Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन थमने के साथ ही अब चुनावी बिसात पूरी तरह से बिछ चुकी है जहां प्रत्याशी अपने अपने इलाकों में जनता की नब्ज टटोलने निकल गए हैं. इसी बीच सोमवार को प्रदेशभर में नामांकन का शोर रहा जहां कई इलाकों से चुनावी प्रत्याशियों के साथ भीड़ का हुजूम देखा गया. इसी कड़ी में नागौर जिले की लाडनूं विधानसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी नियाज़ मोहम्मद खान ने भी सोमवार को नॉमिनेशन फाइल किया जहां उनकी नामांकन रैली के दौरान जनता का हुजूम उमड़ा.
मालूम हो कि लाडनूं सीट से वर्तमान में कांग्रेस के विधायक मुकेश भाकर हैं और कांग्रेस ने उन्हें फिर उतारा है. वहीं बीजेपी की ओर से करणी सिंह को टिकट दिया गया है जो पूर्व विधायक मनोहर सिंह के बेटे हैं.
दरअसल लाडनूं सीट पर जाट समुदाय का खासा दबदबा माना जाता है जिसकी वजह से ही इस सीट से हरजीराम बुरड़क ने 6 बार चुनाव जीता था. इसके अलावा यहां दलित, मुस्लिम और राजपूत मतदाता भी चुनावी पासा पलट सकते हैं. कांग्रेस ने जाट चेहरे पर दांव खेला है तो बीजेपी ने राजपूत चेहरा उतारा है. वहीं बसपा की ओर से मुस्लिम चेहरे को उतारा गया है ऐसे में लाडनूं सीट पर इस बार चुनाव त्रिकोणीय हो सकता है.
लाडनूं में हो सकता है त्रिकोणीय घमासान!
बता दें कि सोमवार को बसपा प्रत्याशी नियाज़ खान की नामांकन रैली में उमड़े जनसैलाब के बाद सियासी जानकार लाडनूं में त्रिकोणीय मुकाबले की अटकलें लगा रहे हैं जहां अब मुकाबला मुख्य तौर पर मुकाबला कांग्रेस, भाजपा और बसपा माना जा रहा है. वहीं लाडनूं के चुनाव में एक नया मोड़ उस वक्त आया जब एआईएमआईएम से लाडनूं के प्रत्याशी हाजी आसिफ ने नियाज खान को अपना समर्थन दिया. इसके बाद कल नामांकन रैली में भी हाजी आसिफ ने नियाज़ खान के समर्थन में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई.
वहीं नियाज़ मोहम्मद ने नामांकन रैली में कहा कि वो राजनीति में नफ़रत की राजनीति खत्म करने के लिए आए हैं क्योंकि नफरत से सिर्फ नुकसान हैं और प्यार, अमन, मोहब्बत से देश, समाज और कौम का विकास होता हैं और उनका लक्ष्य लाडनूं को विकसित बनाना है. बता दें कि नियाज़ खान लाडनूं में पिछले काफी समय से जनता के बीच सक्रिय है और जनता से जुड़े मुद्दे उठाते रहे हैं.
क्या कहते हैं लाडनूं के सियासी आंकड़े
गौरतलब है कि नागौर जिले की लाडनूं विधानसभा सामान्य सीट है जहां 2018 में कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया था. वहीं इससे पहले 2013 में यह सीट बीजेपी के खाते में चली गई थी. बता दें कि बीजेपी को यहां से केवल दो बार ही जीत मिली है और कांग्रेस ने इस सीट से 6 बार जीत हासिल की है.