Jodhpur Cylinder Blast : जोधपुर के शेरगढ़ में सिलेंडर ब्लास्ट मामले में संघर्ष समिति के 50 लाख के मुआवजे को लेकर धरने पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। जोधपुर हाईकोर्ट ने इस मामले में सरकार के दबाव में आकर मुआवजे की राशि बांटने के तरीके पर नाराजगी पर जताई है। कोर्ट ने वित्त सचिव को इस मामले से संबंधित हलफनामा पेश करने के आदेश दिए हैं।
सरकार पर दबाव डालकर मुआवजा घोषित कराना अनुचित
शेरगढ़ के भूंगरा गैस त्रासदी पीड़ितों को सहायता राशि देने के मामले पर जोधपुर हाईकोर्ट ने मीडिया की खबरों के आधार पर जस्टिस दिनेश मेहता की एकलपीठ ने संज्ञान लिया। कोर्ट का कहना है कि कोई भी संगठन किसी तरह का दबाव बनाकर सरकार से सहायता राशि नाम पर पैसे बांटने की घोषणा के तरीके को गलत बताया है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी जानकारी मांगी है कि कितने लोगों को सहायता राशि जारी की गई है या जारी की जाएगी। इसके अलावा अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह को भी निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश को मामले से संबंधित फाइल भेज दी है।
50 की जगह 17 लाख रुपए पर बनी सहमति
बता दें कि सिलेंडर ब्लास्ट मामले में पीड़ितों को 50 लाख रुपए की सहायता देने के लिए गुरूवार से महात्मा गांधी अस्पताल की मोर्चरीके बाहर धरने पर बैठे थे। बीते रविवार को भी पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी, पूर्व विधायक बाबू सिंह राठौड़, पुष्पेंद्र राणावत ने भी धरनास्थल पर जाकर वार्ता की थी। उन्होंने सरकार से पीड़ितों को 50 लाख रुपए का विशेष पैकेज देने की मांग की थी। शाम तक वे सभी इसी मांग पर अड़े रहे। आखिरकार फिर वे सरकार की तरफ से घोषित किए गए 17 लाख रुपए के विशेष पैकेज पर मान गए। इसके बाद समिति ने यह धरना समाप्त किया।
समिति के लगातार दिए जा रहे धरने से सरकार ने दबाव में आकर शनिवार को 17 लाख रुपए के विशेष पैकेज की घोषणा की थी। लेकिन समिति के लोग इस पर नहीं मान रहे थे। वे मृतकों को 50 लाख रुपए की सहायता राशि के साथ ही घायलों को 25 लाख रुपए दिए जाए। मृतकों के आश्रितों को नौकरी दी जाएं। बच्चों की पढ़ाई और छात्रावास में ठहरने की व्यवस्था की जाएं। मामला दर्ज कर निष्पक्ष जाचं करने की मांग उठा रहे थे।
वित्त सचिव को हलफनामा पेश करने के दिए आदेश
बीते रविवार की शाम को प्रशासन और समिति के बीच बातचीत ही जिसके बाद वे 17 लाख के मुआवजे पर मान गए और धरना समाप्त किया। इस सहमति के बाद मृतकों के शवों का अंतिम संस्कार कराने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। अब जोधपुर हाईकोर्ट ने सरकार पर दबाव डालकर इस तरह सहायता राशि को घोषित कराने के तरीके को अनुचित बताया है। उन्होंने इस मामले में वित्त सचिव को हलफनामा पेश करने का आदेश दिया है।