खत्म होने की स्थिति में श्रमिक के खाते में ऑटो डीबीटी से भर्ती की अवधि या 7 दिन (जो भी कम हो) के लिए प्रतिदिन 200 रुपए की सहायता पहुंचाई जाएगी.
वहीं यह सहायता लाभार्थी के स्वयं या परिवार के सदस्य के अस्पताल में न्यूनतम 24 घंटे भर्ती होने की स्थिति में मिलेगी. इसके अलावा श्रमिक की अस्पताल में मौत होने की स्थिति में भी योजना के तहत सहायता प्राप्त की जा सकती है.
नरेगा में मेट मजदूरी अब मिलेगी 255 रुपए प्रतिदिन
वहीं एक अन्य फैसले के मुताबिक महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत राजस्थान में नियोजित मेट की प्रति दिवस मजदूरी में बढ़ोतरी की गई है जहां प्रदेश में काम करने वाले मेटों को अब हर दिन 255 रुपए मिलेंगे. मुख्यमंत्री गहलोत ने मजदूरी बढ़ाने के लिए प्रस्ताव को मंजूरी दी है.