ERCP का मुद्दा राजस्थान की राजनीति का अहम हिस्सा रहा है। जब-तब सत्ता धारी दलों ने इसकी आड़ में जनता से खूब वोट जुटाए हैं। लेकिन अब तक प्रदेश के दक्षिण-पूर्व में स्थित 13 जिलों को पानी नसीब नहीं हुआ है। इसके लिए जिम्मेदारों को पूछने पर केंद्र-राज्य की आपसी रार का राग अलापा जाता है। अब अगले साल चुनाव फिर से आने वाले हैं। सत्ताधारी कांग्रेस सरकार को इन 13 जिलों की जनता के सामने मुंह दिखाना है, तो विपक्ष में भाजपा कांग्रेस के खिलाफ रणनीति तैयार कर वोटों के लिए जमीन तैयार कर रही है। आज राजधानी जयपुर के बिड़ला सभागार में कांग्रेस का सम्मेलन हो रहा है। इस सम्मेलन में 13 जिलों के इकाई स्तर तक के जनप्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। वहीं भाजपा ERCP के मुद्दे को लेकर फ्रंट फुट पर लगातार खेल रही है। अपने 150 नेताओं को तैयार कर वे कांग्रेस के कथित कुप्रचार के खिलाफ माहौल तैयार कर रही है।
क्या है ERCP ?
ERCP का मतलब है ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट ( Eastern Rajasthan Canal Project )। इस योजना का मुख्य उद्देश्य दक्षिणी राजस्थान में बहने वाली चंबल और उसकी सहायक नदी कुन्नू, पार्वती, कालीसिंध में बारिश के दौरान ओवरफ्लो होते पानी को इकट्ठा कर उसे राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी जिलों में भेजना है जिससे वहां पीने के पानी और फसलों की सिंचाई के लिए होती कमी को पूरा किया जा सके। इस य़ोजना की अनुमानित लागत लगभग 60 हजार करोड़ रुपए है। इस परियोजना से राजस्थान की 40 प्रतिशत जनता की प्यास बुझाने का उद्देश्य है। साथ ही करीब 4.31 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए पानी का सामाधान होगा।
ERCP को लेकर क्यों है विवाद
दरअसल राजस्थान सरकार ERCP को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाना चाहती है। ताकि परियोजना की लागत का करीब 90% खर्च केंद्र सरकार उठाए। क्योंकि लागत का पूरा खर्च राज्य वहन नहीं कर पाएगा। वहीं केंद्र सरकार का तर्क है कि जिन नदियों के पानी से इस प्रोजेक्ट के जरिए काम करना है, वे मध्य प्रदेश से आती हैं तो राजस्थान को उनसे पहले NOC लेनी पड़ेगी। वहीं मध्य प्रदेश की सरकार ने राजस्थान तो NOC देने से मना कर चुकी हैं। यह कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के वक्त भी हुआ था। इस मामले में केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार का कहना है कि 75% जलभराव हिस्सेदारी के हिसाब से राजस्थान डीपीआर बना कर दे। केंद्र तभी 90% हिस्सेदारी उठाएगा। 50% हिस्सेदारी से 3700 एमक्यूएम और 75% हिस्सेदारी से 1700 एमक्यूएम पानी मिलेगा। इसलिए राजस्थान सरकार को जलभराव में 50% की हिस्सेदारी चाहिए क्योंकि उससे पानी ज्यादा मिलेगा।
किन-किन जिलों को मिलेगा ERCP का फायदा
ERCP की जद में राज्य के दक्षिण-पूर्व में स्थित 13 जिले आ रहे हैं। इनमें झालावाड़. बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर के बाशिंदों को इस योजना के जरिए पानी मिलेगा।
दोनों दलों के लिए क्यों जरूरी है ERCP
अब यहां सवाल यह आता है कि क्यों दोनों दल ERCP को लेकर इतनी गहमागहमी में हैं। दरअसल राजस्थान के जिस दक्षिण-पूर्वी 13 जिलों को इस योजना के जरिए पानी पहुंचाना है वहां 86 विधानसभा और 10 लोकसभा सीटें हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को पूर्वी राजस्थान से बड़ा झटका मिला था। ऐसे में वो यहां पर अपने स्थिति को ठीक करना चाहती है। इसलिए ERCP पर वह लगातार अपने कार्यकर्ताओं के जरिए यहां की जनता के सामने अपना पक्ष करने के लिए कार्यशालाओँ का आयोजन कराती रही है। वहीं कांग्रेस इन जगहों पर भाजपा पर किसी भी तरह का मौका नहीं देना चाहती। इन 13 जिलों में से आधे जिलों में कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। भरतपुर, धौलपुर करौली, सवाई माधोपुर, टोंक, दौसा जिलों में भाजपा का कोई विधायक नहीं है। कांग्रेस ERCP के मुद्दे पर केंद्र सरकार और भाजपा को घेरकर अपने लिए माहौल तैयार कर रही है।
