ओमप्रकाश शर्मा, जयपुर। नाबालिगों और बालिगों के साथ हुई दुष्कर्म की घटनाओं को अंजाम देने वाले दरिंदों की डीएनए जांच के लिए प्रदेश की फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) के पास एक्सपर्ट ही नहीं है। एफएसएल में डीएनए जांच के 17 हजार के करीब सैंपल पेंडिंग है। इनमें से 8 हजार के करीब प्रकरण नाबालिगों के साथ हुई दुष्कर्म की घटनाओं के है, जबकि बालिगों के साथ हुई घटनाओं के पांच हजार केस पेंडिंग है।
चार हजार मामले पैतृकता और अन्य संगीन मामलों के पेंडिंग चल रहे हैं। इसकी वजह है डीएनए जांच के लिए एफएसएल में एक्सपर्ट नहीं है। इस संबंध में एफएसएल ने सरकार को एक्सपर्ट की भर्ती के लिए पत्र लिखा भी है, लेकिन अभी तक भर्ती नहीं होने से दुष्कर्म की घटनाओं को अंजाम देने वाले आरोपियों को फायदा मिल रहा है। क्योंकि एफएसएल रिपोर्ट की आरोपियों को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हाल ही में एक मामले में पीड़िता के दुष्कर्म की घटना के ट्रायल करने के दौरान इनकार करने के बाद भी कोर्ट ने एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर आरोपी को सजा सुनाई थी।
वर्ष 2011 में शुरू हुई थी डीएनए जांच
प्रदेश में एफएसएल में वर्ष 2011 में डीएनए जांच शुरू की थी। तब से अब तक एक्सपर्ट की भर्ती नहीं हुई और जांचें दूसरे विभाग के एक्सपर्ट के भरोसे ही की जा रही है। डीएनए जांच के लिए पीड़िताओं के अंडरगार्मेंट्स व स्वाब के सैंपल आते हैं। इन सैंपलों के साथ में आरोपी के ब्लड से सैंपल भी आते हैं। ऐसे में डीएनए जांच से अंडरगार्मेंट्स पर लगे आरोपियों के सीमन होने का पता लगाया जाता है। इस रिपोर्ट को एफएसएल पुलिस को देती है और पुलिस फिर कोर्ट में पेश करती है।
रोजाना आ रहे हैं 20-25 केस
एफएसएल जयपुर यूनिट में 17 हजार जांचें पेंडिंग हैं। एफएसएल में रोजाना डीएनए जांच के करीब 20 से 25 प्रकरण के स आते हैं। औसतन हर माह करीब 600 के स अलग-अलग पुलिस थानों से डीएनए जांच के लिए एफएसएल आ रहे हैं। एक्सपर्टनहीं होने से इनमें से एफएसएल के सीरोलॉजी व बायोलॉजी विभाग के वैज्ञानिक करीब 300 के सों का औसतन हर माह निस्तारण कर देते हैं, जबकि एफएसएल को 32 यूनिट प्रभारी की डीएनए जांच के लिए जरूरत है। एक यूनिट में प्रभारी और 4 एक्सपर्टकी जरूरत है।
भर्ती के लिए सरकार को लिखा
डीएनए जांच के मामले पेंडिंग है। इस संबंध में सरकार को भर्ती के लिए लिख रखा है। भर्ती होने के बाद में पेंडेंसी कम हो जाएगी। फिर भी दूसरी यूनिटों के मुकाबले प्रकरणों की जांच ज्यादा संख्या में कर रहे हैं। राजेश सिंह, डिप्टी डायरेक्टर, एफएसएल
रिपोर्ट में देरी, दोषियों को नहीं मिल पा रही सजा
जयपुर। फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में जिस अनुपात में सैंपल पहुंच रहे हैं, उस अनुपात में जांच पूरी नहीं हो पा रही। इससे दोषियों को सजा दिलाने में भी लगातार देरी हो रही है। खास बात है कि डीएनए जांच मजबूरी में बायोलॉजी और सीरोलॉजी के वैज्ञानिकों काे करनी पड़ रही है। इससे एफएसएल द्वारा की जाने वाली डीएनए जांच में सवालिया निशान लग गया है। आखिर दूसरे विभाग के वैज्ञानिक डीएनए जांच कैसे कर सकते हैं।
हालांकि एफएसएल के अफसरों का कहना है कि डीएनए जांच के लिए जिन एक्सपर्ट की योग्यता होती है, वह योग्यता उनमें है। ऐसे में वह जांच कर लेते हैं। 2015 में होनी थी भर्ती सच बेधड़क की पड़ताल में सामने आया कि सरकार ने एफएसएल डीएनए विभाग में साल 2015 में वैज्ञानिकों की भर्ती करने की घोषणा की थी। योजनना के तहत डीएनए विभाग में एक सहायक निदेशक और दो वरिष्ठ वैज्ञानिकों की भर्ती होनी थी। लेकिन यह भर्ती अटक गई और अभी भी पद खाली पड़े हैं।