नई दिल्ली। देश में इन दिनों सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्मों का ट्रेंड चल रहा है जहां पिछले दिनों फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ और ‘केरल स्टोरी’ ने तहलका मचा दिया जहां लोगों को इन दोनों घटनाओं के पीछे छुपी असलियत के बारे में पता चला। वहीं अब एक और कहानी बॉक्स ऑफिस पर सनसनी मचाने के लिए तैयार है जिसका सीधा कनेक्शन राजस्थान के अजमेर से है। देश के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल पर बनी फिल्म अजमेर 92 शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है।
रिलायंस एंटरटेनमेंट के द्वारा टीजर रिलीज करने के बाद सोमवार को इस फिल्म का ट्रेलर भी रिलीज कर दिया गया था। 2 मिनट 45 सेकेंड के वीडियो पूरी दुनिया को एक बार फिर से चौंका दिया है। फिल्म में ट्रेलर में वो दिखाया गया है जिसे देखने के बाद लोगों को शायद ही इस नाम से कोई दिक्कत होगी।
फिल्म के ट्रेलर ने ही चौंकाया…
ट्रेलर की शुरुआत में एक व्यक्ति कुछ लड़कों को फोटो देता हुआ बोलता है- ये रहा हमारी बहू का फोटो, ये पता कर बताओ कि हमारी बहू का रेप तो नहीं हुआ। इसी तरह से ट्रेलर में अलग-अलग बातें कही गई हैं। लड़की पेट से थी, मतलब गर्भवति, इसका मतलब यही हुआ न कि लड़की अपनी मर्जी से गई, कोई जोर जबरदस्ती नहीं हुई।
हम भी एक हद तक तुम्हारी मदद कर सकते है, जितना आसान तुम समझते हो, उतना आसान नहीं है इस केस को बाहर लाना। इतनी सारी लड़कियों की इज्जत का सवाल है, उनका घर से बाहर निकल मुश्किल हो जाएगा। जीवन हराम हो जाएगा उनका। जीना हराम तो अब भी है उनका, जब जी करता है फार्म हाउस बुलाते है, रेप करते है।
जानिए किस बारे में है अजमेर-92…
कल रिलीज होने जा रही फिल्म ‘अजमेर-92’ साल 1987 से 1992 में हुए 250 लड़कियों की बलात्कार और कई नाबालिक लड़कियों की हत्या की कहानी है। ट्रेलर में दिखाया गया है कि, कैसे एक खबर ने अजमेर में दहशत और धार्मिक उन्माद फैला दिया है। वहीं इस खबर के बाद, ये कहानी उन लड़कियों के इर्द-गिर्द घूमने लगती है जिनके साथ से ब्लैकमेल कांड हो रहा होता है।
क्या था ब्लैक मेलिंग स्कैंडल…
बता दें कि, साल 1987 से 1992 में अजमेर के हालात इस कदर खराब हो चुके थे कि, हर लड़की के घर वाले डर के साएं में जीते थे। साल 1992 की अप्रैल-मई के महीने में अजमेर के एक नामी गर्ल्स कॉलेज की हाई प्रोफाइल स्टूडेंट्स की न्यूड तस्वीरें अचानक से शहर में सर्कुलेट होनी शुरू हुईं। ये किसी एक लड़की की तस्वीर नहीं थी बल्कि 100 से ज्यादा लड़कियों की तस्वीरें पूरे शहर में सर्कुलेट हुई थीं। ये एक ऐसा स्कैंडल था जिसने पूरे देश को हैरान कर दिया था।
21 अप्रैल 1992 को राजस्थान के साथ हिल गया पूरा देश…
दरअसल, 21 अप्रैल 1992 को राजस्थान के अजमेर से निकलने वाले एक स्थानीय अखबार में खबर छपी। खबर छपने के बाद राजस्थान ही नहीं पूरा देश में इसको लेकर चचाएं होने लगी। शहर में दिनदहाड़े और काफी समय से एक सेक्स स्कैंडल चल रहा है जहां कुछ रसूखदार लोग स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों को ब्लैकमेल कर सामूहिक बलात्कार को अंजाम दे रहे हैं।
इस अखबार में लगातार इस कांड को लेकर खबर छपती रही और कुछ ही दिन बाद कुछ लड़कियों की फोटो भी छापी गई हालांकि वो धुंधली थी जिसके बाद अजमेर से लेकर राजस्थान भर में तूफान आ गया और लोगों के बीच अजमेर गैंगरेप कांड और अजमेर ब्लैकमेल कांड नाम से चर्चाओं का दौर शुरू हो गया।
इस मामले में अजमेर की प्रतिष्ठित परिवारों और स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली करीब 300 लड़कियों का यौन शोषण किया गया जहां शहर के रसूखदार परिवार और राजनीति से वास्ता रखने वाले चिश्ती परिवार के नफीस चिश्ती और फारुक चिश्ती पर संगीन आरोप लगे।
बता दें कि जब यह मामला उजागर हुआ तो फारुक चिश्ती अजमेर युवा कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर था और नफीस चिश्ती के पास उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अजमेर में उस समय चलने वाले दो रेस्टोरेंट से पूरे मामले की शुरूआत हुई जहां इन लड़कियों को जाल में फंसाया जाता था।
