Rajasthan : प्रदेश पर वायरस की दोहरी मार, बीमारी की चपेट में आए इंसान और पशु

Rajasthan : राजस्थान इन दिनों दो बड़ी मुश्किलों का सामना कर रहा है। ये दोनों ही बड़ी घातक और जानलेवा बीमारियां हैं। एक तरफ कोरोना…

cow 4 | Sach Bedhadak

Rajasthan : राजस्थान इन दिनों दो बड़ी मुश्किलों का सामना कर रहा है। ये दोनों ही बड़ी घातक और जानलेवा बीमारियां हैं। एक तरफ कोरोना ( Covid-19 ) के लगातार बढ़ते मामले शासन-प्रशासन और लोगों का सिरदर्द बढ़ा रहे हैं, तो दूसरी तरफ प्रदेश के पशु जिनमें अधिकतर गायें हैं लंपी वायरस ( Lumpy Skin Disease ) की चपेट में आकर काल का ग्रास बन रहे हैं। इन दोनों ही बीमारियों से अब जनता और पशुपालक त्राहि-त्राहि कर रहे हैं।

लंपी की चपेट में गायें

लंपी वायरस का कहर ( Lumpy Skin Disease ) अब तक 24 जिलों को अपनी चपेट में ले चुका है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक प्रदेश में 15 हजार 247 पशुओं की मौत हो चुकी है, वहीं लगभग 40 हजार पशु इसकी चपेट में हैं। वहीं बीते 24 घंटे में 1202 पशुओं की इस वायरस से संक्रमिक होकर मौत हो गई है। हर दिन हजारों की संख्या में पशु काल के गाल में समा रहे हैं। आए दिन उनकी मौत के बाद के दर्दनाक वीडियो सामने आ रहे हैं। जो किसी को भी अंदर तक झकझोरने के लिए काफी हैं।

लेकिन इस सबके बावजूद अभी तक पशुओं की इस बीमारी ( Lumpy Skin Disease ) को दूर करने के लिए जो भी कदम उठाए जा रहे हैं वे उतने प्रभावी नहीं नजर आ रहे। जिनसे पशुओं को जरा भी राहत मिले। ऐसे में यह वायरस एक तरह से प्रदेश की सरकार और पशुपालन विभाग के सामने चुनौती के रूप में खड़ी है। केंद्र की ओर से गोटपॉक्स वैक्सीन ( Goat Pox ) देेने की मंजूरी के बाद भी अभी तर वैक्सीनेशन भी शुरू नहीं हो पाया है। जिससे इस बामारी में कुछ राहत मिलने के मिलने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।

दुग्ध उतापदन में आई 25 प्रतिशत की कमी

एक ताजा आंकड़े के मुताबिक प्रदेश में गायों के संक्रमित होने ( Lumpy Skin Disease ) औऱ उनकी मौतों से रोजाना दूध उत्पादन में भी भारी कमी आई है। दुग्ध उतापदन में सीधे-सीधे 25 से 27 प्रतिशत की कमी आना पशुओं और पशुपालकों की दृष्टि से ही नहीं बल्कि प्रदेश और देश में डेयरी प्रोडक्ट की मांग को देखते हुए भी कारोबारियों और सरकार के लिेए चिंता का विषय बन गया है। बीकानेर को राजस्थान का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक के रूप में जा जाता है। यहां पर जून महीने में हर दिन करीब 78 हजार लीटर दूध का उत्पादन हुआ था जो कि जुलाई से लेकर इस महीने तक सिर्फ 72 हजार लीटर पर आ गया है।

प्रदेश में कोरोना से 12 दिन में ही 13 मौत

वहीं अगर बात कोरोना वायरस ( Covid-19 ) के बढ़ते मामलों की करें तो प्रदेश में बीते 10 दिनों में इलाज करा रहे मरीजों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है। बीते एक सप्ताह से 600 के आस पास मामले आ रहे हैं। जबकि 10 दिन पहले तक राज्य में केस केवल 300 या उससे भी कम आ रहे थे। ऐसे में बढ़ती मरीजों की संख्या स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता का कारण बन रही है।

पिछले एक सप्ताह की रिपोर्ट देखें तो राज्य में टेस्टिंग भी डबल हो गई है। जुलाई में हर रोज पूरे राज्य में औसतन 5 से 6 हजार टेस्ट रोजाना होते थे। पिछले एक सप्ताह तक बढ़कर औसतन 12 हजार के करीब पहुंच गई, लेकिन बीते शुक्रवार को सेम्पलिंग की संख्या घटकर 2977 पर ही रह गई। बीते 24 घंटे में प्रदेश में 438 नए संक्रमित मिले हैं, साथ ही सीकर में कोरोना से एक की मौत हुई है। अगस्त माह के 12 दिनों में ही 5826 मरीज मिले हैं, वहीं 13 मरीजों की अब तक मौत हो चुकी है।  जुलाई माह के 31 दिनों में  5837 केस मिले थे, और15 मरीजों की डेथ हुई थी।

राजधानी में मिले सबसे ज्यादा संक्रमित

शुक्रवार को प्रदेश में सबसे अधिक 183 मरीज ( Corona Case Update ) जयपुर में मिले हैं। उदयपुर 82, बूंदी 29, अलवर 25, जोधपुर 20, दौसा 18, भरतपुर 16, राजसमंद 15,अजमेर 12,बीकानेर 9,जैसलमेर 7,सवाई माधोपुर 6,जालोर 4, झालावाड़ पाली 3-3, कोटा सीकर 2-2, बांसवाड़ा गंगानगर  में  1-1 संक्रमित मिले हैं। इस दौरान 433 लोग संक्रमण से ठीक हुए हैं। एक्टिव केसों की संख्या 4 हजार पार कर गई है। अब प्रदेश में 4303 हो गई है। स्वास्थ्य विभाग की ओर जारी रिपोर्ट के अनुसार राज्य में  कोरोना से हुई मौतों की संख्या अब तक कुल 9 हजार 593 है। इससे भी ज्यादा चिंता का विषय यह है कि लोगों में अब कोरोना के प्रति जागरूकता की काफी कमी भी हो गई है। अब मास्क लगाने के लिए भी सरकार को अपील करनी पड़ रही है। चेकिंग के दौरान ही कुछ लोग मुंह पर मास्क लगा लेते हैं, लेकिन इसके थोड़ी देर बाद ही नियमों को खुद ही ताक पर रख देते हैं।

ये दोनों ही बीमारियां जिस तरह इंसानों और पशुओं के साथ-साथ सरकार और प्रशासन के जी का जंजाल बनी हुई हैं उससे समझना चाहिए कि जब तक इन बीमारियों का संक्रमण कम नहीं जो जाता तब तक और उस के बाद भी लोगों की जागरुकता ही उन्हें और उनके पशुओं को बचा सकती है। सरकार की ओर जाकी गाइडलाइन का पालन कर इन बीमारियों से काफी हद तक बचा जा सकता है।

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