भरतपुर। राजस्थान के भरतपुर जिले के कुम्हेर में 31 साल पहले हुए सामूहिक नरसंहार के मामले में कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 9 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। वहीं 41 आरोपियों को दोषमुक्त कर बरी किया है। कुम्हेर में सामूहिक नरसंहार कांड में 50 आरोपियों पर कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। जिस पर विशिष्ट न्यायाधीश अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण प्रकरण के विशिष्ट न्यायाधीश ने आज फैसला सुनाया।
बता दें कि कुम्हेर में हुए सामूहिक नरसंहार कांड को 31 साल हो गए है। वहीं नरसंहार कांड के कई आरोपी तो अब बुजुर्ग हो चुके हैं। एक आरोपी अभी भी फरार है। इस बहुचर्चित कुम्हेर कांड की जांच सीबीआई द्वारा भी की गई थी।
जाटव और जाट समुदाय में हुआ था विवाद
गौरतलब है कि 6 जून 1992 में पैंघोर गांव के चामुंडा मंदिर पर आयोजित हो रही महापंचायत के दौरान जाटव और जाट समुदाय में आपस में विवाद हो गया था। इसके बाद देखते ही देखते मारपीट शुरू होकर बड़े विवाद में बदल कर आगजनी में तब्दील हो गई। इस भीषण विवाद में जलती हुई आग को घरों में फेंक दिया था।
17 लोगों की हुई थी मौत
इस आगजनी में 17 लोगों की मौत हो गई। घटना के बाद पूरे जिले में हा-हाकार मच गया और क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए कर्फ्यू भी लगाया गया था। वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि कुम्हेर कांड में पुलिस ने न्यायालय में 83 आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया। मुकदमे के दौरान करीब 32 आरोपियों की मृत्यु हो गई।
पिछले 31 सालों से चल रहे मुकदमे में पुलिस की ओर से 283 गवाहों के बयान न्यायालय में दर्ज कराए गए। न्यायाधीश गिरजा भारद्वाज ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 9 आरोपियों को दोषी मानते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया। वहीं 41 आरोपियों को दोषमुक्त कर बरी करने के आदेश जारी किए। इस मामले में एक आरोपी को भगौड़ा घोषित कर दिया।
इन 9 दोषियों को हुई उम्रकैद…
इस मामले में शनिवार को फैसला आया है। कोर्ट के इस फैसले में प्रेम सिंह, लख्खो, मानसिंह, प्रीतम, पारस जैन, राजवीर, चेतन, शिव सिंह और गोपाल को आजीवन कारावास की सजा हुई है। फैसला आने के बाद उम्रकैद की सजा वाले दोषियों को जेल भेज दिया गया।