बाड़मेर। दलित कोजाराम की हत्या के बाद अब सियासत उबाल पर है। इस मामले में प्रशासन और प्रतिनिधिमंडल के बीच अभी तक बातचीत सफल नहीं हो पाई है। इधर भीम सेना के चीफ चंद्रशेखर रावण बाड़मेर आ रहे हैं। जिससे भी मामला राजनीतिक रंग लेता दिखाई दे रहा है।
कलेक्टर, एसपी तक की बात नहीं मानी
बता दें कि घटना के 36 घंटे बाद भी अभी तक कोजाराम का शव नहीं उठाया गया है। कोजाराम के परिवार समेत दलित समाज के लोग जिला अस्पताल की मोर्चरी पर धरने पर बैठे हुए हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं। इसे लेकर जिला कलेक्टर लोकबंधु और पुलिस अधीक्षक आनंद धरना स्थल पर भी गए थे, जहां समाज ने अपनी मांगों को लेकर उन्हें ज्ञापन सौंपा।
कलेक्टर, एसपी ने समाज को समझाने की काफी कोशिश की लेकिन वे लोग अपनी मांगों पर अड़े रहे। इन मांगों को लेकर दलित समाज के प्रतिनिधिमंडल से प्रशासन के तीन दौर की वार्ता भी असफल रही है।
दो लोगों को सरकारी नौकरी और 1 करोड़ रुपए की सहायता की मांग
दलित नेता उदाराम मेघवाल ने बताया कि हम पीड़ित परिवार के दो सदस्यों को सरकारी नौकरी, उन्हें 1 करोड़ रुपए का आर्थिक मुआवजे की मांग कर रहे हैं। इसे लेकर प्रशासन के साथ तीन बार बात हुई लेकिन कोई फैसला नहीं हो पाया। इसलिए जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी, हम शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करते रहेंगे।
चंद्रशेखर रावण आएंगे बाड़मेर
इधर भीम सेना के चीफ चंद्रशेखर रावण ने बाड़मेर आने का ऐलान किया है। उन्होंने दलित नेता उदाराम मेघवाल से बातचीत की है और बाड़मेर आने को कहा है। चंद्रशेखर रावण ने कहा कि आखिर प्रदेश में हमारे समुदाय के लोगों को कब तक इस तरह मारा जाता रहेगा। उन्होंने धरने पर बैठे लोगों से अपील की है कि आप लोग इसी तरह प्रदर्शन करते रहो। जब तक प्रशासन हमारी मांगे नहीं मानता। मैं भी अब आपके साथ जुड़ने के लिए आ रहा हूं। हम सब मिलकर कोजाराम को न्याय दिलाएंगे
जमीनी विवाद में पीट-पीटकर हत्या
बता दें कि 3 दिन पहले बाड़मेर के ग्राम थाना इलाके में दो पक्षों में जमीनी विवाद के चलते 40 वर्षीय दलित कोजाराम की बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। मारपीट से कोजाराम गंभीर रूप से घायल हो गया था, तब उसे जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिय। मौत की खबर सुनते ही पीड़ित के परिवार ने हंगामा मचा दिया। साथ ही दलित समाज के लोग भी आक्रोश में आ गए। अब ये लोग बीते 36 घंटे से मोर्चरी के बाहर धरने पर बैठे हुए हैं और अपनी मांगों को पूरा करने की आवाज उठा रहे हैं।