Rajasthan Election 2023 : बाड़मेर जिले के बायतू विधानसभा क्षेत्र में इस बार चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। क्योंकि बीजेपी ने इस बार 20 साल के पुराने कार्यकर्ता बालाराम मूढ़ पर विश्वास जताया है। खास बात ये है कि इस क्षेत्र में साल 2008 से अब तक कांग्रेस ने दो बार कब्जा जमाया और बीजेपी एक बार ही जीत पाई है। हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी भी इस क्षेत्र में ताल ठोक रही है। अब देखना ये होगा कि क्या इस त्रिकोणीय मुकाबले में कौन-किस पर भारी पड़ता है।
साल 2008 में बायतु नया विधानसभा क्षेत्र बना था। ऐसे में दो बार के विधानसभा चुनाव में तो यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही अहम मुकाबला देखने को मिला था। लेकिन, साल 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान बायतु विधानसभा सीट पर हनुमान बेनीवाल की पार्टी की एंट्री हुई। जिसके चलते बीजेपी तीसरे नंबर पर पहुंच गई थी। लेकिन, इस बार बीजेपी ने 20 साल पुराने कार्यकर्ता को मैदान में उतारा है। अब देखना ये होगा कि बीजेपी प्रत्याशी बालाराम मूढ़ इस क्षेत्र में कांग्रेस और आरपीएल से कैसे पार पाएंगे?
कैलाश चौधरी तीन चुनाव लड़े
बायतु विधानसभा सीट से केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी तीन बार चुनाव लड़ चुके है। कैलाश चौधरी को साल 2008 और 2018 में हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, साल 2013 में उन्हें सफलता हाथ लगी और विधायक चुने गए। लेकिन, इस बाद कैलाश चौधरी ने खुद की दावेदारी पेश नहीं की और बालाराम मूढ़ की सशक्त पैरवी की। जिसके चलते बीजेपी ने उन्हें रण में उतारा है।
कौन है बीजेपी के बालाराम?
बालाराम मूढ़ करीब 20 साल से बीजेपी के सक्रिय कार्यकर्ता है। वर्तमान में बालाराम बाड़मेर भाजपा जिला उपाध्यक्ष हैं। मूंढ़ की RSS से भी नजदीकियां हैं। 2011 से 2013 तक भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य भी रहे। इसके अलावा 2003 से 2006 किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष भी रहे। साल 2013 व 2018 के चुनावों में बालाराम ने टिकट की दावेदारी की थी, लेकिन उस समय कैलाश चौधरी ने चुनाव लड़ा था। हालांकि, इस बार मौका मिल ही गया है।
कैसा है जातिय समीकरण?
बायतू विधानसभा क्षेत्र में कुल वोटर्स 250157 है। जिनमें से पुरुषों की संख्या 133405 और महिलाओं की सख्या 116752 है। इस क्षेत्र में वैसे तो सभी जाती के लोग रहते है। लेकिन, यहां जाटों का दबदबा है। इस क्षेत्र में पीने के लिए मीठे पानी का अहम चुनावी मुद्दा रहने वाला है।
कैसा रहा चुनावी इतिहास
साल 2008 में कांग्रेस के कर्नल सोनाराम बायतू विस सीट से विधायक चुने गए और बीजेपी के कैलाश चौधरी दूसरे स्थान पर रहे थे। साल 2013 के चुनाव में कैलाश चौधरी फिर से बीजेपी के टिकट पर मैदान में उतरे और कांग्रेस के कर्नल सोना राम को हरा दिया। साल 2018 में कांग्रेस के हरीश चौधरी विधायक चुने गए। लेकिन, हनुमान बेनीवाल की पार्टी की एंट्री के कारण बीजेपी तीसरे नंबर पर पहुंच गई।
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