Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनावों को लेकर गहमागहमी तेज है जहां बीजेपी की पहली लिस्ट के बाद अब हर किसी को कांग्रेस और बीजेपी की दूसरी सूची का इंतजार है. इस बीच दिल्ली में दोनों ही दलों के नेता लगातार मंथन कर रहे हैं जहां से शुक्रवार देर शाम तक कुछ निकल सकता है. इस बीच बने चुनावी मौसम में इतिहास के पन्ने भी एक बार फिर खंगाले जा रहे हैं जहां पिछले चुनावों के तथ्यों से वर्तमान के समीकरणों को हवा दी जा रही है.
ऐसा ही एक तथ्य चुनावों में जीत-हार को लेकर है जहां राजस्थान में कोई प्रत्याशी लाखों वोटों से जीता है तो किसी को एक वोट से भी हार नसीब हुई है. वहीं कुछ चेहरों के हिस्से 100 से भी कम वोट से हार जीत आई. आइए कुछ ऐसे ही रोचक आंकड़ों को लेकर बताते हैं किस सीट पर हार और जीत चर्चा में रही.
2008 के चुनावों में नाथद्वारा से बीजेपी के कल्याणसिंह चौहान ने कांग्रेस के सीपी जोशी को महज 1 वोट से हराया था, उन चुनावों में चौहान को कुल 62,216 वोट और जोशी को 62,215 वोट मिले थे. वहीं 2008 में ही लक्ष्मणगढ़ से कांग्रेस के गोविंदसिंह डोटासरा ने निर्दलीय दिनेश जोशी को मात्र 34 वोट से हराया था जहां डोटासरा को 31,705 और दिनेश जोशी को 31,671 वोट मिले.
1000 वोट से कम पर हुई हार-जीत
वहीं 2018 के चुनावों में 9 उम्मीदवारों की हार जीत का फैसला महज 1000 से भी कम वोटों से हुआ था और 3 प्रत्याशी ऐसे थे जो 500 वोटों के अंतर से हारे थे. विधानसभा के हिसाब से देखें तो पिछले चुनाव में आसींद से कांग्रेस के मनीष मेवाड़ा बीजेपी के जब्बर सिंह से 154, मारवाड़ जंक्शन से बीजेपी के केसाराम चौधरी निर्दलीय खुशवीर सिंह से 251 और पीलीबंगा(एससी) सीट से कांग्रेस के विनोद कुमार बीजेपी के धर्मेंद्र कुमार से महज 278 वोटों से हार गए थे.
6 प्रत्याशी का अंतर रहा हजार से कम
वहीं इसके अलावा 6 उम्मीदवार ऐसे थे जिनकी हार और जीत 713 से 957 वोटों के अंतर से हुई जहां बूंदी से कांग्रेस के हरिमोहन शर्मा, फतेहपुर से बीजेपी की सुनीता कुमारी, पोकरण से बीजेपी के प्रताप पुरी, दांतारामगढ़ से बीजेपी के हरीशचंद कुमावत, खेतड़ी से बीजेपी के धर्मपाल और सिवाना से निर्दलीय बलराम शामिल रहे.