राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 : अगले साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव हैं। इसके लिए कांग्रेस अपनी सियासी जमीन तैयार कर राजस्थान का रिवाज बदलने की तैयारी में है। इसके लिए अब उसने अब छोटे-छोटे ऐसे क्षेत्रीय दलों के साथ नजदीकी बढ़ानी शुरू कर दी है। जो जातीय समीकरण पर अपना सिक्का जमाकर रखते हैं। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अब ये नजदीकी भाजपा शासित उत्तर प्रदेश से बढ़ रही है। यहां के बड़े-बड़े नेता जो राष्ट्रीय राजनीति में अपना चेहरा खूब चमकाते रहे हैं। आने वाले समय में ये नेता राजस्थान में चुनाव प्रचार करते भी दिखाई दे सकते हैं।
भरतपुर में दिखीं दिलचस्प तस्वीरें
इसकी बानगी कल भरतपुर में चौधरी चरण सिंह की 120वीं जयंती के अवसर पर हुई विशाल किसान रैली में दिखी जा सकती है। यहां की कई ऐसी तस्वीरें ऐसी हैं जो साफतौर पर बता रही हैं कि अब कांग्रेस विधानसभा चुनाव के लिए तैयार हो रही है। दरअसल कल के कार्यक्रम में किसान नेताओं के पैरोकार बनने वाले कई बड़े नेताओं की मौजूदगी ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया था। इस कार्यक्रम में RLD यानी राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी, भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर रावण, सपा विधायक धर्मेंद्र यादव शामिल हुए थे।
सिर्फ यही नहीं बल्कि इनके साथ इन पार्टियों के विधायक भी इस कार्यक्रम में चुनावी एकता का प्रदर्शन करने आए थे। सबसे खास बात यह रही कि इस कार्यक्रम में राजस्थान के मुखिया अशोक गहलोत अपने कैबिनेट मंत्रियों और विधायकों के साथ मौजूद थे। हालांकि इन नेताओं के आने से पहले ही गहलोत दिल्ली जाने की वजह से कार्यक्रम से जल्दी चले गए थे। लेकिन कांग्रेस के दूसरे दिग्गज नेताओं के साथ इन नेताओं की खूब पटी। जमकर फोटो खिंचे और चर्चाओं का दौर चला।
भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता का संदेश !
दूसरी सबसे दिलचस्प बात यह रही कि राजस्थान के युवा नेता सचिन पायलट के साथ यूपी के इन युवा नेताओं के साथ खूब जमीं। इन तस्वीरों को भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता के तौर भी देखा जा रहा है। क्योंकि राजस्थान में अगले साल ही चुनाव है और कांग्रेस इस बार इतिहास बदलने की तैयारी कर रही है। इसके लिए विपक्ष दल एकजुट होते हैं तो यह रिवाज बदल भी सकता है और इसका कारण है जातीय समीकरण।
दरअसल कल जितने नेता भरतपुर के इस कार्यक्रम में मौजूद थे। उन सभी का जाति के आधार पर एक मजबूत वोटबैंक है। जो यूपी में साफ दिखता है। हां ये बात अलग है यूपी में योगी आदित्यनाथ की मजबूत जड़ें, लोकप्रियता औऱ विकास भाजपा के पैर डिगा नहीं पाया लेकिन इन दलों के वोटबैंक ने इन्हें आशातीत सफलता दिलाई है। सबसे पहले बात जयंत चौधरी की RLD की करते हैं। दरअसल जयंत चौधरी जाटलैंड के नेता हैं, यूपी के पूर्वांचल में जाटों का सिक्का बोलता है। साल 2022 के यूपी के विधानसभा चुनाव में सपा के साथ RLD ने गठबंधन किया था। लेकिन इस गठबंधन को वो सफलता तो नहीं मिली जिसकी0 इसने आस लगाई थी। क्योंकि पूर्वांचल, जहां जयंत चौधरी का दबदबा माना जाता है वहां पर भाजपा ने जबरदस्त सेंधमारी की थी।
जाटों को साधेंगे जयंत चौधरी !
