सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान से जुड़े महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसले, वर्ष 2024 रहा राजस्थान के लिए सुप्रीम फैसलो का साल

वर्ष 2024 देश की सर्वोच्च अदालत में राजस्थान से जुड़े फैसलो के लिए भी याद किया जाएगा..पूरे वर्ष में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान से जुड़े…

supreme court

वर्ष 2024 देश की सर्वोच्च अदालत में राजस्थान से जुड़े फैसलो के लिए भी याद किया जाएगा..पूरे वर्ष में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान से जुड़े कई ऐतिहासिक फैसले दिए है इन फैसलो में जहां आम जनता को राहत मिली तो कई मामलो में राजस्थान सरकार के लिए चुनौतिया कम हुई. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ बीजेपी सरकार के शुरूआत में ही कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट से बड़े झटके लगे..खासतौर से जयपुर बम ब्लास्ट और एकल पट्टा प्रकरण में.जिसके बाद राजस्थान सरकार ने सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट में एकमात्र अतिरिक्त महाधिवक्ता और विशेष वकील के रूप में शिव मंगल शर्मा को नियुक्ति दी..शिवमंगल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान सरकार से जुड़े कई हाई प्रोफाइल मामलों में प्रतिनिधित्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

1 जयपुर बम विस्फोट मामले में अपील स्वीकार

वर्ष 2008 के जयपुर बम ब्लास्ट में 71 लोगों की जान चली गई और 185 लोग घायल हो गए थे..जयपुर की विशेष जिला अदालत ने 2019 में चार व्यक्तियों को मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट ने 2023 में अपर्याप्त सबूतों का हवाला देते हुए आरोपियों को बरी कर दिया था. ये फैसला राजस्थान के विधानसभा चुनाव में भी बड़ा मुद्दा बना था ऐसे में राजस्थान सरकार के लिए यह केस उसके लिए एक बड़ी चुनौति था. इस मामले की पैरवी के लिए राज्यपाल ने शिव मंगल शर्मा को राजस्थान सरकार के लिए विशेष वकील नियुक्त किया. राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद विधि क्षेत्र में सरकार की यह पहली नियुक्ति थी.दोषियों को बरी किए जाने के खिलाफ दायर राजस्थान सरकार की अपील को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया और इस केस की सुनवाई करने पर रजामंदी दी.

2 पेपरलीक मामले में गिरफतारी अवैध नहीं, सरकार की बड़ी जीत

SI पेपर लीक मामले में राजस्थान सरकार को सुप्रीम कोर्ट में उस समय बड़ी सफलता मिली जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी को सही ठहराया. SI भर्ती पेपर लीक मामले में एसओजी की ओर से गिरफतार किए गए आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. राजसथान सरकार ने इन याचिकाओं का कड़ा विरोध किया. जिसके बाद 13 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच ने मामले में आरोपियों की ओर से दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया..

3 संपति के अधिकारों की रक्षा के लिए निर्देश

सुप्रीम कोट ने 17 सितंबर 2024 को अपने फैसले में संरचनाओं के विध्वंस पर कई दिशानिर्देश जारी किए. राजस्थान सरकार की ओर से पेश कि गयी दलीलों को स्वीकार किया और विध्वंस के लिए न्यायिक अनुमोदन की आवश्यकता वाले राष्ट्रीय दिशानिर्देश जारी किए, जिससे मनमानी कार्रवाई को रोका जा सके.

  1. ओरण, पवित्र उपवन और वनभूमि को लेकर

18 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने टी.एन. गोदावर्मन थिरुमुलपाद बनाम केन्द्र मामले में राजस्थान में ओरण भूमि, पवित्र उपवन और वनभूमि को लेकर ऐतिहासिक फैसला दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में राजस्थान सरकार को आदेश दिया कि वह पवित्र उपवनों, वनभूमि और ओरण को वन सरंक्षण अधिनियम 1980 के तहत सरंक्षित करें.
जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस एस.वी.एन. भट्टी और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने अपने फैसले में कई दिशा निर्देश जारी किए. जिनमें पवित्र उपवनों का सर्वेक्षण और अधिसूचना, जमीनी और उपग्रह आधारित मानचित्रण के माध्यम से ओरन, देव वन और रुंध जैसे पवित्र उपवनों की पहचान करना, पहचाने गए उपवनों को वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत अधिसूचित करना और उपवनों की रक्षा करने वाले स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करना शामिल हैं.है।

5.बीसलपुर बांध ड्रेजिंग को लेकर फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 24 मई 2024 को राजस्थान सरकार और ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट लिमिटेड को राहत देते हुए एनजीटी के जनवरी 2024 के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें एनजीटी ने बीसलपुर बांध की भराई क्षमता बढ़ाने व सफाई के लिए की जा रही डीसिल्टिंग व ड्रेजिंग को माइनिंग मानते हुए इस प्रक्रिया को रोक दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने एनजी गाधिया की ओर से दायर अपील पर सुनवाई करते हुए एनजीटी के आदेश पर रोक लगा दी. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जांच कमेटी ने इसे माइनिंग एक्टिविटी नहीं माना था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया.इस फैसले के चलते राजस्थान सरकार को बीसलपुर बांध से जयपुर, टोंक और अजमेर जिलों में पानी उपलब्ध कराए जाने में सुविधा हुई.

