अलवर नगर परिषद के सफाई ठेकेदार ने हड़ताल का आह्वान किया, जिसके बाद सभी सफाई कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। जिसके चलते अब अलवर कचरे का शहर बनता जा रहा है। जगह-जगह कूड़े का अंबार लगा हुआ है। नालियों तक में कूड़ा बजबजा रहा है। आलम यह है कि एक तरफ सरकार ने स्वच्छता अभियान चलाया हुआ है दूसरी तरफ यहां सफाई व्यवस्था बदहाल हो चुकी है। जिससे इलाके के लोगों को संक्रामक बीमारियां का खतरा बना हुआ है।
सफाई का नहीं किया गया भुगतान
बता दें कि जनवरी महीने की राशि के भुगतान की मांग को लेकर नगर परिषद के ठेके के 600 सफाई कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी है। त्रिमूर्ति एंटरप्राइजेज सफाई ठेका के फार्म के पार्टनर अवधेश शर्मा के मुताबिक उनकी कंपनी ने शहर में सफाई कार्य का ठेका ले रखा है। फर्म की ओर से शहर की सफाई कार्य का 58 लाख रुपए की राशि का बिल 2 जनवरी को नगर परिषद को दे दिया गया । सेक्टर प्रभारियों ने आरोपित शास्त्री काटी जाकर शेष राशि का भुगतान के लिए अभिषेक शाह की लेखा शाखा एवं आयुक्त ने 14 फरवरी को फाइल पर भुगतान करने की स्वीकृति भी जारी कर दी, लेकिन इसके बावजूद भुगतान नहीं किया गया। मजबूरन हमें हड़ताल करनी पड़ी।
पार्षदों ने ठेकेदार पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
पार्षदों का साफ तौर पर कहना है ठेकेदार लगातार भ्रष्टाचार कर रहा है शहर में सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है जिसे लेकर चेयरमैन ने कड़े शब्दों में उक्त फर्म को चेतावनी दी अपनी कमियां उजागर होता देख ठेकेदार ने हड़ताल कर दी। उनका साफ तौर पर कहना है शादियों के सीजन में सफाई ना होने के कारण वालों की स्थितियां खराब हैं। चेयरमैन से लेकर पार्षद जिसके विरोध में हैं। इसे लेकर पार्षद धरना भी देंगे साथ ही आगामी ठेका बोली में उक्त ठेका कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की भी मांग रखी जाएगी।