Rajasthan Politics : कल सिरोही में हुए प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में प्रदेश भाजपा के बड़े नेता ‘एक साथ’ नजर आए। इनमें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मौजूद थे। प्रधानमंत्री के इस दौरे में प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेताओं के एक साथ दिखने से मतलब तो साफ है कि पार्टी में गुटबाजी को किनारे रख अब भाजपा राजस्थान के विधानसभा चुनाव को प्राथमिकता दे रहे हैं।
सीएम चेहरे पर छिड़ी हुई है रार
वसुंधरा राजे औऱ सतीश पूनिया की गुटबाजी जगजाहिर है। वसुंधरा राजे ने कई मौकों पर प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के खिलाफ मोर्चा खोला है। राजनीतिक जानकार इसे भाजपा का सीएम पद के चेहरे को लेकर छिड़ी रार के रूप में भी देख रहे हैं। यह भी किसी से छुपा नहीं है कि सतीश पूनिया के नेतृत्व या अध्यक्षता में हुई बैठकों से वे अक्सर नदारद रहती हैं। पार्टी कार्यकर्ता भी दबी जुबान में ही प्रदेश भाजपा के नेतृत्व पर सवाल खड़े करते रहते हैं। सीएम के पद के दावेदार तो गजेंद्र सिंह शेखावत भी बताए जाते हैं, लेकिन ये नाम यहीं सीमित नहीं हैं इनके अलावा केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया भी मुख्यमंत्री बनने की दबी चाहत रखते हैं। भाजपा में सीएम के चेहरे पर छिड़ी रार पर कांग्रेस ने भी कई मौकों पर चुटकी ली है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तो यहां तक कह दिय़ा कि भाजपा में तो 6-7 सीएम उम्मीदवार हैं।
पार्टी की इस गुटबाजी को लेकर कई बार केंद्रीय नेतृत्व तक को हस्तक्षेप करना पड़ा है। अमित शाह अपने हाल के ही दौरों में पार्टी को यह कड़ा संदेश देकर गए हैं कि पार्टी में किसी तरह की गुटबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लेकिन इसके अलावा वे सतीश पूनिया और वसुंधरा राजे की जमकर तारीफ कर डैमेज कंट्रोल भी करते हैं।
अगले साल हैं चुनाव
राजस्थान में अगले साल ही चुनाव है इसे देखते हुए पार्टी किसी तरह की गुटबाजी में फंसना नहीं चाहती। इसके अलावा भाजपा कांग्रेस की गुटबाजी का हश्र देखेत हुए इससे बाहर आना चाहती है तो कांग्रेस पर आए इस सियासी संकट के मौके को हर हाल में भुनाना चाहती है।