कोटा। राजस्थान में कोचिंग सिटी के नाम से मशहूर कोटा शहर में स्टूडेंट्स के सुसाइड करने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। इस साल से अब तक 20 स्टूडेंट मौत को गले लगा चुके हैं। कोटा में आए दिन स्टूडेंट्स के सुसाइड केस को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी चिंता जाहिर की।
शनिवार को हुई बैठक के बाद स्थानीय प्रशासन की ओर से गाइड लाइन जारी की जा रही है। स्थानीय प्रशासन की ओर से जारी किए गए आदेश में अब कोटा की किसी भी कोचिंग में संडे को टेस्ट नहीं होगा। हालांकि, ये गाइड लाइन पहले से भी थी लेकिन अब इसे सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया गया है।
वहीं कोटा में शनिवार को जिला स्तरीय कमेटी की बैठक में कलेक्टर ओपी बुनकर की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस बैठक में कोचिंग और हॉस्टल संचालक समेत कई पुलिस अधिकारी मौजूद थे।
कलेक्टर ने कहा कि बच्चे कोचिंग और रूम पर लगातार पढ़ते रहते हैं और उन्हें रिलेक्स करने का मौका नही मिलता। पहले भी मीटिंग में बच्चों को संडे की छुटटी देने के निर्देश दिए जा चुके हैं। लेकिन, फिर भी कई संस्थानों की शिकायतें आती है।
इस पर उन्होंने कोचिंग सेंटर के संचालकों को साफ कहा कि संडे को अब कोई टेस्ट नहीं होगा और इस दौरान वे पूरे दिन फ्री रहेंगे। इसके अलावा हर सप्ताह कोचिंग में मोटिवेशनल सेशन भी करवाने के लिए कहा गया है।
हॉस्टल में लगेंगे सिक्योरिटी डिवाइस…
बैठक में हॉस्टल संचालकों के लिए भी गाइड लाइन जारी की गई है। फंदे से लटककर सुसाइड करने के मामलों पर अधिकारियों का कहना था कि पंखों में सिक्योरिटी डिवाइस लगाया जाए। कलेक्टर ने कहा कि कई हॉस्टल के पंखों में ये लगा हुआ भी है। लेकिन, कइयों ने इसे लागू नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि यदि सभी हॉस्टल और पीजी में ये डिवाइस लग जाता है तो काफी हद तक बच्चों को बचाया जा सकेगा। बैठक में उन्होंने अधिकारियों को कहा कि इसे तत्काल लागू किया जाए इसके लिए अलग से आदेश भी जारी किए जाए।
साइकोलॉजी टेस्ट होगा, मॉनिटरिंग टीम बनेगी
कलेक्टर ने बताया कि बच्चों का साइकोलॉजी टेस्ट भी होगा ताकि उनकी मानसिक स्थिति का पता चल सके। ये टेस्ट हर 15 दिन में कोचिंग संचालकों के साथ हॉस्टल और पीजी मालिकों को भी करना होगा।
यदि इस टेस्ट में कोई संदिग्ध मामला आता है तो उसे चिन्हित कर घरवालों को बुलाया जाएगा और एक्सपर्ट के जरिए उसकी काउंसलिंग की जाएगी।
बैठक में अधिकारियों ने ये भी बताया कि गाइडलाइन जो जारी की जाती है उसे लागू नहीं किया जाता। इस पर कलेक्टर ने टीम बनाकर इसकी मॉनिटरिंग करने को कहा। टीम में कौन-कौन लोग शामिल होंगे ये अभी तय नहीं है।