Rajasthan Election 2023 : विश्व प्रसिद्ध लाल पत्थर की खदानों के लिए पहचाने जाने वाले बाड़ी विधानसभा क्षेत्र में आजादी के बाद से अब तक कांग्रेस का ही वर्चस्व रहा है। इस सीट कांग्रेस का डंका बजता आया है और यहां से 10 बार जीत हासिल की है। लेकिन, इस क्षेत्र में एक ही ऐसा मौका आया जब कमल खिला था। ऐसे में अब बड़ा सवाल ये है कि क्या इस बार इस क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण बदलेंगे या फिर से कांग्रेस ही विजय पताका पहराने में कामयाब होगी? आईये जानते है कि इस बार क्या रहेगा चुनावी मुद्दा, यहां का जातीय समीकरण और अब तक का चुनावी इतिहास!
इस बार ईआरसीपी सहित इन मुद्दों पर लड़ा जाएगा चुनाव
इस क्षेत्र में इस बार ईआरसीपी सहित कई चुनावी मुद्दें रहेंगे। यहां पीने के पानी की सबसे बड़ी समस्या है। लेकिन, ईआरसीपी योजना को लेकर केंद्र और प्रदेश सरकार के बीच खींचतान की स्थिति बनी हुई है। जिसका असर चुनाव में दिखेगा। इसके अलावा बाड़ी शहर में सड़क-सीवरेज समस्या और बिजली संकट भी चुनावी मुद्दा रहेगा।
साथ ही इस क्षेत्र में अपराध लगातार बढ़ता रहता है। आए दिन फायरिंग और लूटपाट की वारदातों से क्षेत्रवासियों में आक्रोश व्याप्त है। बता दें कि इस क्षेत्र में विश्व प्रसिद्द लाल पत्थर निकाला जाता है। लेकिन स्टोन पार्क न होने और यहां लगी गैंगसा यूनिटों को सरकारी राहत नहीं देने से व्यवसाय चौपट होता जा रहा है। ऐसे में इस मुद्दे को भी काफी अहम माना जा रहा है।
कैसा है जातीय समीकरण?
बाड़ी विधानसभा में इस बार 2,36,599 मतदाता वोट डालेंगे। इनमें 1,27,114 पुरुष और 1,09,483 महिलाएं हैं। साल 2018 में यहां कुल वोटर्स कुल 211890 मतदाता थे, जो इस बार 24709 बढ़ गए हैं। जातीय समीकरण की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा कुशवाह जाति के वोटर हैं। इसके बाद गुर्जर, जाटव, राजपूत, ब्राह्मण, मुस्लिम, वैश्य, मीणा सहित अन्य जातियों के वोटर्स का नाम आती है। हालांकि, यहां गोस्वामी, त्यागी, प्रजापति, धोबी, जाट, नाई, गोड़, हरिजन सहित अन्य कई जातियों के वोटर्स की संख्या काफी कम है।
आजादी के बाद से अब तक का चुनावी इतिहास
इस क्षेत्र में आजादी के बाद अब तक 16 बार विधानसभा का चुनाव हुए। जिनमें से 10 बार ऐसा मौका आया कि कांग्रेस को सफलता हाथ लगी। यहां तीन बार निर्दलीय और एक-एक बार बीजेपी व बसपा ने जीत दर्ज की। यहां साल 1951 से 1957 तक तीन बार विस चुनाव हुए और तीनों बार ही कांग्रेस प्रत्याशी बलवंत राम ने जीत दर्ज की थी। साल 1962 में निर्दलीय प्रत्याशी रघुबीर सिंह, 1967 में कांग्रेस के बलवंत राम, 1972 में निर्दलीय रामलाल, 1977 में कांग्रेस के सालिगराम, 1980 में निर्दलीय शिव सिंह चौहान, 1985, 1990 व 1993 में कांग्रेस के दलजीत सिंह, 1998 में बीजेपी के किरोड़ी लाल मीणा, 2003 में कांग्रेस के दलजीत सिंह, 2008, 2013 और 2018 में कांग्रेस के गिर्राज सिंह विधायक चुने गए।