बांदीकुई/दौसा। प्रदेश के सबसे बड़े हॉस्पिटल सवाई मानसिंह (SMS) में डॉक्टर-नर्सिंग स्टाफ की लापरवाही से बांदीकुई के सचिन की मौत हो गई। इकलौते बेटे सचिन की मौत से सदमे में पिता ने अब इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है। सचिन के पिता महेश चंद शर्मा का कहना है कि नेताओं ने मदद का वादा तो कई बार किया पर किसी ने नहीं की। गरीबी के चलते बेटे के अंतिम संस्कार के लिए पैसे पैसे उधार लेने पड़े थे।
सचिन के पिता महेश चंद शर्मा का कहना है कि बेटा चला गया है अब वो भी जीके क्या करेंगे। बेटे की मौत के बाद जिन विधायकों ने मुआवजे और न्याय का भरोसा देकर तीये की बैठक में आने को कहा था, वो पहुंचे ही नहीं। इस बात से टूटे परिवार को यकीन हो चला है कि सरकार में हमारी सुनवाई नहीं हो रही है और नेता सिर्फ राजनीति कर रहे हैं। अब उनके घर के चिराग को न्याय मिलना तो दूर मुआवजे के लिए भी भटकना पड़ेगा। बेटे की मौत के बाद परिवार के लोग इस कदर टूट गए हैं कि अपना दर्द भी बयां नहीं कर पा रहे।
बता दें कि सवाई मानसिंह हॉस्पिटल (SMS) में लापरवाह और मगरूर व्यवस्था के बीच एक नौजवान को गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ता है। उससे छुपाया जाता है। इस बीच 10 दिन तक ICU में जिंदगी की जंग लड़ते-लड़ते आखिर सचिन ने बीते शुक्रवार की सुबह दम तोड़ दिया। युवक की मौत के बाद जांच बैठती है और दिखावे के लिए दो-तीन कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया।
यह था मामला…
दौसा जिले के बांदीकुई के रायपुरिया का बास निवासी सचिन शर्मा (25) कोटपूतली में एचपीसीएल के पेट्रोल पंप पर अपने पिता की जगह अनुकंपा पर नौकरी कर रहा था। 12 फरवरी की शाम ड्यूटी के बाद पैदल लौटते समय अज्ञात बाइक की टक्कर से सचिन का पैर बुरी तरह जख्मी हो गया। जख्म गहरा होने के चलते उसे कोटपूतली से 13 फरवरी की सुबह 4 बजे के करीब उसे ट्रॉमा सेंटर में भर्ती करवाया गया था। यहां उसे ‘O’ पॉजिटिव की जगह ‘AB+’ ब्लड और प्लाज्मा चढ़ा दिया गया। ऐसा एक नहीं चार बार हुआ। नतीजा ये हुआ कि 10 दिन तक ICU में जिंदगी की जंग लड़ते-लड़ते सचिन की बीते शुक्रवार की सुबह दम तोड़ दिया।
सचिन के अंतिम संस्कार से लेकर तीये की बैठक का खर्च भी परिवार को उधार लेकर करना पड़ा। यहां तक कि राशन के पैसे भी नहीं बचे हैं। घर में इकलौता बेटा सचिन शर्मा ही कमाने वाला था। वहीं किडनी खराब होने के चलते उनके पिता महेश शर्मा चारपाई से भी उठ नहीं पाते।
आखिरी वक्त तक सचिन को थी मां-बाप की चिंता
पिता महेश शर्मा ने कहा- अपनी जगह 9 हजार की नौकरी करने बेटे को भेजा था। मरने से पहले सचिन ने एक वीडियो बनाया था। वीडियो में वह बमुश्किल बोल पा रहा है। सचिन के चचेरे भाई रवि शर्मा ने बताया कि मरने से कुछ घंटे पहले सचिन ने एक वीडियो जारी कर लड़खड़ाते शब्दों में अपने मां-बाप को ढांढ़स बंधाया था कि वो चिंता नहीं करें।
देर शाम ये जनप्रतिनिधि पहुंचे सचिन के घर
सचिन के अंतिम संस्कार के करीब पांच दिन बाद नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, दौसा सांसद जसकौर मीणा और बांदीकुई से विधायक भागचंद टाकड़ा पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे।
दौसा सांसद जसकौर मीणा ने कहा कि हम पीड़ित परिवार का नाम बीपीएल योजना में जुड़वाने का प्रयास करेंगे। वहीं बांदीकुई से विधायक भागचंद टाकड़ा ने बताया कि उन्हें अभी सीएम ऑफिस से समय नहीं मिला है। जैसे ही दो-चार दिनों में मिलने का समय मिलेगा, हम अपनी मांगें उनके सामने रखेंगे।
इधर, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि हमारी सरकार के समय राजस्थान में उदयपुर और जयपुर में ऐसे मामले में हमने तुरंत पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता, मुआवजा और सरकारी नौकरी भी दी थी। हमने 50 लाख की आर्थिक सहायता दी थी, ऐसे में कम से कम सचिन के परिवार को इतना मुआवजा तो मिलना ही चाहिए।