Rajasthan Election 2023: निर्दलीयों ने हर बार बिगाड़ा बीजेपी-कांग्रेस का गणित, अपने चेहरे पर बंधवाया जीत का सेहरा

पिछले पांच विधानसभा चुनावों के नतीजे ये दिखाने के लिए काफी हैं कि राजस्थान में कई नेता अपने चेहरे के दम पर स्थापित पार्टियों के नेताओं को पटखनी देने का दम रखते हैं।

rajkumar sharma | Sach Bedhadak

Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में अब तक हुए विधानसभा चुनावों में वैसे तो मुकाबला मुख्य रूप से दो ही पार्टियों के बीच होता रहा है, लेकिन चुनावी रण में कई बार निर्दलीय प्रत्याशियों व अन्य पार्टियों के नेताओं ने भी अपना दम दिखाया है। पिछले पांच विधानसभा चुनावों के नतीजे ये दिखाने के लिए काफी हैं कि राजस्थान में कई नेता अपने चेहरे के दम पर स्थापित पार्टियों के नेताओं को पटखनी देने का दम रखते हैं। साथ ही कुछ इलाकों में इन दोनों पार्टियों से इतर तीसरी पार्टी मजबूती के साथ टक्कर देकर जीती हैं।

हालांकि नतीजों के बाद अधिकांश निर्दलीयों ने अपनी मूल पार्टी का दामन वापस थाम लिया लेकिन चुनावों में उनकी मतदाताओं पर पकड़ के समीकरण ने प्रदेश को चौंकाया जरूर। निर्दलीय या तीसरी पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ने व जीतने वालों में किरोड़ीलाल मीणा, गोलमा देवी, हनुमान बेनीवाल, राजकुमार शर्मा, राजेन्द्र गुढा, संयम लोढ़ा, बाबूलाल नागर जैसे नेताओं के साथ ही कई अन्य नेता शामिल हैं। जीतने के साथ ही निर्दलीय व अन्य पार्टियों के नेताओं ने प्रदेश में अच्छा-खासा वोटिंग प्रतिशत भी हासिल किया है।

पिछले पांच साल के चुनावों की बात करें तो 2018 के चुनाव में 27, 2013 के चुनाव में 16, 2008 के चुनाव में 26, 2003 के चुनाव में 24 और 1998 के चुनाव में 14 ऐसे नेता विधायक बने थे जो या तो निर्दलीय था या भाजपा व कांग्रेस के अलावा तीसरी किसी पार्टी से चुनाव लड़ रहे थे। 2008 और 2018 में सीटों के गणित के चलते कांग्रेस सरकार बनाने में इन विधायकों का अहम योगदान भी रहा।

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कांग्रेस के बागी ज्यादा रहे सफल

पिछले चुनाव में भाजपा व कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर कुल 22 नेताओं ने प्रदेश के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे जिनमें से 11 ने अपनी-अपनी पार्टी के प्रत्याशी को पटखनी दे जीत हासिल की। कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़ने वाले 11 नेताओं में से 10 जीते जब कि भाजपा के 12 बागियों में से के वल एक ओमप्रकाश हुड़ला ही जीत हासिल कर पाए। कांग्रेस के बागी राजकु मार गौड़, महादेव सिंह, बाबूलाल नागर, बलजीत यादव, खुशवीर सिंह, संयम लोढ़ा, रमीला खड़िया, लक्ष्मण मीना, आलोक बेनीवाल और रामकेश मीना ने चुनाव में जीत हासिल की थी।

छह सीट पाकर भी खत्म हो गई थी पार्टी

पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा से चुनाव लड़े छह नेताओं ने जीत हासिल की थी। बसपा के टिकट पर जीते इन सभी छह विधायकों ने बाद में कांग्रेस का दामन थाम लिया था। इसके बाद प्रदेश की सत्ता में बसपा की उपस्थिति शून्य हो गई थी। इन सभी छह नेताओं को बसपा ने भी बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इस बार ये सभी नेता कांग्रेस टिकट की दावेदारी जता रहे हैं वहीं सरकार में मंत्री रहे राजेन्द्र गुढ़ा ने हाल ही शिंदे शिवसेना का दामन थाम लिया है।

वोटों की संख्या से निकलता है स्पेस

चुनावों में निर्दलियों के जीतने की गणित वोटों की संख्या के वितरण पर निर्भर करती है। हर क्षेत्र में दोनों ही पार्टियों के कोर वोटर्स के साथ ही जातिगत खेमेबंदी होती है। मतदाताओं के समूह में जो नेता सेंध लगा लेता है, वह सीट निकाल लेता है। साथ ही वोटों के कें द्रीकरण का भी जीतने में अहम रेाल होता है। उदाहरण के लिए देखें तो 1998 में जीते 7 निर्दलीय प्रत्याशियों को कुल 14.41 प्रतिशत वोट मिले थे। अन्य पार्टियों से भी 7 ही नेता जीते थे लेकिन इनको कुल वोटों में से महज 7.7 प्रतिशत वोट मिले थे।

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ये रहा है निर्दलीयों की जीत का गणित

1998

कांग्रेस 150- 44.95
भाजपा 33- 33.23
निर्दलीय 7- 14.41
अन्य 7- 7.4

2003

कांग्रेस 56- 35.65
भाजपा 120- 39.20
निर्दलीय 13- 11.37
अन्य 11- 13.78

2008

कांग्रेस 96- 36.82
भाजपा 78- 34.27
निर्दलीय 14- 14.97
अन्य 12- 13.95

2013

कांग्रेस 21- 33.71
भाजपा 163- 46.05
निर्दलीय 7- 8.37
अन्य 9- 11.87

2018

कांग्रेस 100- 39.82
भाजपा 73- 39.28
निर्दलीय 13- 9.59
अन्य 14- 11.30