अलवर: राजस्थान के अलवर जिले के रहने वाले रकबर खान की गौतस्करी के शक में जानलेवा हमले के बाद मौत होने के मामले में 5 साल बाद अलवर की एक अदालत ने गुरुवार को फैसला सुनाया जहां कोर्ट ने 4 आरोपियों को 7-7 साल की सजा के साथ 1 आरोपी को बरी करने का आदेश दिया. जानकारी के मुताबिक 5 साल पहले हरियाण के नूंह में गौतस्करी के शक में रकबर खान को पीटा गया था जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी. वहीं अदालत के फैसले के बाद पीड़ित रकबर का परिवार फैसले से खुश नहीं है. 1 आरोपी के बरी होने और 4 आरोपियों को 7 साल की सजा मिलने पर रकबर के परिजनों का कहना है कि वह फैसले के खिलाफ आगे अपील करेंगे.
मृतक रकबर के परिजनों का कहना है कि यह फैसला न्याय के बराबर नहीं है और आरोपियों को गैर इरादतन हत्या के लिए दोषी माना गया है. वहीं परिजनों का कहना है कि कोर्ट ने मुख्य आरोपी को बरी करने का आदेश दिया है जिसने ही पूरी साजिश को अंजाम दिया था. बता दें कि मृतक के परिजनों का कहना है कि यह फैसला न्याय के हिसाब से सही नहीं है.
नवल किशोर को मिला संदेह का लाभ
अदालत के फैसले के बाद विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अशोक शर्मा ने कहा कि धर्मेंद्र यादव, परमजीत सिंह, विजय कुमार और नरेश कुमार को भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या की सजा) और 341 (गलत तरीके से रोकना) के तहत दोषी पाया गया है. वहीं वीएचपी नेता नवल किशोर को “उनके खिलाफ अपर्याप्त सबूत होने के कारण” सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है.
एसपीपी शर्मा का कहना है कि हम दी गई सजा से संतुष्ट नहीं हैं और आगे अभियोजन पक्ष इस बात पर गौर करेगा कि उसे अपील की सिफारिश करनी चाहिए या नहीं. बता दें कि नवल (किशोर) को अन्य आरोपियों के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत के आधार पर आरोपी बनाया गया था लेकिन अदालत ने इसे ‘ठोस सबूत’ के रूप में नहीं पाया और उसे संदेह का लाभ मिला.
जुलाई 2018 में हुई थी रकबर की मौत
गौरतलब है कि 21 जुलाई, 2018 को रकबर खान अपने दोस्त असलम के साथ दूध के कारोबार के लिए दो गाएं लेने राजस्थान के लालवंडी गए थे जिसके बाद गायों को हरियाणा से वापस अपने गांव लाते समय कुछ युवकों ने गौ तस्करों का आरोप लगाते हुए रकबर पर हमला कर दिया और उसे पीटा गया. इसके बाद रकबर को पुलिस थाने में छोड़ दिया गया जहां सही समय पर इलाज नहीं मिलने से उसकी मौत हो गई.