जानवरों के खून से हुई थी उत्पत्ति! किसानों के लिए वरदान चंबल नदी…पर नहीं होती पूजा, जानें क्यों?

जयपुर। राजस्थान सहित देश के तीन राज्यों में बहने वाली चंबल नदी (Chambal river) की पहली बार औपचारिक रूप से पूजा-अर्चना की जाएगी। यह कहना…

Chambal river

जयपुर। राजस्थान सहित देश के तीन राज्यों में बहने वाली चंबल नदी (Chambal river) की पहली बार औपचारिक रूप से पूजा-अर्चना की जाएगी। यह कहना है कि गहलोत सरकार के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल का। कोटा के चंबल रिवर फ्रंट और सिटी पार्क लोकार्पण कार्यक्रम को लेकर शुक्रवार को जयपुर के राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर (RIC) में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि चंबल नदी की कभी भी किसी ने औपचारिक पूजा नहीं की है।

लेकिन, चंबल रिवर फ्रंट के लोकार्पण के समय 12 सितंबर की शाम को चंबल नदी की पूजा की जाएगी। 125 पंडित चंबल नदी की पूजा करेंगे। इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नाव में बैठकर लोकार्पण के लिए बटन दबाएंगे। ऐसे में हर किसी के मन में यही सवाल उठता है कि आखिर ऐसी क्या वजह है कि चंबल नदी की पूजा क्यों नहीं की जाती है।

वैसे तो नदी कोई सी भी हो वह पूजनीय होती है। क्योंकि नदियों का अस्तित्व पानी से होता है और जल ही जीवन है। लेकिन, भारत में कई नदियां ऐसी है, जिनकी पूजा नहीं होती है। उनमें एक नाम चंबल नदी का भी है। यह नदी राजस्थान सहित मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में बहती है। लेकिन, इस नदी को आज भी शापित माना जाता है। यही कारण है कि इस नदी की पूजा नहीं की जाती है।

क्यों नहीं होती चंबल नदी की पूजा?

पौराणिक मान्यताओं की मानें तो चंबल नदी सदियों पुरानी है और इसकी उत्पत्ति जानवरों के खून से हुई थी। इस कारण चंबल नदी को लोग शापित नदी कहते है। हालांकि, आज के दौर में ये नदी राजस्थान के कई जिलों की प्यास बुझाती है और किसानों के लिए वरदान है। क्योंकि इस नदी का पानी पीने के साथ-साथ सिंचाई के काम लिया जाता है।

द्रौपदी का श्राप या खूनी नदी….

राजस्थान की सबसे बड़ी इस नदी को खूनी नदी के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि सदियों पहले यहां के राजा रंतिदेव ने हजारों यज्ञ-हवन और अनुष्ठान किए थे। इस दौरान राजा ने बड़ी संख्या में जानवरों की बलि थी। इन्हीं पशुओं के खून और बची हुई पूजन सामग्री से चर्मण्यवती यानी चंबल नदी का उद्गम माना जाता है। उस वक्त नदी का रंग खून जैसा हो गया था और लोग इस नदी का पानी पीने से बचने लगे थे।

दूसरी पौराणिक कथा ये भी है कि यमुना नदी की सहायक नदियों में से एक चंबल नदी को पांडवों की पत्नी द्रौपदी का श्राप मिला था। इस कारण यह भारत की पवित्र नदियों में शामिल नहीं है। इस कारण आज भी इस नदी की कोई पूजा नहीं करता है।

कहां बहती है ये नदी?

चंबल नदी मध्य भारत में यमुना नदी की सहायक नदी है। इसका उद्गम स्थल एमपी में जानापाव की पहाड़ी है। यह एक बारहमासी नदी है। यह नदी एमपी के धार, उज्जैन, रतलाम, मन्दसौर, भिंड, मुरैना, राजस्थान के चित्तौड़गढ़, कोटा, धौलपुर और सवाईमाधोपुर जिले से होते हुए यूपी के जालौन और इटावा जिले की सीमा पर जाकर समाप्त होती है।

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