Rajasthan Politics : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पद से हटाए जाने और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को कमान सौंपे जाने की संभावना के विरोध में दिए गए पार्टी और निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे अब विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की तिजोरी में बंद हो गए हैं। विधायकों के यह इस्तीफे भले ही राजनीतिक दांव-पेच का एक हिस्सा हो, लेकिन वास्तविकता यह है कि विधायकों ने इस्तीफे पूरी तरह से नियम और कायदों की पालना करते हुए दिए हैं।
विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देने के लिए बने नियमों के फाॅर्मेट में लिखे गए इस्तीफ पर हस्ताक्षर करके खुद विधानसभा अध्यक्ष के घर जाकर सौंपे हँ। नियमानुसार इन इस्तीफों को स्वीकार करना अध्यक्ष की मजूबरी है। स्पीकर के इस्तीफा मंजूर करने से पहले यदि विधायक खुद उपस्थित होकर इस्तीफा वापस लेने की बात नहीं कहते, तब तक यह माना जाएगा कि त्यागपत्र हो गया है। लेकिन ऐसा करने में वो सियायत कमजोर पड़ जाती है, जिसके कारण यह लिखे गए थे।
क्या है सदस्यता से त्यागपत्र देने के नियम
राजस्थान विधानसभा की प्रक्रिया नियम के अध्याय-21 के नियम-173 में सदस्य के त्यागपत्र को लेकर नियम का उल्लेख है। इसमें सेट फार्मेट का भी जिक्र है, जिसमें इस्तीफा लिखना होता है। इसी फाॅर्मेट में 25 सितंबर को विधायकों ने इस्तीफा लिखा है। नियम अनुसार विधानसभा को तत्काल यह इस्तीफा मंजूर करना होता है। यदि इस्तीफ डाक या अन्य किसी जरिए से भेजा जाता तो विधानसभा अध्यक्ष पहले यह सुनिश्चित करते कि इस्तीफा सदस्य ने बिना दबाव में दिया है।
सदस्यता मामले में हाथ कटवा चुके MLA
विधायकों के इस्तीफा खुद जाकर देने के बाद अब इस मामले में नियमानुसार विधायकों के हाथ में कु छ नहीं है। हां, यह जरूर है कि विधायक खुद विधानसभा अध्यक्ष के सामने पेश होकर अपना इस्तीफा वापस लेने की जानकारी लिखित में दें, लेकिन यह तब तक ही संभव है जबकि अध्यक्ष ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया हो।
हेमाराम चौधरी ने दो बार दिया था इस्तीफा
पायलट गुट के माने जाने वाले विधायक हेमाराम चौधरी ने 14 फरवरी, 2019 और 21 मई, 2021 को विधायक पद से अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को भेजा था, लेकिन चौधरी ने खुद विधानसभा अध्यक्ष को जाकर यह इस्तीफा नहीं सौंपा था। हर बार ई-मेल और डाक के द्वारा अपना इस्तीफा भेजा था। इस कारण से अध्यक्ष ने इसे स्वीकार करने से पहले चौधरी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थिति होने के लिए कहा था, लेकिन 25 सितंबर को दिए गए इस्तीफे के मामले में ऐसी स्थिति नहीं है। नियमानुसार यह त्यागपत्र तुरंत स्वीकार होने चाहिए।
भाजपा ने कहा सरकार अल्पमत में
भाजपा के वरिष्ठ नेता वासुदेव देवनानी ने कहा कि 92 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। नियमानुसार अब यह विधायक नहीं रहे हैं। लिहाजा मुख्यमंत्री गहलोत और उनकी सरकार को तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए।
25 सितंबर को सौंपे गए थे इस्तीफे
गहलोत को हटाकर पायलट को सीएम बनाने के मामले में दबाव की राजनीति के तहत 92 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के घर जाकर 25 सितंबर को इस्तीफे सौंपे थे। इस्तीफों को लेकर 3 दिन बाद भी विधानसभा सचिवालय ने स्थिति साफ नहीं की है।