चुनावी मौसम ने राजस्थान में दस्तक दे दी है। दोनों ही धुर विरोधी पार्टियों कांग्रेस-भाजपा के शीर्ष नेताओं के दौरे शुरू हो चुके हैं। एक तरफ कांग्रेस राजस्थान के रिवाज को बदलना चाहती है तो दूसरी तरफ भाजपा वापस सत्ता में आने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। राजस्थान में चुनावी रणनीति तक दिल्ली से बन रही है। जनाक्रोश अभियान के बाद अब भाजपा वंदे सरहद नाम का दांव चल रही है। इस अभियान से वे राजस्थान की सरहदी इलाकों में अपनी जीत के लिए मैदान तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं।
सरहदी जिलों में 22 विधानसभा सीटें
वंदे सरहद के तहत प्रदेश के जो जिले अन्तर्राष्ट्रीय बॉर्डर से लग रहे हैं, वहां पर भाजपा बूथ स्तर पर अपनी पार्टी को मजबूत कर रही है। यहां पर नेताओं. पदाधिकारियों के दौरे होंगे जो पार्टी को हर एक गांव हर एक घर से जोड़ेंगे। एक दिन पहले इस अभियान को भी शुरू कर दिया गया है। बता दें कि पाकिस्तान की सीमा से राजस्थान के 4 जिले लगते हैं, बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर और गंगानगर। इन चारों जिलों में 22 विधानसभा सीटें हैं। इन 22 विधानसभा सीटों पर भाजपा की नजर हैं। इनमें बाड़मेर, बायतु, शिव, पचपदरा, गुढ़ामलानी, सिवाना, चौहटन, जैसलमेर, पोकरण, बीकानेर वेस्ट, खाजूवाला, बीकानेर ईस्ट, कोलायत, लूणकरनसर, श्री डूंगरगढ़, नोखा, सादुलशहर, गंगानगर, करणपुर, सूरतगढ़, रायसिंहनगर, अनूपगढ़ शामिल हैं।
इनमें से अनूपगढ़, लूणकरनसर, बीकानेर ईस्ट, नोखा में भाजपा की सरकार है। श्रीगंगानगर, डूंगरगढ़ में तो भाजपा तीसरे नंबर पर रही कोलायत में भाजपा साल 2013 से नहीं है। भाजपा से नाराज तल रहे देवी सिंह भाटी ने यहां से साल 2008 में चुनाव जीता था। बीकानेर पश्चिम, खाजूवाला, करनपुर जैसी सीटों पर कांग्रेस पर कब्जा है।
सिर्फ 7 सीटें ही भाजपा के पास
इन 22 सीटों में से सिर्फ 7 सीटें भाजपा के पास हैं बाकी 15 सीटों में से 12 पर कांग्रेस का कब्जा है। एक सीट पर CPI-M, और दो अन्य के पास हैं। सरहदी विधानसभा सीटों में भाजपा की पतली हालत देखते हुए भाजपा ने इस पर मजबूत पकड़ बनाने के लिए ये वंदे सरहद अभियान शुरू किया है। जिसमें भारतीय युवा मोर्चा के नेता इन इलाकों में रात्रि प्रवास कर केंद्र की योजनाओं को प्रचार-प्रसार किया जाएगा और कांग्रेस सरकारी की कारगुजारियों की पोल खोली जाएगी।
10 सीटें सरहद पर मौजूद
इन 22 सीटों में से 10 सीटें ऐसी हैं जो सरहद पर मौजूद हैं. इन्हें ही भाजपा अपने राष्ट्रवादी मुद्दों के जरिए जीतने की जुगत लगा रही है। आंतकवाद, जयपुर ब्लास्ट, केरल मामला, PFI, बजरंग दल जैसे मुद्दों पर भाजपा ने पहले से ही मोर्चा खोल रखा है। इन मुद्दों को वो धार देकर इन सीटों पर वो अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। इसके लिए सीपी जोशी ने इस वंदे सरहद अभियान की शुरूआत के मौके पर कह दिया था कि राजस्थान को आंतक से बचाना है। आतंकवादी गतिविधि करने वाले संगठन PFI पर तो इस सरकार से कुछ होता नहीं लेकिन हिंदूवादी और राष्ट्रवादी संगठन बजरंग दल को आतंकवादी संगठन बताकर उसे बैन करने की बात करती है। अगर हिम्मत हो तो इसे राजस्थान में बैन करके दिखाएं।
राष्ट्रवादी मुद्दों पर सीधेगी 22 सीटें!
भाजपा राष्ट्रवादी मुद्दों के बल पर इन 22 सीटों को साधने की कोशिश कर रही है। हाल ही में हुए कर्नाटक चुनाव में भी उसने राष्ट्रवादी मुद्दों के बल पर ही चुनाव लड़ा था। वैसे तो उसने इन चुनाव के नतीजों के काफी-कुछ सीखा भी होगा, लेकिन सिर्फ राष्ट्रवादी मुद्दों पर ही ये चुनाव जीतना कांग्रेस जैसे मजबूत स्थिति में खड़ी सरकार के सामने थोड़ा मुश्किल हो सकता है। हालांकि आने वाले दिनों में भाजपा इसे लेकर अपनी कौन सी रणनीति पर काम करती है यह देखना दिलचस्प होगा।