Rajasthan PFI : PFI पर केंद्र सरकार ने 5 साल का बैन लगा दिया है। यानी पूरे देश में अब PFI किसी भी मामले में सक्रिय नहीं हो सकता। न ही कहीं पर उसकी बैठकें होंगी न ही रैली निकलेगी। न ही PFI के पदाधिकारी इससे जुड़े अन्य लोग बैंक, हवाला, चंदे से भी पैसे इकट्ठे नहीं कर पाएंगे। PFI पर बैन लगने के बाद अब राजस्थान में इस कट्टर इस्लामिक संगठन की पैठ कमजोर होगी। पिछले 4-5 महीनों में प्रदेश में हुए सभी सांप्रदायिक दंगों में PFI का कनेक्शन सामने आया था।
PFI पर बैन लगने के बाद प्रदेश के खाद्य मंत्री प्रचाप सिंह खाचरियावास ने इस कार्रवाई को अपना समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि अच्छा है PFI पर बैन लग गया । आतंकवाद के खिलाफ सबसे ज्यादा कांग्रेस ने कीमत चुकाई है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने आतंकवादियों से लडते हुए अपनी जान दे दी। कांग्रेस में आतंकवाद के खिलाफ बलिदान का इतिहास रहा है।
राजस्थान जैसे शांत प्रदेश में PFI ने जमाई पैठ
हिंदू धर्म के नए साल के दिन करौली में हुआ सांप्रदायिक दंगे का मंजर अभी भी हर किसी के जेहन में है। इस दंगे को भड़काने काम और इसकी फंडिंग PFI ने ही की थी। हनुमान जयंती के दिन भी जोधपुर में सांप्रदायिक दंगा हुआ था। इसमें भी PFI का नाम सामने आया था। अगर थोड़ा और पीछे जाते हैं तो पता चलता है कि पिछले 3 साल में राजस्थान में 6 दंगे हुए हैं। साल 2019 में टोंक का दंगा, साल 2020 में डूंगरपुर का दंगा, साल 2021 में बारां और झालावाड़ में सांप्रदायिक हिंसक झड़प हुई थी।
इसके बाद अब इस साल जोधपुर और करौली में दंगा हुआ। बात सिर्फ यहीं नहीं थमी कोटा में इसी साल फरवरी में PFI की रैली को भी मंजूरी दी गई थी औऱ यह रैली हुई भी थी। इसके बाद1 अप्रैल को PFI ने डीजीपी एमएल लाठर और सीएम गहलोत को भी चिट्टठी लिखी थी। जिसमें PFI ने साफ तौर पर प्रदेश में दंगे की चेतावनी थी। लेकिन इस चिट्ठी को दरकिनार कर सुरक्षा के कोई इंतजामा नहीं किए गए। नतीजा, हमें करौली और जोधपुर दंगे के रूप में देखना पड़ा।
राजस्थान PFI का मुखिया आसिफ की बढ़ी रिमांड
22 सितंबर को NIA-ED ने पूरे देश के लगभग 15 राज्यों में कट्टर इस्लामिक संगठन PFI के ठिकानों पर छापेमारी की थी। जिसमें पूरे देश से 106 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। राजस्थान PFI (PFI In Rajasthan) का मुखिया आसिफ मिर्जा केरल से पकड़ा गया था। आसिफ कोटा के सांगोद का रहने वाला है। NIA की टीम सांगोद में उसके आवास पर छापा मारने पहुंची थी लेकिन वह वहां नहीं मिला। आसिफ के भाई से NIA ने पूछताछ की तो पता चला कि वह PFI के गढ़े केरल में है। जिसके बाद केरल में छापेमारी कर रही टीम को इसकी जानकारी दी गई। तब जाकर आसिफ NIA के हत्थे चढ़ा।कल आसिफ की रिमांड खत्म हो गई थी जिसके बाद फिरसे उसकी रिमांड को बढ़ा दिया गया।
बता दें कि NIA ने जयपुर, कोटा, बारां, उदयपुर में छापा मारा था। उदयपुर से दो, कोटा और बारां से 1-1 को गिरफ्तार किया गया था। NIA को इन शहरों में टेरर फंडिग, ट्रेनिंग कैंप और बच्चों को आतंक का प्रशिक्षिण देने के इनपुट मिले थे। आपको बता दें कि जिन-जिन शहरों से PFI के लोग गिरफ्तार हुए थे। उन शहरों में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। उदयपुर में कन्हैयालाल हत्या कांड हुआ था जिसके लिंक PFI से जुड़े हुए थे। वहीं कोटा में PFI की साल 2021 में बैठक हुई थी। केंद्र सरकार के PFI पर बैन लगाने के बाद यह हो सकता है कि कुछ महीनों से दंगों की आग से दहक रहा राजस्थान अब कुछ शांत हो जाए।
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