बताया जाता है कि उन रेस्टोरेंट में नफीस चिश्ती और फारुक चिश्ती आते थे और अपनी रईसी से वहां आने वाली लड़कियों के लिए महंगे गिफ्ट और खाना खिलाया जाता था। वहीं नफीस और फारुक के नाम से उनके घर के काम और सारे शौक पूरे कर उनको चंगुल में फंसाया जाता जिसके बाद उनकी मुलाकात नफीस और फारुक से करवाई जाती थी।
बदनामी के डर से कई लड़कियों ने किया सुसाइड…
नफीस और फारुक पर आरोप लगे कि दोनों अपने बंगले और फार्म हाउसों पर लड़कियों को ले जाकर उनका यौन शोषण करते और अश्लील तस्वीरों लेते थे। वहीं इन फोटों की रील लड़कियों को नहीं दी जाती थी और उनकी फोटो से ही ब्लैकमेल का खेल शुरू होता। रिपोर्ट के मुताबिक लड़कियों पर दबाव बनाकर और लड़कियों को लाने का कहा जाता था जहां बदनामी के डर से लड़कियां इनके जाल में फंसती रही। हालांकि कुछ लड़कियां पुलिस के पास गई, लेकिन उसके बाद उन्हें धमकियां मिलने लगी और शहर भर में फोटो आम लोगों तक पहुंचा दी गई। बताया जाता है कि बदनामी के डर से बाद में कई लड़कियों ने सुसाइड भी कर लिया था।
जिसने इस घटना को उजागर किया उसे मौत के घाट उतारा…
वहीं घटना का खुलासा करने वाले पत्रकार मदन सिंह पर कुछ लोगों ने मामले के तूल पकड़ने के बाद हमला किया और उसकी हत्या कर दी गई। इतनी बड़ी खबर को उजागर करने वाले पत्रकार पत्रकार मदन सिंह की जिस समय ये हत्या की गई। उस दौरान उनका बेटा सूर्य प्रताप सिंह 5 साल का था। कम उम्र में पिता को खो देने के बाद सूर्य प्रताप सिंह जब बड़ा हुआ तो उसने अपने पिता की मौत का बदला लिया। 7 जनवरी 2023 को सूर्य प्रताप सिंह ने अपनी पिता की हत्यारे सवाई सिंह की गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया।
इस मामले का खुलासा होने के बाद 27 मई 1992 को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत नोटिस जारी हुआ। इसके बाद सितंबर-1992 में ही पहली चार्जशीट फाइल हुई। पुलिस ने चार्जशीट में 10 लोगों को आरोपी बनाया। हालांकि बीते 30 सालों से ही यह मामला कोर्ट में चल रहा है जहां कुछ पीड़िताएं गवाही देने नहीं आती और कुछ ने बोलने से किनारा कर लिया।
वहीं 1992 के बाद चली कानूनी लड़ाई में 1998 में अजमेर की एक अदालत ने 8 लोगों को आजीवन कारावास दिया जिसके बाद राजस्थान हाईकोर्ट 2001 में चार बरी हो गए जिसके बाद 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने बाकी चारों दोषियों की सजा को कम कर 10 साल कर दिया। इस कांड के मुख्य दोषी फारूक चिश्ती ने खुद को कुछ समय बाद पागल घोषित करवाते हुए अपनी सजा कम करवा ली। ऐसे करते-करते समय के साथ अन्य दोषी भी रिहा हो गए।
अब इस MMS कांड को पर्दे पर दिखा रहे पुष्पेंद्र सिंह…
अजमेर 92 फिल्म को पुष्पेंद्र सिंह के द्वारा डायरेक्ट किया गया है। उमेश कुमार तिवारी के द्वारा फिल्म को प्रोड्यूस किया गया। रिलायंस एंटरटेनमेंट के द्वारा अपने ऑफिशल साइट पर पोस्ट कर फिल्म स्टार्स के नाम भी दिए गए। जिसमें करण वर्मा, सुमित सिंह, विजेंद्र काला, जरीना वहाब, सयाजी शिंदे और मनोज जोशी फिल्में अलग-अलग किरदार निभा रहे हैं।
अजमेर-92 फिल्म को लेकर चल रहा विवाद
अजमेर 92 फिल्म देश के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल पर आधारित है। मूवी को लेकर मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों और अजमेर शरीफ दरगाह कमेटी के पदाधिकारियों ने कड़ी आपत्ति जताई है। फिल्म के माध्यम से एक ही कम्युनिटी के लोगों को टारगेट करने का आरोप लगाया है।
दरगाह कमेटी की ओर से चेतावनी भी दी गई है कि अजमेर शरीफ दरगाह और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की इमेज को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी साथ ही पूरे देश में शांतिपूर्ण विरोध करने की चेतावनी भी दी गई है। अजमेर 92 फिल्म को रिलीज करने से पहले दरगाह कमेटी को फिल्म दिखाने की मांग भी की गई है, जिससे कि विवाद खड़ा ना हो।