6. 23 हजार खनन पट्टो के लिए मिला समय

12 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान राज्य बनाम जयंत कुमार और अन्य केस की सुनवाई करते हुए राजस्थान सरकार को बड़ी राहत दी. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में 23000 हजार से अधिक खनन पट्टो के लिए पर्यावरण मंजूरी की समय सीमा को बढाने का फैसला किया. इस फैसले से राजस्थान सरकार को बड़ी राहत मिली क्योंकि एनजीटी के आदेश के चलते राजस्थान की 23000 हजार माइंस में खनन पर रोक लग जाती. ऐसे में ना केवल राजस्थान सरकार को हजारों करोड़ रूपये का नुकसान होता बल्कि इन मांइस से जुड़े करीब 15 हजार श्रमिक व अन्य लोग बेरोजगार हो जाते.

7. एकल पट्टा प्रकरण में राजस्थान सरकार को मिली सफलता

5 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया जिसके तहत राजस्थान के चर्चित एकल पट्टा प्रकरण में पूर्व कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल और तत्कालीन जेडीए अफसरों के खिलाफ राज्य सरकार को मुकदमा चलाने की इजाजत मिल गयी. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भूयान की बेंच ने सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के उन पूर्व आदेशों को रद्द कर दिया गया, जिनमें पूर्व मंत्री शांति धारीवाल और जयपुर विकास प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को समाप्त कर दिया गया था.

8.केन्द्र के खिलाफ सरकार ने लिया केस वापस

10 सितंबर 2024 को राजस्थान सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली, जब उसे केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से जुड़े फोन टैपिंग मामले में केन्द्र सरकार के खिलाफ दायर मुकदमें को वापस लेने की अनुमति मिल गयी. फोन टैपिंग कांड के बाद पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने यह तर्क देते हुए कि फोन टैपिंग की जांच दिल्ली पुलिस के क्षेत्राधिकार में नहीं है और केवल राजस्थान पुलिस को इसकी जांच का ​अधिकार है, सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार के खिलाफ याचिका दायर की थी. सरकार बदलने के बाद भजनलाल सरकार ने केन्द्र के खिलाफ दायर मुकदमें को वापस लेने के लिए अर्जी दाखिल की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया.

9.लीगल माईनिंग को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी

11 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार और आम जनता को बड़ी राहत देते हुए राज्य में लीगल माइनिंग को अनुमति दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने CEC कमेटी की सिफारिशों को मानते हुए ये फैसला दिया. इससे सीधे तौर पर आम जनता को सस्ते दर पर बजरी मिलने में आसानी हुई क्योकि करीब 3 साल से सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद धड़ल्ले से अवैध खनन हो रहा था. इस फैसले से अवैध खनन माफिया को भी बड़ा झटका लगा है.

10.बुलडोजर चलाने के मामले में जब राज्य के अधिकारियों को मिली राहत

25 अक्टूबर 2024 को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार के कई उच्चाधिकारियों को बुलडोजर चलाने के मामले में कोर्ट की अवमानना से मुक्त कर दिया. जयपुर में आरएसएस कार्यकर्ताओं पर हमले के आरोपी के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाने के मामले का हवाला देकर नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमन ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी। याचिका में आरोप लगाया कि अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर निर्माण ध्वस्त किया। इसमें बताया कि 17 अक्टूबर 2024 को शरद पूर्णिमा कार्यक्रम के दौरान 10 आरएसएस कार्यकर्ताओं पर हमले से संबंधित एक आरोपी के निर्माण पर बुलडोजर चलाया गया. इस कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति नहीं ली गई, जबकि सुप्रीम कोर्ट कह चुका कि उसकी अनुमति बिना देश में कहीं भी इस तरह के निर्माण को नहीं हटाया जाए.

सुनवाई के दौरान राजस्थान सरकार की ओर से याचिका का यह कहते हुए विरोध किया गया कि बुलडोजर कार्रवाई से याचिकाकर्ता संगठन निजी तौर पर कैसे प्रभावित हुआ है और उनकी ओर से कोई ठोस साक्ष्य भी पेश नहीं किया गया. सरकार ने कहा कि जयपुर के जिस मामले का हवाला दिया है, वह सुविधा क्षेत्र में बने एक कमरे से संबंधित है। आरोपी का घर नहीं है. बहस सुनने के बाद जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस केवी विश्वनाथम और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने अवमानना याचिका को समाप्त कर दिया