झुंझुनूं। राजस्थान के झुंझुनूं जिले में एक सैनिक ने ऐसा काम किया जिसके बाद सोशल मीडिया पर चर्चाएं हो रही है। आमतौर पर किसी भी युवक-युवती की शादी से पहले सगाई होती है। सगाई की बाद ही रिश्ता तय होता है फिर जाकर शादी होती है, लेकिन राजस्थान के झुंझुनूं जिले में मामला अलग है। भारतीय सेना में तैनात एक जवान ने सगाई के दिन शादी कर ली। जवान न सिर्फ शादी बल्कि दहेज भी नहीं लिया। दरअसल, एक सेना का जवान सगाई करने गया था।
वहां मौजूद लोगों की आपसी सहमति के बाद जवान ने शादी की और फिर दुल्हन लेकर ही वापस लौटा। जानकारी के अनुसार, झुंझुनूं शहर के पास देवरोड गांव निवासी रामवतार कुलहरी अपने बेटे मोहित और सालिम का बास निवासी बाबूलाल लांबा अपनी बेटी ज्योति की गोद भराई की रस्म के लिए चिड़ावा स्थित एक मैरिज गार्डन में एकत्रित हुए थे।
दोनों परिवारों की तरफ से कार्यक्रम में पूर्व प्रधान कैलाश मेघवाल भी मौजूद रहे। दोनों परिवारों का पूर्व प्रधान मेघवाल के पिता पूर्व कैबिनेट मंत्री काका सुंदरलाल से कई साल से गहरा लगाव है। दोनों परिवारों से बातचीत के बाद पूर्व प्रधान कैलाश मेघवाल ने सगाई के दिन ही गुरुवार को सादगी पूर्ण व बिना किसी खर्चे व दहेज के शादी करने का निर्णय लिया।
रामवतार कुलहरी के बेटे मोहित भारतीय सेना की राजपूत रेजिमेंट में कार्यरत हैं। जबकि बाबूलाल लांबा की बेटी ज्योति बीएससी-बीएड व फिलहाल वेटेनरी का कोर्स कर रही हैं। इसके बाद शादी के कार्यक्रम की तत्काल व्यवस्था की गई। गुरुवार को बिना दहेज व बैगर बारात के सादगी से विवाह संपन्न हुआ। इस दौरान पिलानी विधानसभा से काफी संख्या में जनप्रतिनिधि और गणमान्य जन मौजूद रहे।
जवान सहित पूर्व प्रधान की हो रही चारों ओर चर्चा…
बिना दहेज और खर्चे के शादी के बाद भारतीय सेना में तैनात जवान के साथ पूर्व प्रधान कैलाश मेघवाल की चर्चाएं हो रही है। आमतौर पर जनप्रतिनिधियों को लेकर चर्चाएं होती हैं कि वे वोट की राजनीति करते हैं। लेकिन पूर्व प्रधान ने इस चर्चाओं को कुछ हद तक विराम देते हुए साबित कर दिया है कि समाज को जोड़ने का काम भी जनप्रतिनिधि करते हैं।
मोहित के पिता कुलदीप कुलहरी देवरोड के पूर्व सरपंच रह चुके है। कुलदीप कुलहरी ने बताया कि वे भी एक जनप्रतिनिधि रहे हैं। आमतौर पर एक जनप्रतिनिधि को वोट की राजनीति करने के नजरिए से देखा जाता है। लेकिन उनकी पिलानी विधानसभा का सौभाग्य है कि एक ऐसा जनप्रतिनिधि भी है, जो समाज को लेकर भी संवेदनशील है, जिसका उदाहरण आज देखने को मिला है।
(इनपुट-सुजीत शर्मा)