CM अशोक गहलोत का सम्मेलन को संबोधन
ERCP के लिए कांग्रेस का यह सम्मेलन एक बड़े स्तर पर किया जा रहा है। जिसमें 13 जिलों के इकाई स्तर तक के कार्यकर्ताओं को बुलाने का मतलब साफ हैं कि कांग्रेस छोटे-से-छोटे से कार्यकर्ता के जरिए छोर पर बैठी जनता तक अपनी बात पहुंचाना चाहती है। इस सम्मेलन की महत्ता इसी से समझ में जाती है कि सूबे के मुखिया अशोक गहलोत खुद सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं। वे इस सभा को संबोधित करेंगे। वहीं कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अजय माकन भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। इनके साथ-साथ राज्य के जलदाय मंत्री महेश जोशी भी इस सम्मेलन को संबोधित करेंगे।
जन आंदोलन की बनेगी नींव- डोटासरा
यह कार्यक्रम प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की तरफ से आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम की तैयारी को लेकर डोटासरा ने कहा कि इस सम्मेलन में ERCP की विस्तृत जानकारी प्रतिभागियों को दी जाएगी। साथ ही राजस्थान सरकार की ओर से इस परियोजनाओं के लिए विकास कार्यों से अवगत कराया जा रहा है। इसके साथ ही कार्यकर्ताओं से खुली चर्चा भी की जाएगी औऱ जनआंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।
भाजपा भी कांग्रेस के कथित कुप्रचार का देगी जवाब
लंबे समय से कांग्रेस नेता भाजपा पर ERCP पर प्रदेश की जनता को धोखा देने का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेश की जनता को ERCP योजना से लाभ देने का वादा किया था, लेकिन अब वह अपने वादे से मुकर रही है। वहीं भाजपा का कहना है कि प्रधानमंत्री ने ऐसा कभी कुछ कहा ही नहीं। कांग्रेस झूठा प्रचार कर रही है। इसे लेकर अब भाजपा ने कांग्रेस के इस कथित कुप्रचार के खिलाफ अपनी रणनीति तैयार कर रही है। उसने उन 13 जिलों से अपने करीब 150 नेताओं को तैयार किया है, जो इस योजना की जद में आ रहे हैं। भाजपा ने उन्हें कांग्रेस के इस कथित कुप्रचार के खिलाफ जनता को सचेत रहने और सच्चाई से रूबरू कराने की तैयारी में हैं। इससे पहले ERCP भाजपा पहले कई बैठक कर चुकी है। इसी बीच भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा और पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह की मुलाकात भी सुर्खियों में है। इन दोनों ने ERCP के मुद्दे पर विश्वेंद्र के आवास पर जाकर चर्चा की है। किरोड़ी लाल मीणा ने 10 जुलाई को इस मुद्दे पर दौसा में दो लाख लोगों की भीड़ जुटाने का ऐलान किया है।
नेताओं को सबक सिखाने के मूड में पानी की आस लगाए बैठी जनता
ERCP योजना लंबे समय ले अधर में लटकी है। जिससे पानी की आस लगाए बैठी जनता की आंखें भी पथरा गई हैं। अब इन 13 जिलों की जनता कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों को सबक सिखाने के मूड में दिख रही है। ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट को लेकर दोनों पार्टियां राजनीति कर रही हैं जबकि जनता खुद इसके प्रति जागरूक है। वह न तो कांग्रेस के बहकावे में आने वाली और न ही बीजेपी के। यहां के लोगों ने खुद ही कई पंचायतें की हैं। और ईस्टर्न कैनल प्रोजेक्ट को लेकर वह भी नेताओं को दूर रख कर पूर्वी राजस्थान के सभी जिलों में इसके प्रति ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता फैला रही है। यहां युवाओं की मंडली गांव-गांव में जाकर इस प्रोजेक्ट के प्रति लोगों को जागरूक कर रही है।