rajasthan police : जयपुर। शहर में ज्वैलरी से संबंधित काम करने वालों ने बिना पुलिस वेरिफिकेशन के कारीगर या नौकर रखे तो पुलिस उस व्यापारी के खिलाफ कार्रवाई करेगी। पिछले छह महीनों में बाहरी कारीगरों के ज्वैलर्स का माल लेकर भाग जाने के मामलों में हुई बढ़ोत्तरी के बाद पुलिस ने यह निर्णय लिया है।
पुलिस अधिकारियों का मानना है कि कई ज्वैलर्स बिना वेरिफिकेशन के जान-पहचान के आधार पर बंगाली कारीगरों को रख लेते हैं, बाद में वारदात हो जाने पर पुलिस में मामला लेकर आते हैं। कारीगर के भेष में अपराधी लोग अपने तथ्य को गलत बता देते हैं। वेरिफिकेशन नहीं होने से उनके बारे में कोई सुराग नहीं मिल पाता है।
बिना पहचान दे रहे लाखों की ज्वैलरी
परकोटे के चौड़ा रास्ता, जौहरी बाजार, किशनपोल बाजार इलाकों में ज्वैलरी का बड़ा बाजार है। यहां से देश-विदेशों में ज्वैलरी का व्यापार किया जाता है। इन इलाकों में ही कुं दन मीना कारीगरी के कई कारखाने चल रहे हैं, जिनमें स्थानीय के साथ-साथ बंगाली कारीगर भी काफी मात्रा में जड़ाई का कार्य कर रहे हैं। बंगाली कारीगरों की संख्या अनुमानत: एक लाख के करीब बताई गई है। ज्वैलर्सव्यापारी स्थानीय कारीगरों की तुलना में सिर्फ जान पहचान के आधार पर बंगाली कारीगरों के कम रेट में काम करने के कारण इन्हें लाखों का काम दे देते हैं।
ऑनलाइन के बावजूद हिचक रहे
माणक चौक थाना प्रभारी राण सिंह सोढ़ा ने बताया कि पुलिस वेरिफिकेशन दो प्रकार से हाता है। एक तो थाने से, दूसरा ऑनलाइन तरीके से भी लोग अपने किराएदार का वेरिफिकेशन करा सकते हैं। इस प्रक्रिया में सात से दस दिन तक का समय लगता है। कई बार पुलिस प्रशासन भी अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करती है। पुलिस वेरिफिकेशन तो अनिवार्य भी है, लेकिन आज भी लोग इससे बच रहे हैं।
कई व्यापारी पुलिस के जरिए अन्य सरकारी एजेंसियों में अपना डेटा जाने की वजह से इन बंगाली किराएदारों का वेरिफिकेशन नहीं करा रहे हैं। ज्वैलरी का आज भी बड़ा व्यापार बिना बिल के कच्ची रसीदों पर ही हो रहा है। ऐसे में जब कोई कारीगर माल लेकर भाग जाता है तो ज्वैलरी की बिलिगं नहीं होने से भी लोग घबरा जाते हैं। कुछ केसों में ज्वेलर्स कारीगरों से काम कराने के बाद पैसे नहीं देते है। ऐसे में पुलिस वेरिफिकेशन नहीं होने से वे उसे अपना कारीगर ही नहीं मानते हैं।
इनका कहना है…
माणक चौक एसीपी हेमंत जाखड़ का कहना है कि पुलिस प्रशासन व्यापारियों से कई प्रकार से समन्वय कर उनहें किराएदारों का वेरिफिके शन कराने के लिए जागरूक कर रही है। आगे से बिना पुलिस वेरिफिके शन के किराएदार के मामले में इनके खिलाफ भी कार्रवाई करेगी। वहीं, जस्थान जडिया एकता मजदूर संघ के महेन्द्र सोनी ने कहा कि जडिया मजदूर संघ के पास भी महीने में 50 से ज्यादा शिकायतें आती है। जडिया मजदूर संघ के बैनर में काम करने वाले लोगों का सबसे पहले पुलिस वेरिफिकेशन होता है। बाहरी क्षेत्र से आने वाले कारीगरों का वेरिफिकेशन नहीं होने से ये लोग गलत फायदा उठा जाते हैं। कागजों के अभाव में कई मामले पुलिस के पास पहुंच ही नहीं पाते हैं।
6 महीनों में हुई ये वारदातें
जनवरी-कारीगर के खिलाफ ज्वेलर्स से धोखाधड़ी का मामला दर्ज
फरवरी-1 तौला सोना लेकरी कारीगर फरार
मार्च -काम करने के बहाने जेवर लेकर भागा
अप्रैल- 65 ग्राम सोना लेकर कारीगर फरार
मई- दो विभिन्न घटनाओं में ज्वैलर्स का माल लेकर फरार जून-30 लाख केगहने लेकर कारीगर फरार
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