Rajasthan Politics : इस समय BJP राजस्थान के ‘बड़े’ नेता ताबड़तोड़ कई जिलों का दौरा कर रहे हैं। वो बात अलग है कि वे इन दौरों को निजी बता रहे हैं,लेकिन चुनावी साल में निजी दौरे किसी के भी गले नहीं उतर रहे हैं। राजस्थान भाजपा के शीर्ष नेताओं का अलग-अलग जिलों में जाकर शक्ति प्रदर्शन करना और उसमें भी गुटबाजी का दिखना चुनावी जमीन पर एक अलग ही माहौल तैयार कर रहा है। ये सर्वविदित है कि कांग्रेस पर अंदरूनी रार का राग अलापने वाली प्रदेश भाजपा दो धड़ों में बंटी हुई है इसमें वसुंधरा गुट और पूनिया गुट अलग-अलग अपनी ही रणनीति बना रहे हैं।
दोनों नेताओं के दौरों में एक-दूसरे गुट के नेता रहते हैं नदारद
अभी कल की ही बात करें तो वसुंधरा राजे बीकानेर दौरे पर थीं, इस हफ्ते में यह उनका दूसरा दौरा है। वहीं सतीश पूनिया हाड़ौती संभाग के दौरे पर थे। दोनों ही दौरों में एक बात कॉमन थी। वो यह है कि दोनों ही रैली में एक दूसरे गुट के लोग नदारद रहे। वसुंधरा राजे के दौरे में पूनिया गुट के नेताओं मे दूरी बनाई तो सतीश पूनिया का रैली में वसुंधरा समर्थक नजर नहीं आए। यहीं से प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर कलह निकल कर सामने आ रही है। गाहे-बगाहे भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के सामने तो ये दोनों एक साथ नजर आते हैं और एकजुटता की बात करते हैं लेकिन इसे बाद स्थिति पुराने ढर्रे पर आ जाती है।
आज की अरुण सिंह की बैठक में शामिल नहीं वसुंधरा राजे
भाजपा का अंदरूनी कलह की अटकलें इस बाते से और तेज हो जाती हैं कि आज भी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह जयपुर में भाजपा कार्यालय में कार्यसमिति की बैठक ले रहे हैं। अरुण सिंह 2 दिवसीय जयपुर के दौरे पर हैं। इस बैठक में वसुंधरा राजे को छोड़कर प्रदेश भाजपा के सभी बड़े नेता मौजूद हैं, बैठक में सह प्रभारी विजया राहटकर, प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर समेत पार्टी पदाधिकारी प्रदेश कार्यालय में मौजूद है। इसके बाद पार्टी के आगामी कार्यक्रमों और अभियानों को लेकर प्रमुख नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक प्रस्तावित हैं।
सीएम चेहरे पर छिड़ी है रार !
राजनीतिक जानकारों की माने तो यह भाजपा का सीएम पद के चेहरे को लेकर छिड़ी रार है। यह भी किसी से छुपा नहीं है कि सतीश पूनिया के नेतृत्व या अध्यक्षता में हुई बैठकों से वे अक्सर नदारद रहती हैं। पार्टी कार्यकर्ता भी दबी जुबान में ही प्रदेश भाजपा के नेतृत्व पर सवाल खड़े करते रहते हैं। सीएम के पद के दावेदार तो गजेंद्र सिंह शेखावत भी बताए जाते हैं, लेकिन ये नाम यहीं सीमित नहीं हैं इनके अलावा केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया भी मुख्यमंत्री बनने की दबी चाहत रखते हैं। भाजपा में सीएम के चेहरे पर छिड़ी रार पर कांग्रेस ने भी कई मौकों पर चुटकी ली है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तो यहां तक कह दिय़ा कि भाजपा में तो 6-7 सीएम उम्मीदवार हैं।
केंद्रीय नेतृत्व फिर से दोहराएगा एकजुटता का पाठ
पार्टी की इस गुटबाजी को लेकर कई बार केंद्रीय नेतृत्व तक को हस्तक्षेप करना पड़ा है। अमित शाह अपने हाल के ही दौरों में पार्टी को यह कड़ा संदेश देकर गए हैं कि पार्टी में किसी तरह की गुटबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लेकिन इसके अलावा वे सतीश पूनिया और वसुंधरा राजे की जमकर तारीफ कर डैमेज कंट्रोल भी करते हैं। तो वहीं अब ये भी अटकलें लगाई जा रही हैं जेपी नड्डा के प्रस्तावित राजस्थान दौरे के दौरान ये दोनों नेता फिर से गुटबाजी को किनारे रख एक साथ आ जाएं। लेकिन यह तो तय है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह का सिखाया हुआ एकजुटता का पाठ एक फिर से वे दोहराएं।
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