Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियां हर संभव तरीके से एक-एक विधानसभा सीट पर कब्जा करने की कोशिश कर रही हैं। राजस्थान के मेवाड़ की बात करें तो मेवाड़ को आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र कहा जाता है। इसमें आदिवासी बहुल खेरवाड़ा सीट भी शामिल है। आइए जानते है इस सीट के इतिहास और समीकरण के बारें…
वर्ष 2018 में 6 प्रत्याशी थे मैदान में
- दयाराम परमार (कांग्रेस) 93155
- नानालाल अहारी (भाजपा) 68164
- प्रवीण परमार (बीटीपी) 20383
- सविता (बसपा) 2470
- सविता परमार (आप) 2206
कांग्रेस के दयाराम परमार ने अंतर 24991से जीत दर्ज की थी
डॉ. दयाराम परमार 6 बार विधानसभा चुनाव जीते
उदयपुर जिले की खेरवाड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस के डॉ. दयाराम परमार 6 बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। इस सीट के बारे में यह भी कहा जाता है कि राजस्थान में हर बार सरकार बदल जाती है। इसी तरह यहां के लोग भी उम्मीदवारों के चयन में काफी सावधानी बरत रहे हैं। कभी बीजेपी से तो कभी कांग्रेस से विधायक को चुन कर विधानसभा पहुंचाते है।
गुजरात सीमा पर है खेरवाड़ा
खेरवाड़ा शहर गुजरात से सटे उदयपुर से करीब 82 किमी दूर है। गुजरात सीमा कुछ ही दूरी पर है। गुजरात में शराब तस्करी का भी यही मुख्य रास्ता है। क्योंकि आए दिन पुलिस अवैध शराब तस्करी के खिलाफ कार्रवाई करती रहती है। खेरवाड़ा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित विधानसभा सीट है।
हर बार बदलता है विधायक
2018 का चुनाव दयाराम परमार ने जीता था। 2013 का चुनाव नानालाल अहारी ने जीता था। इससे पहले 2008 में कांग्रेस और 2003 में बीजेपी के उम्मीदवार जीते थे। इस विधानसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या दो लाख 34 हजार 596 है।
क्षेत्र के लोगों की तीन प्रमुख मांगे
- खेरवाड़ा को जिला घोषित करना।
- दूसरी मांग पानी की है।
- तीसरी मांग है कि खेरवाड़ा कस्बे से गुजर रहे एनएच-8 पर एलिवेटेड रोड बनाया जाए।
पूर्व विधायक नाना लाल अहारी पर भरोसा
बीजेपी ने पूर्व विधायक नाना लाल अहारी पर भरोसा जताते हुए एक बार फिर उन्हें खेरवाड़ा विधानसभा सीट से टिकट दिया है। अहारी ने इस सीट से चार बार चुनाव लड़ा, दो बार जीते और दो बार हारे।