यहां के 20 जिलों में मौजूद विधानसभा की 124 सीटों में से 74 सीटें भाजपा के खाते में आई थीं। लेकिन 8 सीटों पर जयंत चौधरी की RLD ने कब्जा जमाया था। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्यों कि 2017 के चुनाव में RLD को सिर्फ 3 सीटें मिली थीं, इस बार 2022 के चुनाव में उसे सीटें तो ज्यादा मिली ही, बल्कि इसका वोट प्रतिशत भी बढ़ा था। दूसरी तरफ हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव में RLD ने भाजपा से खतौली की सीट छीन ली औऱ अपना कब्जा जमा लिया। इस हिसाब से ये जीत RLD के लिए छोटी नहीं है। इसलिए अब कांग्रेस RLD के साथ मिलकर राजस्थान में जाटों को साथने की कोशिश कर सकती है। इसके लिए उसने अब नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दी है।
राजस्थान में बसपा का खेल बिगाड़ेंगे चंद्रशेखर रावण
दूसरी तरफ आजाद समाज पार्टी और भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण को राजस्थान विधानसभा चुनाव से जोड़कर इसलिए देखा जा रहा है क्योंकि वे दलित राजनीति के पैरोकार बने हुए हैं। दलितों को लेकर चंद्रशेखर रावण शुरूआत से ही मुखर रहे हैं। हालांकि सिर्फ डेढ़ साल पुरानी इस पार्टी को 2022 के चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। लेकिन इस पार्टी ने मायावती की बसपा के लिए यूपी में मुश्किलें खड़ी कर दी हैं, क्योंकि दलित वोटों का झुकाव बसपा से ज्यादा चंद्रशेखर रावण की तरफ है। अगर चंद्रशेखार रावण राजस्थान में प्रचार करते हैं को इससे यहां पर पहले से ही जमीन के तलाश में जुटी बसपा के लिए और ज्यादा मुश्किलें खड़ी कर सकती है।
क्योंकि बसपा के जो 6 विधायक साल 2018 के चुनाव मे जीते थे वे सभी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। बता दें कि राजस्थान में 17 प्रतिशत दलित हैं। यहां के 27 जिलों में 34 सीटें दलित सूबे में है और इनमें से 19 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा में है। अब अगर चंद्रशेखर रावण राजस्थान में दलित पॉलिटिक्स खेलते हैं तो इसका सीधा फायदा कांग्रेस को पहुंचेगा।
सपा के साथ ओबीसी और मुस्लिम
वहीं धर्मेंद्र यादव के जरिए ओबीसी वर्ग और मुस्लिमों को साधने की कोशिश की जा सकती है। क्योंकि सपा और कांग्रेस ने यूपी में 2017 के चुनाव में जीतने के लिए गठबंधन किया था, तब अखिलेश यादव और राहुल गांधी ‘यूपी के लड़के’ नाम से सुर्खियों में छाए थे। लेकिन उस चुनाव में इस गठबंधन की करारी हार हुई थी। लेकिन सपा का वोट बैंक यूपी में अभी भी अपने ओबीसी-मुस्लिम वर्ग में मजबूती पकड़े हुए है। राजस्थान में कांग्रेस के लिए मुस्लिमों को साधना बेहद जरूरी तब हो जाता है जब पहले से ही यहां असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM यहां पैठ बनाने की जुगत में है ऐसे में सपा AIMIM के सपने को चकनाचूर कर कांग्रेस को जीत का तोहफा दे सकती है।
क्या वोटों में बदलेगा दलों का साथ
अब देखना तो यह है कि जो समीकरण इन तस्वीरों में दिखाई दे रहे हैं क्या वो जमीन पर उतर कर इन पर जमी धूल को साफ कर पाएंगे और करेंगे भी तो क्या ये नजदीकियां वोट में बदल पाएंगे। हालांकि अभी इनमें से किसी भी पार्टी ने इस और संकेत तो नहीं दिया है लेकिन जो समीकरण बनते दिखाई दे रहे हैं उनसे यह तो साफ है कि जल्द ही इस दिशा में बड़े और चौंकाने वाले कदम उठाए जा सकते हैं।
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