जोधपुर। पूर्व विधायक भंवरलाल राजपुरोहित को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। जोधपुर हाईकोर्ट ने मकराना एडीजे कोर्ट के उस आदेश को स्थगित कर दिया है, जिसमें दुष्कर्म मामले में भंवरलाल राजपुरोहित को 10 साल की सजा सुनाई थी। गुरुवार को जोधपुर हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक भंवरलाल राजपुरोहित की जमानत मंजूर करते हुए सजा को भी स्थगित कर दिया है। माना जा रहा है कि राजपुरोहित की उम्र 87 साल से अधिक होने के चलते कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। इधर, मकराना के पूर्व विधायक भंवरलाल राजपुरोहित की जमानत मंजूर होने से राजपुरोहित परिवार व समर्थकों में खुशी का माहौल है। पूर्व विधायक के स्वागत में उनके बोरावड़ आवास पर समर्थकों की भीड़ जुटी।
जोधपुर हाईकोर्ट में गुरुवार को मकराना के पूर्व विधायक भंवरलाल राजपुरोहित की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस फरजंद अली ने जमानत याचिका को मंजूर करते हुए सजा को स्थगित कर दिया है। इस दौरान अधिवक्ताओं की हड़ताल के चलते वकील कोर्ट में पेश नहीं हुए। भंवर लाल राजपुरोहित की ओर से पौत्र दीपेंद्र सिंह राजपुरोहित और पौत्री जमाई मधुसूदन सिंह राजपुरोहित ने पैरवी की। दोनों ने पैरवी करते हुए पूरे मामले को राजनीति से प्रेरित बताया।
भंवरलाल के पौत्र और पौत्री जमाई ने की पैरवी
दीपेंद्र सिंह और मधुसूदन सिंह ने हाईकोर्ट में तर्क दिए कि पीड़िता ने 7 महीने बाद दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था। इस मामले की पूर्व में उच्च पुलिस अधिकारियों की ओर से जांच की गई थी और जांच के बाद पुलिस ने मामले में लगाई एफआर थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस फरजंद अली ने भंवरलाल को जमानत देने और सजा को सस्पेंड करने का फैसला सुनाया। सुनवाई के दौरान पीड़िता और उसकी मां भी मौजूद रही।
एडीजे कोर्ट ने सुनाई थी 10 साल की सजा
गौरतलब है कि रेप के 20 साल पुराने मामले में एडीजे कुमकुम ने 21 फरवरी को पूर्व विधायक भंवरलाल राजपुरोहित को महिला से दुष्कर्म का दोषी मानते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी। साथ ही उन पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था। फैसला सुनाने के दौरान भंवरलाल राजपुरोहित कोर्ट में ही मौजूद थे। जैसे ही फैसला सुनाया गया था तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद उसका मेडिकल करवाकर परबतसर जेल भेज दिया था।
ये था पूरा मामला
बता दें कि 1 मई 2002 को मनाना गांव की 22 वर्षीय महिला ने कोर्ट में इस्तीगासा दायर कर मुकदमा दर्ज कराया था कि वह 29 अप्रैल की दोपहर भंवरलाल राजपुरोहित के कुएं पर तो भंवरलाल ने उसे कमरे में बुलाया। इसके बाद उसके साथ रेप की वारदात को अंजाम दिया। आरोपी ने रेप के बाद उसे 500 रुपए देकर चुप रहने को कहा, लेकिन वह पैसे फेंककर आ गई। जिससे महिला प्रेग्नेंट हो गई और उसे अबॉर्शन करना पड़ा था। मामले की जांच के बाद पुलिस ने भंवरलाल के खिलाफ चालान पेश किया। इसे बाद धीरे-धीरे मामला ठंडा पड़ गया। लेकिन, कोर्ट के संज्ञान के बाद पुलिस ने फिर से मामले की जांच शुरू की और 7 गवाहों के बयान के बाद कोर्ट ने दोषी करार देते हुए 20 साल बाद 10 साल की सजा सुनाई थी। लेकिन, अब जोधपुर हाईकोर्ट ने एडीजे कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए भंवरलाल की जमानत याचिका मंजूर कर ली है।
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