जयपुर। दुनिया में जिस तरीके से नई टेक्नोलॉजी तेजी से पैर पसार रही है, उससे इंसानों की नौकरियों पर खतरा बढ़ गया है। वहीं नई टेक्नोलॉजी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) यानी एआई को कल का भविष्य माना जा रहा है। जानकारों का ऐसा मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से यह दुनिया पूरी तरह बदल जाएगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर कई बड़ी कंपनियों ने काम करना भी शुरू कर दिया है।
वहीं राजस्थान पुलिस ने भी इसको लेकर शुरूआत कर दी है। हाल ही में जयपुर के गोविंद देवजी मंदिर में इसका ट्रायल रन किया गया। इसके तहत पुलिस ने पहली बार 13 बदमाशों को पकड़ा। अब कोई भी बदमाश भीड़-भाड़ वाले इलाकों में मुंह को मास्क में छिपाकर भी भाग नहीं पाएंगे। राजस्थान पुलिस जल्द ही शहर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर आधारित कैमरे लगाने की तैयारी कर रही है, जो फेस रिकग्निशन (चेहरा पहचानने) वाले ऐप से जुड़कर काम करेंगे। फेस रिकग्निशन कैमरे की मदद से भीड़ में हिस्ट्रीशीटर-गैंगस्टर या आम आदमी है से पहचान करने में मदद मिलेगी।
कैसे काम करता है AI आधारित फेस रिकग्निशन सिस्टम…
जहां पर भी सीसीटीवी कैमरा लगा होगा, वहां की पूरी फीड को यह मेन सर्वर तक पहुंचागा।
फीड मिलने पर सर्वर में पहले से अपलोड तस्वीरों से अपने आप मिलान करता रहता है।
इसके तहत जो भी शख्स कैमरे में दिखाई देगा वो रिकॉर्ड के मुताबिक बतताएगा कि वह अपराधी है या नहीं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कुछ की सेकंडों में इसकी पहचान कर लेगा।
यह मॉनिटर पर इसे दिखाएगा। सीसीटीवी के सामने आने वाले लोगों की उम्र और लिंग की जानकारी तक बता देगा।
यह बदमाशों का चेहरा, फिंगर प्रिंट, रेटिना स्कैन समेत सारे रिकॉर्ड बताएगा।
इसके बाद यह सिग्नल दिखाएगा कि अगर कोई अपराधी है तो वह रेड बताएगा। वहीं अगर रिकॉर्ड के मुताबिक वह अपराधी नहीं हो सिग्नल ग्रीन शैडो में दिखाएगा।
पहली बार इस ऐप का इस्तेमाल किया गया
जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ ने बताया कि प्रदेश में पहली बार इस ऐप का इस्तेमाल किया गया है। पुलिस ने पहले जयपुर के बदमाशों का डेटा तैयार किया। पुलिस ने बदमाशों के फिंगर प्रिंट, फोटो, रेटिना की जानकारी खुद के सिस्टम में अपलोड कर रखी हैं। जिसका परिणाम निकला कि जयपुर के अधिकांश बदमाशों की पूरी कुंडली जयपुर पुलिस के पास है। फेस रिकग्निशन ऐप के मदद से मंदिर परिसर में इसी डेटा का इस्तेमाल हुआ। वहां आने वाले हर व्यक्ति के फेस को स्नैन किया गया। जिससे किसी भी बदमाश के मौके से पकड़ना आसान हो गया।
AI की मदद से पहली बार 13 बदमाश पकड़े…
एडिशनल पुलिस कमिश्नर लॉ एंड ऑर्डर कुंवर राष्ट्रदीप ने बताया कि गोविंददेवजी मंदिर में लगे फेस रिकग्निशन ऐप सिस्टम ने 13 बदमाशों की पहचान की। जिन्हें पुलिस टीम की मदद से पकड़ा और फिर थाने ले जाकर पूछताछ की गई। फेस रिकग्निशन सिस्टम मिले परिणाम संतोषजनक हैं। इसकी एक रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय में सीनियर अधिकारियों को दी गई है। जिससे आने वाले समय में प्रदर्शन, रैलियों, मंदिरों में दर्शन सहित लॉ एंड ऑर्डर की स्थित में इस का इस्तेमाल किया जाएगा। फिलहाल, डीओआईटी को इसे लेकर हाई डेफिनेशन वाले कैमरों की डिमांड की जा चुकी है। बेहतर कैमरा क्वालिटी के चलते यह सिस्टम अच्छे रिजल्ट देगा।
6 महीने में तैयार किया बदमाशों का रिकॉर्ड…
एसीपी कैलाश बिश्नोई ने बताया कि पुलिस टीम को इस सॉफ्टवेयर में जानकारी अपलोड करने में करीब छह महीने लगे। थाना स्तर पर बदमाशों की फोटो, रेटिना और फिंगर प्रिंट लेने का काम कई महीने से चल रहा था। अब यह पूरी तरह तैयार हो गए हैं।
कहां से आया ये आइडिया?
राजस्थान में पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने साल 2018 में अलवर में हुई मॉब लिंचिंग केस सुलझाया था। उस साल अलवर में हरियाणा के कोलगांव निवासी रकबर उर्फ अकबर की मॉब लिंचिंग की घटना हुई थी। तब दिल्ली की एक कंपनी ने ट्रायल बेस पर अपराधियों के चेहरे की पहचान (facial recognition) कर राजस्थान पुलिस की मदद की थी। यहीं से पुलिस को समझ में आया कि अपराधियों को पकड़ने में ये तकनीक कारगर हो सकती है।
कौन-कौन राज्य इस तकनीक का कर रहा उपयोग…
इस तकनीक का इस्तेमाल कई राज्यों की पुलिस ने शुरू कर दी है।
पंजाब पुलिस भी इसी तकनीक पर आधारित PAIS (पंजाब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम) नाम के ऐप का इस्तेमाल कर रही है।
बिहार पुलिस चक्र (Chakra) से इसी तकनीक का उपयोग कर रही है।
वहीं यूपी पुलिस ने इसको त्रिनेत्रा (TRINETRA) नाम दिया है।